उत्तराखंड का एक फल जो बीपी और शुगर का काल है। दोस्तो पहाड़ पर होने वाली कोई चीज यानि फल सब्जी सब गुणकारी होते हैं। सब लाभकारी होते हैं, और हां सब औसधीय होते हैं। आज में एक फल के बारे में आपको बताने जा रहा हूं। जो फल कई बीमारीयों का काल है। रामबाण इलाज है। Uttarakhand’s hill fruit Ghingaroo दरअसल दोस्तो उत्तराखंड की पहाड़ियों में उगने वाला घिंघारू एक ऐसा दुर्लभ जंगली फल है, जो ना खेतों में उगाया जाता है और ना ही बाजारों में आसानी से मिलता है, लेकिन आयुर्वेद में इसे बीपी और शुगर जैसी बीमारियों का काल माना गया है। इस पहाड़ी फल के फायदे तो कई पहाड़ वाले भी नहीं जानते होंगे। कई लोग जो इसे आम तोर पर जंगल से आते -जाते खाते होंगे, यकीन मानिये वो लोग भी इसके घिंघारू के फायदे नहीं जानते होंगे, लेकिन दोस्तो आप अंत तक मेरे साथ बने रहें मै आपको आज बताउंगा का कि ये अपने उत्तराखंडी फल घिंघारू कितना फायदे मंद है, और कौन-कौन सी बीमारियों को हरा सकता है। साथ ही इसके आयुर्वेद वाले पक्ष पर भी बात करूंगा तो आप मेरे साथ बने रहें। दोस्तो त्तराखंड की खूबसूरत वादियों में छुपा एक ऐसा फल है जो न ही आपके खेतों में उगता है और न ही बाजारों में आसानी से मिलता है, लेकिन इसके फायदे सुनकर आप जरूर हैरान रह जाएंगे। मैं बात कर रहा हूं। “घिंगारु” की। जिसे ‘पहाड़ी सेब’ भी कहा जाता है, यह छोटा सा लाल रंग का फल उत्तराखंड के कुमाऊं और गढ़वाल अंचल की जैविक धरोहर है, जो अब दुनिया के लिए प्राकृतिक औषधि बनता जा रहा है।
दोस्तो आगे बताउंगा आपको कैसे औषधि बनता जा रहा है, लेकिन थोड़ा इस फल के बारे में आपको बताता हूं। औषधीय गुणों की खान है ये पहाड़ी फल, डायबिटीज-हार्ट की बीमारी का पक्का इलाज! BP भी करेगा कंट्रोल करने वाल है ये फल उत्तराखंड में एक खास पहाड़ी पाया जाता है। यह फल कुमाऊंनी में घिंगारु, गढ़वाली में घिंघरु और नेपाली में घंगारु के नाम से मशहूर है. छोटे-छोटे लाल सेब जैसे दिखने वाले घिंघरु के फलों को हिमालयन रेड बेरी, फायर थोर्न एप्पल या व्हाइट थोर्न भी कहते हैं। इसका वानस्पतिक नाम पैइराकैंथा क्रेनुलाटा है, जो कि पहाड़ों में खूब पाया जाता है। इसे अक्सर लोग नजरअंदाज कर देते हैं, लेकिन घिंगारु का पौधा चमत्कारी गुणों से भरपूर है। यह झाड़ीदार पौधा मुख्य रूप से ऊंचाई वाले इलाकों में पाया जाता है और अक्टूबर-नवंबर में इसके फल पकते हैं। यह पहाड़ी फल न केवल अपने टेस्ट के लिए बल्कि अपने अद्भुत औषधीय गुणों के लिए भी जाना जाता है। गौरतलब है कि घिंगारु के फल और पत्तों में एंटीऑक्सिडेंट और एंटी-इंफ्ले-मेटरी गुण होते हैं, जो ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित कर सकते हैं। यह डायबिटीज के मरीजों के लिए बेहद फायदेमंद साबित होते हैं। दोस्तो जानकार बताते हैं कि घिंगारु का फल सिर्फ स्वादिष्ट नहीं, बल्कि इसमें कई औषधीय गुण भी छिपे हैं।
शोध बताते हैं कि इसका नियमित सेवन हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज और हृदय रोगों से राहत दिला सकता है। इसके फल में भरपूर मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट, विटामिन C, और फ्लावो-नॉयड्स होते हैं, जो शरीर में सूजन कम करते हैं, रक्तचाप नियंत्रित करते हैं और दिल की मांसपेशियों को मजबूत बनाते हैं। इतना भर नहीं है दोस्तो आगे आपको बताने जा रहा हूं कैसे फल फल, जड़, पत्ती और छाल सभी है फायदेमंद हैं। घिंघारू हिमालयी इलाकों में झाड़ी के रूप में मिलता है, यह 800 से 2500 मीटर तक ऊंचाई वाले इलाकों में पाया जाता है, लोग इसकी कांटेदार लकड़ी को शुद्ध मानकर अपने घरों में रखते हैं, यह एंटीबैक्टीरियल गुणों से युक्त है, इसकी पत्तियों से हर्बल चाय बनाई जाती है, जड़ स्त्री रोग में कारगर है, वहीं इसके फल का सेवन शुगर, ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करने में कारगर है, यह प्रकृति का अनमोल उपहार है, जो पहाड़ के जंगलों में मिलता है। एक बार दिल्ली के विज्ञान शोध परिषद विश्वविद्यालय द्वारा किए गए शोध में यह पता चला था कि दर्द निवारक दवा बनाने में घिंगारु का पौधा मददगार साबित हो सकता है। वहीं, पिथौरागढ़ के वरिष्ठ आयुर्वेद डॉक्टर बताते हैं कि ये एक औषधीय पौधा है, जिसकी जड़ से लेकर फल, फूल, पत्तियां और टहनियां सभी हमारे लिए उपयोगी हैं। जबकि पहाड़ों में स्कूली बच्चे और गांव में जंगल जाने वाली महिलाएं इसे बड़े चाव से खाती हैं। घिंगारु के फलों को सुखाकर चूर्ण बनाकर दही के साथ खूनी दस्त का उपचार किया जाता है।
इन फलों में पर्याप्त मात्रा में शुगर भी पाई जाती है, जो शरीर को तत्काल ऊर्जा प्रदान करती है। इसके अलावा इसकी टहनी का प्रयोग दातून के रूप में भी किया जाता है, जिससे दांत दर्द से निजात मिलती है। इसके साथ घिंगारु में प्रोटीन पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है। दोस्तो आपको बता दूं, कि घिंगारु के छोटे-छोटे फल गुच्छों में लगे होते हैं. यह फल अगस्त और सितंबर में पकने पर नारंगी या फिर गहरे लाल रंग के हो जाते हैं। यह हल्के खट्टे, कसैले और स्वाद में कुछ मीठे होते हैं। इसका पौधा मध्यम आकार का होता है। इसकी शाखाएं कांटेदार और पत्ते गहरे रंग के होते हैं। यह पौधा 500 से 2700 मीटर की ऊंचाई वाले पर्वतीय क्षेत्रों में पाया जाता है। दोस्तो गुणी फल के बारे में शायद आप जानते हों लेकिन इसके ओषधीय गुणों के बारे में कम लोग ही जानते हैं। कई बार हम यूं पहाड़ी जंगली फलों को खाते हैं स्वाद के लिए, लेकिन ये हमारी सेहत के लिए भी फायदेमंद होते हैं। वैसे कई और पहाड़ी जंगली फल हैं जो खाए जाते हैं। जिनका ओषधीय गुण के बारे में भी सबको जानना चाहिए। आप ने सुना होगा किलमोड़, हिसाव, करोंज, बेर, जिसे पहाड़ में कुमाउं छेत्र में ब्यार कहा जाता है। ये भी सेहत के लिए काफी फायदे मंद होते है। हां इनसब फलों को अलग-अलग नाम से जाना जाता है। जो नाम मेने आपको बताएं वो मेरे घर गांव के नाम हैं। आपके यहां क्या नाम से जंगली फलों को जाना जाता है आप कमेंट कर बता सकते हैं, साथ ही आप किसी पहाड़ी फल सब्जी के बारे में उसके फायदों के बारे में जानते हैं तो मेरे साथ जरूर शेयर करें।