क्यों आई देहरादून के चारों तरफ बाढ़?| Dehradun Cloudburst | Uttarakhand News | Sahastradhara Floods

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क्यों आई देहरादून के चारों तरफ बाढ़? कारण देख हैरान हो जाएंगे क्या बज गई खतरे की घंटी, जी हां दोस्तो देहरादून जहाँ हर मोड़ पर ज़िंदगी का भरोसा था, आज वही रास्ते पानी में डूबे, सपने बहते आरोपों के साथ! एक रात में बादल फट गए, तमसा नदी ने तट तोड़े और इमारतें नहीं — हमारी सुरक्षा की नींव हिला दी। Dehradun Disaster Loss रात के अँधेरे में जब सुरक्षा का सायरन बजा, तब, कहीं‑कहीं राहत, लेकिन अधिकतर जगहों पर लोग सिर्फ़ चीख‑पुकार से बच पाए। दोस्तो क्यों देहरादून की चारों तरफ बाढ़ की इस तबाही ने हमें पूरी तरह से हैरान कर दिया? दोस्तो बताने जा रहा हूं कारण इस तबाही के जिसने प्रदेश की राजधानी को झकझोर कर रख दिया। दोस्तो पिछले कुछ दिनों से देहरादून में मौसम ने अपना सबसे उग्र रूप दिखाया है। लगातार हो रही भारी वर्षा, बादल फटने की घटनाएँ, नदी‑नालों का उफान — इन सबने मिलकर शहर और आसपास के इलाकों में बाढ़ जैसी स्थितियाँ उत्पन्न कर दी हैं। आगे देखें कि यह सब कैसे और क्यों हुआ है। दगड़ियो देहरादून के सहस्त्रधारा, टपकेश्वर, IT पार्क और Tapovan क्षेत्रों में इतनी भारी बारिश हुई कि वहाँ जलजमाव हुआ, नदियों और नालों ने अपने तट पार कर लिया। Karligad नदी में पनी अचानक बढता दिखाई दिया, जिसके कारण पुल टूटे, सड़कों पर पानी भर गया, सड़कों और बाजारों में दुकानों को नुकसान हुआ।

दोस्तो मूल कारण क्या है और क्या बातें जुड़ी हुई हैं? वो बताता हूं। बाढ़ और जलभराव की इस स्थिति के पीछे कई तात्कालिक और दीर्घकालीन कारण हैं, नीचे मुख्य कारण दिए हैं। दोस्तो मौसम विभाग (IMD) ने बताया है कि Dehradun में हाल की बारिश एक क्लाउडबर्स्ट जैसी रही हैं—यानी अचानक, तीव्र, और सीमित क्षेत्र में बहुत ज्यादा बारिश, हालांकि IMD के अनुसार जो बारिश हुई है वह ‘क्लाउडबर्स्ट’ की पूर्ण परिभाषा नहीं पूरी करती (जैसे कि 100 मिमी वार्षिक घड़ी में) लेकिन यह “अत्यधिक तीव्र बारिश” की श्रेणी में आती है। दूसरा एक करण ये है कि Dehradun खुली घाटी (Doon valley) में बसा है, चारों ओर पहाड़ियाँ और ऊँची ढलानें हैं, जिससे बारिश का पानी निचले इलाकों की तरफ तेजी से बहता है। नाले, छोटी‑बड़ी नदियाँ, खोल‑नालियाँ शहर के भीतर व दूसरी जगहों पर बड़ी मात्रा में पानी ले जाकर सड़कों और मकानों तक पहुंचाती हैं। जब ये नाले पर्याप्त क्षमता से अधिक पानी पकड़ते हैं, तो ओकर वे अपने किनारों को छोड़कर फैल जाते हैं। वहीं दोस्तो तीसरा कारण खोजता हं तो बता चलता है कि शहर की ड्रेनेज सिस्टम (नालियाँ, ड्रेन्स) अक्सर बंद हो जाती हैं — कूड़ा‑मलबा, अवैध निर्माण, जाली कर दिए गए रास्तों की वजह से पानी निकलने का मार्ग अवरुद्ध हो जाता है।

ये शहर अंदर का हाल और छोटे नाले, दोस्तो इस मानसून में Dehradun और उसके आसपास के इलाकों में बारिश सामान्य से ज़्यादा रही है। IMD के अनुसार जून‑सेप्टेम्बर के मॉन्सून सीज़न में बारिश में लगभग 22% की बढ़त हुई है। जलवायु परिवर्तन के प्रभाव के चलते अत्यंत मौसम घटनाएँ अधिक तीव्र और अधिक बार होने लगी हैं—क्लाउडबर्स्ट, अचानक तीव्र बारिश, तूफानी हवाएँ आदि। जीवित एवं संपत्ति की हानि: घरों में पानी घुसना, दुकानें, सड़कें, वाहन और सार्वजनिक सम्पत्ति प्रभावित हुई हैं। यातायात और जनजीवन बाधित: सड़कों पर जलजमाव, पुल टूटना, बाजारों में पानी बहना, बिजली व जल आपूर्ति में व्यवधान। आर्थिक नुकसान: दुकानदारों का व्यापार रुकना, समय‑समय पर सामान की क्षति, सरकारी खर्चों में बढ़ोतरी, मरम्मत‑पुनर्निर्माण लागत। दोस्तो देहरादून की चारों तरफ बाढ़ केवल एक मौसमी घटना नहीं है, बल्कि कई कारणों का परिणाम है — प्राकृतिक, मानवीय व जलवायु संबंधी, बारिश की तीव्रता, नदियों‑नालों की बढ़ती उफान क्षमता, खराब ड्रेनेज, बिना प्लानिंग किए जा रहा शहरी विकास — इन सभी ने मिलकर शहर को इस स्थिति में पहुंचाया है। भविष्य में, यदि हम समय रहते नेगेटिव संकेतों को न समझें, तैयारी नहीं करें, और स्थायी उपाय नहीं अपनाएँ, तो ऐसी त्रासदियाँ दोहराई जाएँगी। लेकिन एक अच्छी खबर यह है कि यदि प्रशासन, नागरिक, विशेषज्ञ और नीति‑निर्माता मिलकर काम करें, तो हमें इस तरह की किस्मत को बदलने की शक्ति है। देहरादून फिर से तैयार हो सकता है — लेकिन बदलाव अब चाहिए।