चमोली जिले में भारी बारिश लोगों पर आफत बनकर टूर रही है। भारी बारिश के कारण भूस्खलन की चपेट में कई लोग आ रहे हैं। चमोली जनपद में पिछले तीन साल में भूधंसाव की घटनाएं बढ़ी हैं। Nandanagar in the grip of landslide सबसे पहले कर्णप्रयाग के बहुगुणा नगर में भूधंसाव की घटना सामने आई। यह क्षेत्र घाटी में होने के बावजूद भूधंसाव हो रहा है। उसके बाद ज्योतिर्मठ के भूधंसाव ने सबको विचलित कर दिया था। यहां सैकड़ों मकान और होटल भूधंसाव की जद में आ गए थे। अब नंदानगर के भूधंसाव ने फिर से लोगों को चिंता में डाल दिया है। ज्योतिर्मठ की तरह ही नंदानगर में भी जमीन से पानी का रिसाव हो रहा है। रविवार को तीन और भवन ध्वस्त हो गए हैं। यहां रह रहे परिवारों को प्रशासन की ओर से पहले ही सुरक्षित स्थानों पर भेज दिया गया था। पांच अन्य भवन कभी भी जमींदोज हो सकते हैं। इन भवनों के पीछे भारी मात्रा में मलबा एकत्रित हो गया है। प्रशासन की ओर से बाजार की 30 दुकान और 19 भवनों को खाली करवा दिया गया है।
प्रभावित परिवारों की संख्या बढ़ने से मारिया आश्रम के सात कमरों को भी राहत शिविर बनाया गया है। यहां एक परिवार को शिफ्ट किया गया है। नगर पंचायत नंदानगर के कुंतरी लगा फाली वार्ड में करीब 100 मीटर क्षेत्र में भूधंसाव हो रहा है। कुंवर कॉलोनी में खेतों में कई जगहों पर एक फीट तक की दरारें पड़ गई हैं। धंसाव वाली जगहों पर पेड़ भी उखड़ गए हैं। हिमालयी क्षेत्रों में लगातार हो रही प्राकृतिक आपदाओं ने वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों का ध्यान अपनी ओर खींच लिया है। साथ ही सरकारों को भी ये सोचने पर मजबूर कर दिया है कि इस तरह की प्राकृतिक आपदाओं की वजह से होने वाले जान-माल दोनों को कैसे बचाया जाए? बहरहाल, वैज्ञानिक और विशेषज्ञ दोनों ही इस बात पर जोर दे रहे हैं कि सरकारों को अब इस बात पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है कि वो प्रकृति के साथ समन्वय में बनाते हुए पर्वतीय क्षेत्रों में विकास की गतिविधियों को अंजाम तक पहुंचाएं।