Ankita Murder Case: शनिवार सुबह अंकिता का शव मिलने के बाद प्रदेशभर में जगह-जगह लोगों का गुस्सा दिखाई दे रहा है। सड़कों पर प्रदर्शन कर रहे लोग आरोपियों को फांसी देने की मांग कर रहे हैं। बेटी की हत्या के बाद माता पिता पुलिस प्रशासन से बेटी के लिए न्याय की गुहार लगा रहे हैं। वहीं, सीएम पुष्कर सिंह धामी ने ऋषिकेश की घटना को बहुत दुखद बताते हुए कहा कि जिस किसी ने ये जघन्य अपराध किया है, उसे हर हाल में कड़ी सजा दिलाई जाएगी। पुलिस अपना कार्य कर रही है. मामले में न्याय दिलाना सुनिश्चित किया जाएगा। वही इस मुद्दे को लेकर विपक्ष भी गुस्साया दिख रहा है हरीश रावत ने सरकार पर जम कर प्रश्न किए है।
हरीश रावत ने इंटरनेट मीडिया पर पोस्ट कर लिखा कि, आज एक समाचार पत्र में यह प्रकरण छपा है कि कैसे इनको हमने सारे दबावों को झेलते हुए वह दबाव बाहर से भी थे, एकाध और लो भी थे जिनका दबाव था। मगर इनको नकलची और नकल रैकेट चलाने के लिए और एक संस्था जिसको हम आयुर्वेदिक विश्वविद्यालय कहते हैं उसको नष्ट करने की सम्भावना को देखते हुए हमने निष्कासित कर दिया था। कालांतर में किन परिस्थितियों में कौन लोग थे, जिन्होंने उस निष्कासित व्यक्ति को फिर से एडमिशन दिया। एडमिशन मिल जाता है एक निश्चित अवधि के बाद लेकिन ऐसे व्यक्तियों को वहां की पूरी व्यवस्था को संचालित करने का अधिकार कैसे मिल गया! यह एक भारी महत्वपूर्ण प्रश्न है!
क्योंकि जिस व्यक्ति ने अंकिता की हत्या की है, उस व्यक्ति का नाम आयुर्वेदिक संस्था के बहुत सारे प्रकरणों में आता है। उसके रिजॉर्ट पर बुलडोजर चलाने का फैसला किसका था, मैं समझ नहीं पाया। लेकिन मेरी समझ में यह नहीं आया जिस व्यक्ति को हत्या के साक्ष्य जुटाने के लिए पुलिस रिमांड पर भेजा जाना चाहिए था, उसको जुडिशियल रिमांड पर कैसे भेज दिया गया है? और क्यों नहीं प्रयास किए जा रहे हैं कि वापस पुलिस रिमांड पर लिया जाए! आखिर अंतिम निर्णय पर जब न्यायालय के सामने ये चीजें आएंगी तो फिर साक्ष्य मायने रखेंगे। रिसॉर्ट में जो साक्ष्य जुटाए जा सकते थे वो बुलडोजर के हवाले हो जाएंगे और बाकी साक्ष्य जुटाने का जो दायित्व पुलिस का है, उससे जुडिशियल कस्टडी के नाम पर बच जाएंगे।
वैसे कुछ पार्टियां नैतिकता का बड़ा दम भरती हैं। लेकिन इस मामले में संबंधित लोगों की पंहुच इतनी बड़ी है कि जिस पार्टी के वो सदस्य हैं, उस पार्टी ने भी अभी तक उनके निष्कासन के विषय में कोई कार्यवाही नहीं की है! हमने जिन संस्थाओं को खड़ा किया, मैं बिना साक्ष्य के कुछ कहना नहीं चाहता लेकिन नियुक्तियों के प्रकरण में कुछ बातें आई हैं, उस पर भी यदि लोग मुझे चुनौती देंगे तो मैं उस पर भी कुछ कहूंगा, तो यह अंकिता प्रकरण गंभीरता के साथ एक पुलिसीय एंगल से कि अपराधी को सजा मिलनी है इस दृष्टिकोण से जुटाये जाने चाहिए और उसी दृष्टिकोण से निर्णय भी लिए जाने चाहिए, और ऐसे अपराधिक प्रवृत्ति के व्यक्तियों को किन लोगों का संरक्षण है, वह चीजें भी सामने आनी चाहिए।