उत्तराखंड में जहां एक तरफ कई मिथकों को तोड़कर बीजेपी ने फिर दोबारा सत्ता हासिल की, उसकी तो चर्चा अभी तक हो ही रही है, साथ ही चर्चा हो रही है मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के दोस्ती निभाने के अंदाज की। जी हां पुष्कर सिंह धामी के याराना की किसके साथ। संजय गुप्ता और स्वामी यतीश्वरानंद के साथ। धामी की विधायिकी के समय से ही जो लोग रहते थे हमेशा साथ। धामी के करीबियों ने शायद ही कभी धामी को अकेले देखा हो। विधानसभा आते-जाते हमेशा उनके साथ उस वक्त हरिद्वार से विधायक संजय गुप्ता और स्वामी यतीश्वरानंद होते ही थे। और अब जब धामी सीएम बन गए हैं उसके बाद भी अपने इन दोस्तों को उन्होंने अकेले छोड़ा नहीं है।
लक्सर से संजय गुप्ता चुनाव हार गए हरिद्वार ग्रामीण से यतीश्वरानंद को हार मिली उसके बाद भी ज्यादा भीड़ यतीश्वरानंद के आश्रम में ही दिखाई दे रही है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी गढ़वाल से कुमाऊं तक विशेष दौरे और बैठकें कर रहे हैं और साथ में नजर आ रहे हैं उनके करीबी। उनके साथी हार गए तो क्या पुरानी दोस्ती और राजनीति से भी है पुराना नाता…सिर्फ इसलिए ताकि धामी के दोनों दोस्तों को हार का पछतावा ना हो।
राजनीतिकार तो यहां तक कह रहे हैं कि धामी और संगठन के लोग भी स्वामी यतीश्वरानंद को ही तवज्जो दे रहे हैं। लेकिन इस गहरी दोस्ती का राज क्या है ??ये दोस्ती कब शुरू हुई और क्या है इसके पीछे की कहानी? क्यों हारे हुए विधायकों को छोड़ नहीं पा रहे सीएम धामी? वजह इसके पीछे सालों पुरानी दोस्ती ही है।
दरअसल धामी, भगत सिंह कोश्यारी के तत्कालीन OSD हुआ करते थे, तब संजय गुप्ता से उनकी मुलाकात नहीं हुई थी। संजय गुप्ता लक्सर से विधायक रहने के साथ साथ जिला पंचायत के बड़े नेता भी माने जाते रहे हैं। यहीं से संजय गुप्ता और धामी की दोस्ती की शुरुआत हुई थी। और अब जब धामी सीएम बन गए हैं उसके बाद भी जारी है।
अब बारी थी BS खंडूरी की सरकार की। खंडूरी सरकार में स्वामी यतीश्वरानंद दर्जा प्राप्त मंत्री थे। तीनों की यहां से शुरू हुई दोस्ती आज भी जस की तस है। और अब ये दोस्ती हरिद्वार में चर्चा का विषय इसलिए भी बन गई है क्योंकि बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक के यहां जो कभी भीड़ दिखाई देती थी। वो भीड़ और अधिकारी यतीश्वरानंद के आश्रम में बैठे नजर आ रहे हैं।
अब जब मदन कौशिक प्रदेश अध्यक्ष होने के बाद भी अपनी इस तरह से नजरअंदाजी होते देखेंगे तो फिर लाजिमी है कि परेशानी होगी ही लेकिन स्वामी यतीश्वरानंद ने इस पर साफ कह दिया है कि जीते नहीं तो क्या. हैं तो अब भी वो बीजेपी पार्टी के ही नेता। यतीश्वरानंद ने कहा, मैं भी बीजेपी का नेता हूं। उत्तराखंड में बीजेपी की सरकार है। ऐसे में अगर कोई फरियादी उनके पास रहा है तो अधिकारियों को समस्या का समाधान करने के लिए बुलाया जाता है। रही बात सीएम धामी से दोस्ती की तो धामी से मेरी विधायक बनने के बाद की दोस्ती नहीं है, दोस्ती पहले से है। मेरे ख्याल से मेरे यहां इकट्ठी हो रही भीड़ से किसी को परेशानी नहीं होनी चाहिए। अगर उनको यहां फरियादियों की भीड़ ज्यादा लग रही है तो इसमें दिक्कत क्या है?? मैं पार्टी का नेता हूं और हारने के बाद भी लोगों के लिए काम कर रहा हूं। मुझे आज भी लोग पसंद करते हैं और मैं लोगों के लिए हमेशा काम करवाता रहूंगा।
फिर स्वामी यतीश्वरानंद ने इस दोस्ती की नींव समझाई, बताया कि, साल 1994 में मैं छात्र नेता था, तब हरिद्वार में कोई विधायक या संगठन का बड़ा नेता नहीं था, जो आज बड़े नेता बने हुए हैं। 2002 और 2007 का चुनाव मदन कौशिक ने उनके आश्रम से ही लड़ा था। मदन कौशिक और स्वामी यतीश्वरानंद साथ काम कर चुके हैं। जब कौशिक जिला अध्यक्ष थे तो वो जिला महामंत्री थे। अब मदन कौशिक के पास ना जाकर अगर फरियाद अपना दुख किसी यतीश्वरानंद को सुना भी रहा है तो इस पर जानकार मानते हैं कि पिछले कुछ दिन में प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिका का ग्राफ घट गया है। संगठन के पास चुनावों में भीतरघात को लेकर जिस तरह की रिपोर्ट दी गई है, उसके बाद से ही ऐसे हालात बने हैं। फिर पार्टी को ये भी लगता है कि हरिद्वार हिंदुओं का क्षेत्र है। हालांकि हरिद्वार प्रदेश अध्यक्ष का गढ़ है उसके बाद भी जब उन्हें तवज्जो नहीं दी जाएगी तो परशानी होनी तो लाजिमी ही है।
और अब तो उपचुनाव की घोषणा भी हो गई है। कैलाश गहतोड़ी ने सीएम धामी के लिए अपनी चंपावत सीट छोड़ भी दी है। अब चुनाव होने हैं और सीएम धामी की किस्मत का फैसला होना है। और उस सकबे बाद हरिद्वार शहर की जनता हो या रुकड़ी शहर या ग्रामीण की जनता, सब यतीश्वरानंद के पास ही अपनी फरियाद लेकर पहुंच रह हैं। धामी की दोस्ती के बाद फिर लोगों को लग भी रहा है कि क्योंकि धामी के करीबी हैं तो फिर चुनाव नहीं जीतने के बाद भी जीत गए हैं यतीश्वरानंद महाराज। वैसे आप इस धामी, संजय गुप्ता औऱ यतीश्वरानंद की दोस्ती पर क्या टिप्पणी करना चाहेंगे..अगर आपके इस पर कोई भी विचार हैं तो कमेंट कर हमें जरूर बताएं।