Guldar terror in Uttarakhand : देवभूमि में 8 साल की बच्ची की हिम्मत सलाम

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गुलदार से 8 साल की बच्ची की भीषण लड़ाई… गुलदार को भरपूर छकाया
4 भाईयों की चारों ओर चक्कर काट रहा था गुलदार… 8 साल की बच्ची ने अपनी हिम्मत दिखाई
नाजिया की हिम्मत की कहानी सुनेंगे तो रोंगटे खड़े हो जाएंगे… कहेंगे 8 साल की बच्ची में इतनी हिम्मत

एक किस्सा एक शातिर गुलदार और एक छोटी सी बच्ची की वीरता का… गुलदार की चाहत थी… वो सबको अपने साथ ले जाए… और इधर एक मासूम बच्ची थी…जो चार मासूमों की बहन है उसकी कोशिश थी… गुलदार अपने खौफनाक मंशे में कामयाब ना हो पाये… गुलदार के निशाने पर वो चार बच्चे थे… चारों को वो अपनी नजरों से घूर रहा था… उस वक्त उस गुलदार के निशाने पर था तो सिर्फ वो चार बच्चे थे…गुलदार अपनी जीभ से लार टपकाते जा रहा था… वो चारों को अपने साथ ले जाना चाहता था… अपनी भूख मिटाने के लिए उसे उन चारों की दरकार थी… लेकिन एक आठ साल की बच्ची भी वही थी… कोई बड़े उसके आसपास नहीं था… उन बच्चों को बचाने की जिम्मेदारी उसी मासूम बच्ची ने अपने कंधों पर ले लिया था… वो गुलदार के सामने दीवार बन जाना चाहती है… एक ऐसी दीवार जिसे पार नहीं कर पाए गुलदार… एक तरफ वो आदमखोर गुलदार था… दूसरी ओर एक 8 साल की मासूम थी… अभी लड़ाई शुरू होने वाली थी… गुलदार चारों बच्चे को घूरते हुए चक्कर लगा रहा था… इधर उस बच्ची ने भी ठान लिया था… गुलदार को कामयाब नहीं होने देंगे… किसी भी कीमत पर आखिरी दम तक वो लड़ेगी… जीभर गुलदार से मुकाबला करेगी… गुलदार के खौफनाक इरादे को कामयाब नहीं होने देगी… ऐसा ही हुआ… बच्ची तीन बच्चों को तो बचाने में कामयाब हो पायी… लेकिन अपने एक भाई को अपने पास रख नहीं पायी… गुलदार जाते जाते उसे अपने साथ लेकर चले गया… ये किस्सा नहीं ये हकीकत है…

देहरादून के विकासनगर में ढलती शाम और घर के आंगन में खेलते पांच चचेरे भाई-बहन…सभी की उम्र चार से आठ साल के बीच… अचानक जंगल से एक गुलदार आया और बच्चों के चारों ओर गोल-गोल चक्कर लगाने लगा…माजरा समझ में आते ही उनमें सबसे बड़ी आठ साल की नाजिया ने हिम्मत से काम लिया और डरकर भागने के बजाय तीन भाइयों को मौत के मुंह से खींच ले गई… हालांकि, चार साल के एक मासूम को गुलदार उसकी नजरों के सामने से उठा ले गया…सहसपुर की शंकरपुर ग्राम पंचायत की महमूदपुर बस्ती में देर शाम गुलदार के हमले की चश्मदीद नाजिया के चेहरे पर अब भी खौफ बरकरार है…बात करते-करते बीच-बीच में वह रोने लगती है… घर वाले चुप कराते हैं तो बताती है कि किस तरह घर में गुलदार आया और उसके साथ खेल रहे मामा के चार साल के बेटे अहसान को उठाकर ले गया…
उस समय मृतक अहसान की मां अर्जिना, पिता जोशिन और आसपास रहने वाले रिश्तेदार घर की तारबाड़ से सटे खेत में थे… चचेरे भाई-बहन अहसान, वसीम, नदीम, नाजिया और नसीम घर के आंगन में खेल रहे थे… इसी दौरान नाजिया की नजर गुलदार पर पड़ी, जो अचानक सामने आकर खड़ा हो गया था… गुलदार के सामने चार बच्चे शिकार के तौर पर थे… उन चार बच्चों में से महमूदनगर बस्ती में घर के आंगन में खेल रहे चार साल मासूम गुलदार उठा ले गया… लोगों ने शोर मचाया तो गुलदार जंगल की ओर भाग गया… ग्रामीण उसके पीछे-पीछे जंगल तक गए लेकिन बच्चे और गुलदार का कुछ पता नहीं चला…बच्चे के शव को अब आबादी से सटे एक बाग से बरामद किया गया है…नाजिया अपनी हिम्मत दिखाई… लेकिन उसे अफसोस है… अपने छोटे भाई को बचा नहीं पायी…