उत्तराखंड संविदा के बाद उपनलकर्मियों के लिए अच्छी खबर!| Uttarakhand News | Dehradun News

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दोस्तो उत्तराखंड में लगता है सरकार कर्मचारियों की नाराजगी को पूरी तरफ से खत्म करना चाहती है, खासकर वो कर्मचारी जो सालों से अस्थाई तौर पर प्रदेश के अलग अलग विभाग में सेवाएं दे रहे हैं। दोस्तो एक बड़ी खबर के साथ आया हूं। Good news for UPNL workers संविदा के बाद अब बारी उपनल कर्मियों की आने वाली है। सरकार लेगी जल्द लेगी बड़ा फैसला, जी हां दोस्तो हाल में आपने देखा होगा लंबे संघर्ष के बाद प्रदेश सरकार ने संविदा कर्मचारियों को लेकर अच्ची बात कही, वहीं दोस्तो उत्तराखंड में संविदा और उपनल कर्मचारियों के लिए फिलहाल नियमितिकरण और समान काम का समान वेतन पर विचार जारी है। खास बात ये है कि इसको लेकर मंत्रिमंडल उप समिति की बैठक में विभिन्न बिंदुओं पर चर्चा की गई है और इसके बाद अंतिम निर्णय पर पहुंचने की दिशा में समिति के सदस्यों ने अपने विचार भी रखे हैं। जानिए संविदा कर्मचारियों और उपनल कर्मियों को लेकर किस दिशा में हो रही बात. मेरी इस रिपोर्ट के जरिए। दोस्तो प्रदेश में पिछले दिनों संविदा कर्मचारियों को नियमित करने के लिए भले ही शासन ने आदेश जारी कर दिया हो, लेकिन अब भी संविदा कर्मियों के नियमितीकरण का मामला सरकार के लिए चर्चा में बना हुआ है।

ऐसा इसलिए क्योंकि संविदा कर्मियों के लिए हाल ही में हुए आदेश के अनुसार 2018 तक के संविदा कर्मियों को ही 10 साल की सेवा पर नियमित किए जाने के आदेश किए गए हैं, लेकिन अब इसके बाद के संविदा कर्मियों को नियमित करने पर विचार हो रहा है। यानी कट ऑफ डेट को आगे बढ़ाने पर मंत्रिमंडलीय उप समिति विचार कर रही है। वहीं दोस्तो दूसरी तरफ उपनल कर्मचारियों पर भी अलग से विचार हो रहा है। इनके लिए समान काम के बदले समान वेतन थ्योरी पर चर्चा की गई। ये समिति कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल की अध्यक्षता में बनाई गई है, जिसमें मंत्री सौरभ बहुगुणा भी शामिल है। दरअसल दोस्तो उपनल कर्मचारियों को लेकर पहले ही मुख्यमंत्री चरणबद्ध तरीके से समान काम के बदले समान वेतन दिए जाने की बात कह चुके हैं। इसके अलावा 12 साल की सेवा पूरी करने वालों को इसका लाभ दी जाने की भी बात कही गई है, लेकिन खबर ये है कि मंत्रिमंडलीय उप समिति 10 साल की सेवा पूरी करने वालों को इसका लाभ दिए जाने की सिफारिश कर सकती है। दोस्तो उपनल कर्मियों को लेकर 2018 में हाईकोर्ट ने नियमितीकरण को लेकर आदेश दिया था हालांकि इस आदेश के खिलाफ राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया है। दोस्तो यहां बड़ी बात ये है कि इस मामले को लेकर उपनल कर्मचारी सरकार के खिलाफ अवमानना याचिका भी लगा चुके हैं।

ऐसे में सरकार पर इन कर्मचारियों को लेकर निर्णय लेने का दबाव था और कोर्ट के आदेश के क्रम में ही सरकार ने मंत्रिमंडलीय उप समिति का गठन भी किया। दोस्तो, हालांकि साल 2018 में हाईकोर्ट ने इन उपनल कर्मचारियो को नियमित करने के लिए नियमावली बनाने के आदेश दिए थे, लेकिन सरकार इस पर कोई निर्णय नहीं ले पाई। फिलहाल सरकार समान काम के बदले समान वेतन देने की ही स्थिति में दिखाई दे रही है। इस मामले पर कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल कहते हैं कि कोर्ट के आदेश पर मंत्रिमंडलीय समिति चर्चा कर रही है और यह समिति केवल अपनी सिफारिश ही दे सकती है, जिसके लिए अभी मंथन किया जा रहा है। इसके बाद अंतिम निर्णय पर पहुंचने के बाद समिति द्वारा सरकार को अपनी सिफारिश दी जाएगी। वहीं उत्तराखंड कुल मिलाकर संविदा कर्मचारियों को नियमित करने के आदेश के बाद 2018 की कट ऑफ डेट पर फिर से विचार हो रहा है और माना जा रहा है कि इसे 2024 तक बढ़ाया जा सकता है। यानी 2024 तक वाले कर्मियों को इसका लाभ दिया जा सकता है। उधर उपनल कर्मचारियों पर नियमितीकरण की जगह समान वेतन को चर्चा में रखा गया है और माना जा रहा है कि 2014 तक के कर्मियों को पहले चरण में इसका लाभ मिल सकता है।