उत्तराखंड के पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने देवस्थानम बोर्ड को लेकर एक बार फिर बड़ा बयान दिया है। जिससे एक बार फिर देवस्थानम का मुद्दा गरमा गया है। इस बयान के बाद से तीर्थ पुरोहितों में फिर से नाराजगी देखी जा रही है। वहीं त्रिवेंद्र के इस बयान को धामी सरकार पर हमले के रुप में भी देखा जा रहा है। जोशीमठ भू धंसाव प्रकरण के बहाने पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने एक बार फिर देवस्थानम बोर्ड का मुद्दा छेड़ दिया है। पूर्व सीएम त्रिवेंद्र ने मीडिया को दिए एक बयान में कहा कि देवस्थानम बोर्ड बोर्ड होता तो उसकी आय से ही जोशीमठ का पुनर्निर्माण हो जाता है। उन्होंने ये भी कहा कि सरकार को पैसों के लिए भी नहीं भटकना पड़ता। त्रिवेंद्र का मानना है कि देवस्थानम बोर्ड होता तो उससे 125-150 करोड़ की आय हो गई होती। उन्होंने कहा कि वे लोगों को नहीं समझा पाए। ये दुर्भाग्य है। उनका कहना है दूरगामी सोच के साथ काम करना जरुरी है।
वही दिए गए अपने बयान को लेकर फिर पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत उत्तराखंड के तीर्थपुरोहितों के निशाने पर आ गए हैं। केदार सभा के साथ ही केदारनाथ धाम के तीर्थपुरोहितों ने उनके बयान का कड़ा विरोध किया है। चारधाम तीर्थ पुरोहित महापंचायत के अध्यक्ष सुरेश सेमवाल ने कहा कि मंदिरों और सनातन धर्म को लेकर कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी और पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत की स्थिति एक जैसी है। केदारसभा के अध्यक्ष राजकुमार तिवारी ने पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के देवस्थानम बोर्ड पर दिए बयान का कड़ा विरोध करते हुए कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री अपने बयान से क्या साबित करना चाहते हैं यह समझ से परे है। देवस्थानम बोर्ड का गठन एक सोची समझी साजिश के तहत त्रिवेंद्र सिंह रावत ने किया था और उन्हें सीएम की कुर्सी गवांनी पड़ी थी। देवस्थानम बोर्ड के पास कोई ऐसा स्रोत नहीं था, जो अपनी करोड़ों में आय अर्जित कर सकता। भाजपा को स्पष्ट करना चाहिए कि वह इस बयान के समर्थन में हैं या नहीं।