उत्तराखंड में ब्रांडेड दवाओं की नकली फैक्ट्री का भंडाफोड़, STF ने पति-पत्नी को दबोचा। साईं फार्मा के नाम पर फर्जीवाड़ा, 14 करोड़ का लेनदेन STF की रडार पर। नकली दवाएं एंबुलेंस से सप्लाई, देहरादून से नोबेल फार्मेसी तक जुड़ा नेटवर्क, चौकाने वाला खुलासा लेकर आया हूं दगड़ियो। Fake medicines busted in Uttarakhand जी हां दोस्तो उत्तराखंड में नकली दवा जाल सिस्टम की सुई पर लुट गई जनत, मास्टरमाइंड की गिरफ्तारी, झकझोरने वाला खुलासा। दगड़ियो अपने उत्तराखंड में नमक में मिलावट करके खिलाई जा रही है। रेत मिट्टी की जांच अब सरकारी टीम कर रही है ब, लेकिन किस-किस की जांच करेगी बल ये सरकारी टीम, ये जो खबर में आपको बताने जा रहा हूं ये बेहद संवेदनशील है, हम सब के लिए, कुछ हमारे खाने की चीटों में मिलावट हो गई। जनता का आम इसान का बीमार होना चय है और बीमारी के बाद दवा खाओ तो अब दवा में भी मिलावट हो रही है बल। जी हां दोस्तो तो सुना आपने कहीं भी नहीं छोटा मिलावट खोरो ने पहने तो लगा ये सियासी आरोप है, लेकिन जब उत्तराखंड एसटीएफ ने एक बेहद खतरनाक गिरोह को कब्जे में ले लिया है — जो बड़े ब्रांडेड दवाइयों की नकली रैपर्स, QR कोड, आउटर बॉक्स और पैकेजिंग तैयार कर मरीजों के जीवन से खिलवाड़ कर रहे एक नेटवर्क का परदाफाश हो गया।
दगड़ियो अब तक कुल 12 आरोपियों को गिरफ्तार किया जा चुका है। नई गिरफ़्तारियों में शामिल हैं पति-पत्नी जोड़ी — प्रदीप कुमार और श्रुति डाबर, जिन्हें ज़िरकपुर (पंजाब) से पकड़ा गया। अब आपको बताता हूं कैसे फैला नकली दवा का जाल? दगड़ियो मई 2025 में संतोष कुमार पकड़ा गाया था जिसके कब्जे से भारी मात्रा में नकली पैकेजिंग सामग्री बरामद हुई। दगड़ियो गिरोह की साजिश कच्चा माल देहरादून और हरिद्वार से संग्रह करके अलग-अलग जगहों पर पैकिंग करने और नोबेल फार्मेसी पंचकूला की मदद से एंबुलेंस द्वारा राज्यों में सप्लाई करने वाली थी। साईं फार्मा नामक फर्म बनाई गई थी — जो प्रदीप की पत्नी श्रुति के नाम पर थी। पुलिस पता चला कि इस फर्म के बैंक खाते में ₹14 करोड़ से अधिक का लेन-देन हुआ था। दगड़ियो इतना ही नहीं ये गिरोह एक फैक्ट्री नेटवर्क संचालित कर रहा था, जहां नकली दवाइयाँ बड़े पैमाने पर बनाई जा रही थीं। अब देवी दयाल गुप्ता, डॉ. मित्तल लैबोरेटरीज़ के मालिक को गिरफ्तार किया गया, जो लंबे समय से फरार था। गिरोह के किंगपिन नवीन बंसल, संतोष कुमार, अदित्य कला के साथ मिलकर 1.42 करोड़ टैबलेट और 2 लाख कैप्सूल बनाने का नेटवर्क चला रहा था, जिसे उत्तर भारत के कई राज्यों में सप्लाई किया जाता था। अब दगड़ियो अपने पहाड़ में उत्तराखंड में हो क्या रह है बल हर तरफ मिलावट मिलावट है। आदमी नमक नहीं खा सकता है उसमें रेत मिला है। आदमी बीमार हो जाए तो दवा नहीं खा सकता है क्योंकि वो नकली हो सकती है, मिलावटी हो सकती है।
दगड़ियो ये सिर्फ एक अपराधी समूह नहीं बल्कि सिस्टम की सड़न और मानवता का अपमान था। जिस दवा ने लोगों को स्वस्थ बनाने का दावा किया, वही जीवन के भरोसे के साथ खिलवाड़ कर रही थी। अब सवाल इतना ज़रूरी है कि क्या दोषी सिर्फ गिरोह तक सीमित रहेगा? क्या इस पूरे रैकेट का सरगना, जो दशकों से चेतना से परे कारोबार कर रहा था, वह बच निकलेगा क्योंकि उसे एक बार पहले छोड़ दिया गया था? हकीकत साफ है — नकली दवा सिर्फ बीमारी नहीं, विश्वासघात है… और अब समय आ गया है कि ऐसे रैकेट की कड़ी जांच हो, दोषियों को सख्त सजा मिले, और सिस्टम को लोहे की मजबूती दी जाए तभी गरीब लोग और मरीज की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ रोका जा सकता है।