उत्तराखंड में पांच लाख बच्चे सीखेंगे ‘देवभाषा’, हर जिले में बनेगा संस्कृत गांव

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Dehradun: योजना रंग लाई तो आने वाले दिनों में उत्तराखंड में शिक्षा के क्षेत्र में दो नये बदलाव नजर आएंगे। ये बदलाव जनहित में होने वाले हैं। जिसके तहत राज्य के सभी जिलों में देवभाषा संस्कृत को लेकर एक-एक संस्कृत गांव विकसित होगा। साथ ही उत्तराखंड के विभूतियों को हाईस्कूल और इंटरमीडिएट के पाठ्यक्रम में शामिल किया जाएगाय यानी स्कूली पाठ्यक्रम में पंथ्यादादा से लेकर गढ़वाल की झांसी की रानी कही जाने वाली वीरबाला तीलू रौतेली की वीरंगाथाएं स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल होंगी।

उत्तराखंड की दूसरी राजभाषा का दर्जा संस्कृत भाषा को है। वहीं मौजूदा समय में पश्चिमी संस्कृति की चकाचौंध से पौराणिक और सभी भाषाओं की जननी कही जाने वाले देवभाषा संस्कृत दम तोड़ती नजर आ रही है। योजना साकार हुई तो आने वाले दिनों उत्तराखंड के हर जिले एक-एक संस्कृत गांव होगा। 13 जिलों में 13 संस्कृत गांव स्थापित किये जाएंगे। इससे राज्य के करीब 5 लाख बच्चों को संस्कृत शिक्षा का लाभ दिया जाएगा। वहीं देव भाषा संस्कृत को एकबार फिर से पुनर्जीवित होने की संभावना है, जिसका बीड़ा शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत ने उठाया है। उन्होंने शिक्षा विभाग को इस योजना के तहत तत्काल ठोस रणनीति तैयार करने के निर्देश दिये हैं।

उत्तराखंड राज्य बनने के बाद जिन्हें केवल समूह-ग की परीक्षाओं के लिए पढ़ा जाता है, उन महापुरूषों व वीरांगनाओं का अब अपना नया पाठ्यक्रम होगा। आने वाले दिनों में उत्तराखंड के प्रसिद्ध व्यक्तित्व हाईस्कूल और इंटरमीडिएट के पाठ्यक्रम में शामिल होने जा रहे हैं। उत्तराखंड राज्य के प्राचीन इतिहास में कई व्यक्तित्व ऐसे भी हैं, जो कि आम लोगों व स्कूलों छात्र-छात्राओं की पहुंच से बाहर हैं।