हल्द्वानी के युवा ने पिता के सामने क्यों उठाया ऐसा कदम | Haldwani | Uttarakhand News

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एक वीडियो जो बदल सकता है सोचने का नजरिया, हल्द्वानी का युवा वीडियो में बयां करता रहा। अपनी जिंदगी की सच्चाई फिर जो हुआ उसने एक परिवार झकझोर कर रख दिया। Youth Killed Himself In Haldwani उत्तराखंड के हल्द्वानी से एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसने न सिर्फ परिवार बल्कि पूरे शहर को हिला कर रख दिया है। 24 साल के सजल जोशी ने एक ऐसा कदम उठाया, जिसने एक बार फिर हमें जिंदगी की नाजुकता और संघर्ष की गहराई पर सोचने को मजबूर कर दिया, लेकिन उससे भी ज्यादा असर उस वीडियो का रहा, जिसे उसने अपनी जिंदगी के आखिरी पलों में बनाया था। हल्द्वानी में 24 साल के सजल जोशी ने चाकू से गला रेतकर सुसाइड कर लिया। मौत से पहले उसने 6.32 मिनट का वीडियो बनाया था। दगड़ियो सजल ने अपने जीवन के अंदर छिपे जज़्बातों को एक 6 मिनट 32 सेकंड के वीडियो में कैद किया। वीडियो में उसने खुलासा किया कि वह किस बीमारी से जूझ रहा था और क्यों वह अब इस दर्द को सहन नहीं कर पा रहा था। यह वीडियो कनाडा में रह रहे उसके भाई ने देखा और तुरंत परिवार को सचेत किया। सजल के पिता जब तक उसके पास पहुंचे, तब तक स्थिति बहुत नाजुक हो चुकी थी। सजल की बीमारी हड्डियों से जुड़ी गंभीर समस्या थी। ये बीमारी उसे न केवल शारीरिक रूप से कमजोर कर रही थी बल्कि मानसिक रूप से भी थका चुकी थी।

लगातार अस्पतालों के चक्कर, दवाइयां, इंजेक्शन और दर्द ने उसकी जिंदगी को एक लंबा संघर्ष बना दिया था, उसने अपने वीडियो में कहा, “मुझे डॉक्टरों के पास जाना, दवाइयां लेना और हर वक्त दर्द सहना मुश्किल हो गया है। मैं इस संघर्ष को जारी नहीं रख पा रहा, सजल ने अपने वीडियो में यह भी बताया कि उसके माता-पिता ने उसकी हर इच्छा पूरी करने की कोशिश की। वह एक्टिंग का शौकीन था, टेबल टेनिस खेलना पसंद करता था और उसने MBA की पढ़ाई भी शुरू की थी। परिवार ने उसे हर मोड़ पर समर्थन दिया, पर बीमारी ने उसके सपनों को चुनौती दे दी। दोस्तो सजल ने अपने वीडियो में साफ कहा कि वह यह वीडियो इसलिए बना रहा है ताकि लोग उसकी कहानी को समझ सकें और उसके परिवार पर किसी भी तरह की अफवाह न उड़ाएं। उसने खुद अपनी स्थिति को स्वीकार किया और कहा कि यह फैसला उसका अपना था। वह चाह रहा था कि उसकी पीड़ा को समझा जाए और साथ ही इस तरह के मामलों पर समाज में जागरूकता बढ़े। दगड़ियो यह घटना न सिर्फ सजल के परिवार के लिए बल्कि समाज के लिए भी एक बड़ा संदेश है, ये बताती है कि मानसिक स्वास्थ्य और गंभीर बीमारियों से जूझ रहे युवाओं को हम कैसे समझें और उनका समर्थन करें। हमें ऐसे लोगों के दर्द को समझने की जरूरत है, जो अपने संघर्ष में अकेले महसूस करते हैं। इसके साथ ही ये जरूरी है कि प्रशासन और सामाजिक संस्थाएं ऐसे युवाओं के लिए मदद और काउंसलिंग सुविधाएं बढ़ाएं ताकि वे अपने दर्द को साझा कर सकें और सही दिशा में मार्गदर्शन पा सकें। सजल की कहानी हमें यही सिखाती है कि समय रहते मदद पहुंचाना कितना जरूरी है। सजल जोशी की कहानी एक सशक्त इशारा है कि हम अपने आसपास के लोगों की भावनाओं और परेशानियों को समझने के लिए ज्यादा संवेदनशील हों। यह वक्त की मांग है कि हम मानसिक स्वास्थ्य को भी उतनी ही प्राथमिकता दें जितनी शारीरिक स्वास्थ्य को। सजल का वीडियो और उसकी कहानी हमें याद दिलाती है कि हर युवा की जिंदगी की कहानी महत्वपूर्ण है, और हम सबको मिलकर इसे बेहतर बनाने की जिम्मेदारी उठानी होगी।