दीवाली आ गई तो मंत्रिमंडल विस्तार.. | Pushkar Singh Dhami | Uttarakhand Cabinet Expansion

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जी हां दोस्तो उत्तराखंड में मंत्रिमंडल विस्तार नहीं हो गया, बीरबल की खिचड़ी हो गई, दिवाली आ गई तो क्या मंत्रिमंडल विस्तार भी हो गया। ये सवाल आम जन के साथ बीजेपी के खुद के विधायक पूछने लगे हैं। विपक्ष के साथ बीजेपी के विधायकों ने भी अब कर डाली है विस्तार है जरूरी तो क्या फिर कब कैसे कौन। Uttarakhand Cabinet Expansion Soon उत्तराखंड की राजनीति में एक बार फिर हलचल तेज हो गई है। दीपावली के बाद अब सबकी निगाहें टिकी हैं राज्य के संभावित मंत्रिमंडल विस्तार पर। लंबे समय से चल रही अटकलों के बीच अब सवाल उठ रहा है – क्या मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के दिल्ली दौरे में ही होगा बड़ा फैसला?क्या मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर चल रही चर्चाओं पर अब लगेगा पूर्ण विराम? क्या कुछ नए चेहरे मंत्री पद की शपथ ले सकते हैं? और सबसे बड़ा सवाल – क्या संगठन और सरकार के बीच तालमेल के नए संकेत मिलेंगे? सब बताउंगा आपको अपनी रिपोर्ट के जरिए। दगड़ियो उत्तराखंड में लंबे समय से कैबिनेट विस्तार को लेकर चर्चाएं चल रही है ,लेकिन अभी तक इन चर्चाओं पर विराम नहीं लगा है, हालांकि इस बीच भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट कई बार बयान दे चुके हैं आज नहीं तो कल लेकिन इस कल कल के बीच आज तक मंत्रिमंडल विस्तार नहीं हुआ है। अब एक बार फिर से प्रदेश के सियासत में वो तमाम चेहरे सक्रीय होते दिखाई दे रहे हैं जो अपने आप को प्रदेश की सरकार में मंत्री के तौर पर पर देख रहे हैं, तो इन बयानों से ये अंदाजा लगाया जा सकता है कि मंत्रिमंडल विस्तार अब हो चुका है।

बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष कहते हैं कि ल्द ही कैबिनेट विस्तार का इंतजार खत्म हो सकता है। वैसे ये बात वो लंबे समय से कह रहे हैं, लेकिन इधर एक बार प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का दिल्ली दौरा, इस दौरे से प्रदेश की जनता को तो कम ही लेकिन बीजेपी के भावी मंत्रियों को संभावना लग रही है कि वो साल भर के लिए सही मंत्री जरूर बनेंगे। बीजेपी विधायक और पूर्व मंत्री खजान दास का कहना है कि मंत्रिमंडल विस्तार का फैसला लेना मुख्यमंत्री का विशेषधिकार है, लेकिन अब मंत्रिमंडल विस्तार हो जाना चाहिए और अब इसकी जरुरत भी लगने लगी है। इधर प्रदेश के मुख्यमंत्री बार-बार दिल्ली का दोरा कर रहे हैं, अब जो मौजूदा दौरा है वो कैबिनेट विस्तार के लिए महत्वपूर्ण होने वाला है। इतना ही नहीं बल्कि सीएम धामी के दिल्ली में मंथन से पहले मंत्रींमंडल विस्तार को लेकर सुगबुगाहट फिर से तेज हो गई है। दोस्तो आपको में ये बता दूं कि राज्य कैबिनेट में पांच पद खाली चल रहे हैं, जिनमें चार पद काफी लंबे समय से खाली है ,जबकि एक पद पूर्व संसदीय कार्य मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल के इस्तीफा के बाद खाली हुआ है। इतना ही नहीं बल्कि भाजपा के विधायक इन पदों के जल्द भरने का इंतजार कर रहे हैं। वहीं दूसरी ओर दोस्तो जानकारों का मानना है कि भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष और बिहार चुनाव की वजह से हाईकमान इसे टाल रही है। अब शीर्ष नेतृत्व से हरी झंडी मिलने के बाद जल्द ही कैबिनेट का विस्तार किया जाएगा। पहले मानसून में बारिश से आई आपदा से हुए नुकसान की वजह से सरकार राहत एवं बचाव कार्य में जुटी रही। इसके बाद दिल्ली में राष्ट्रीय अध्यक्ष का मामला और अब बिहार चुनाव हाईकमान की प्राथमिकता में है। ऐसे में प्रदेश का मंत्रिमंडल विस्तार आगे खिसकता जा रहा है, हालांकि अब माना जा रहा है कि जल्द ही हाईकमान हरी झंडी दे सकता है।

2027 में प्रदेश का विधानसभा चुनाव भी है, उसे ध्यान में रखते ही पार्टी निर्णय लेगी। दोस्तो प्रदेश में आपदा राहत एवं पुनर्वास के कार्यों को गति देने में डबल इंजन का दम लगने के बाद अब सरकार और संगठन के लिए मिशन 2027 का मोर्चा खुलने जा रहा है। मुख्यमंत्री धामी की दिल्ली दौड़ को मंत्रिमंडल में फेरबदल और विस्तार के चश्मे से देखा जा रहा है को हाईकमान के स्तर से अंतिम रूप देने की कवायद के रूप में देखा जा रहा है। हालांकि, मंत्रिमंडल में होने वाले किसी भी बदलाव से पहले बीजेपी की नजर आगामी चुनाव पर है। यानि नफा किताना नुकसान कितना माना जा रहा है कि जल्द ही कैबिनेट में नए चेहरों को शामिल किया जा सकता है। पार्टी संगठन और कार्यकर्ताओं के बीच इसको लेकर उत्सुकता चरम पर है। जानकारों का कहना है कि मंत्रिमंडल विस्तार में क्षेत्रीय संतुलन का विशेष ध्यान रखा जाएगा, गढ़वाल और कुमाऊं के साथ तराई क्षेत्र से भी प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने पर जोर है। साथ ही संगठनात्मक समीकरण को साधते हुए उन विधायकों को मौका दिया जा सकता है, जिन्होंने विधानसभा चुनाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। राजनीतिक विषलेशकों का मानना है कि नए मंत्रियों की नियुक्ति आगामी विधानसभा चुनाव की रणनीति से भी जुड़ी होगी। पार्टी ये संदेश देना चाहती है कि वह संगठन के हर स्तर पर संतुलन और प्रतिनिधित्व के प्रति प्रतिबद्ध है। दोस्तो अब सबकी निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि उत्तराखंड मंत्रिमंडल में किसे जगह मिलती है और कौन बाहर होता है। ये फैसला न केवल राज्य की राजनीति बल्कि आगामी चुनावी समीकरणों पर भी गहरा असर डालेगा तो दोस्तों, साफ है कि उत्तराखंड की राजनीति में मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर जो अटकलें तेज हो रही थीं, अब वो जल्द ही हकीकत में बदल सकती हैं। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के दिल्ली दौरे और पार्टी के आलाकमान की बैठकों से ये संकेत मिल रहे हैं कि कुछ नए चेहरे जल्द ही कैबिनेट में शामिल हो सकते हैं। विशेष रूप से, इस बार मंत्रिमंडल विस्तार में क्षेत्रीय संतुलन और संगठनात्मक समीकरणों को लेकर काफी सावधानी बरती जाएगी। गढ़वाल, कुमाऊं और तराई क्षेत्र का उचित प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करना पार्टी की प्राथमिकता होगी। साथ ही, विधानसभा चुनाव में सक्रिय भूमिका निभाने वाले विधायकों को भी मौका मिलने की उम्मीद है। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि यह विस्तार सिर्फ एक प्रशासनिक फेरबदल नहीं, बल्कि आगामी चुनाव की रणनीति का भी अहम हिस्सा होगा। पार्टी यह संदेश देना चाहती है कि वह हर क्षेत्र और वर्ग के लिए बराबर का स्थान सुनिश्चित करती है और संगठन को मजबूत बनाए रखती है, तो अब देखना यह है कि इस मंत्रिमंडल विस्तार के बाद उत्तराखंड की राजनीति में क्या नए समीकरण बनते हैं और किसे मौका मिलता है। निश्चित ही, यह कदम आने वाले चुनावी मुकाबले को प्रभावित करेगा और राजनीतिक परिदृश्य में एक नई दिशा देगा।