Corbett National Park: उत्तराखंड में विवादों में रहा कॉर्बेट टाइगर पाखरो सफारी मामले में सुप्रीम कोर्ट की सेंट्रल इंपावर्ड कमेटी (सीईसी) के बाद नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूलन (एनजीटी) की कमेटी ने भी तत्कालीन वन मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत, तत्कालीन डीएफओ कालागढ़ किशनचंद समेत कई अन्य अफसरों पर भी सवाल उठाए हैं। इसके अलावा शासन के अधिकारियों को भी कठघरे में खड़ा किया है। मामला वर्ष 2021 का है। टाइगर सफारी के लिए नियमों को ताक पर रखकर स्वीकृति से अधिक पेड़ काटे गए, बिना स्वीकृति के निर्माण कार्य किए गए। टाइगर सफारी के लिए स्वीकृत 168 पेड़ों के स्थान पर छह हजार पेड़ों के कटान की बात सामने आई थी। जांच में शिकायतों को सही पाते हुए जिम्मेदार अधिकारियों के विरुद्ध कार्रवाई की संस्तुति सरकार से की गई।
कमेटी में शामिल तीन सदस्य देश के महानिदेशक वन चंद्र प्रकाश गोयल, एडीजी वाइल्ड लाइफ विश्वास रंजन और एडीजी वन्य जीव एसपी यादव ने अपनी रिपोर्ट प्रधान पीठ को सौंप दी है। रिपोर्ट में बताया कि बिना स्वीकृतियों के परियोजना को वित्तीय व अन्य तरह के अनुमोदन देने का आरेाप है। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट की सेंट्रल इंपावर्ड कमेटी भी तत्कालीन वन मंत्री और डीएफओ किशनचंद को मुख्य रूप से जिम्मेदार ठहरा चुकी है। रिपोर्ट में कहा गया है कि अधिकारी नियमों और विनियमों का पूरी तरह से उल्लंघन करते हुए हर संभव तरीके से काम करवाने में अति कर रहे थे। ऐसे अधिकारियों और व्यक्तियों के खिलाफ अनुशासनात्मक और कानूनी कार्रवाई की जानी की संस्तुति की गई है।