जी हां दोस्तो उत्तराखंड के हजारों कर्मचारियों को लेकर नैनीताल हाई कोर्ट कै बड़ा फैसला आया तो, उस आदेश पर भी रोक लग गई। जिस आदेश के कारण कर्मचारियों की परेशानियों में इजाफा हो गया था, बड़ी खबर बताने के लिए आया हूं दोस्तो। दोस्तो उत्तराखंड के हजारों कर्मचारियों की सांसें थाम देने वाला मामला लेकिन अब पलट गया है। हाईकोर्ट ने वो बड़ा फैसला दे दिया है, जिस पर हर तरफ चर्चा थी—और सबसे अहम बात, जिस आदेश ने कर्मचारियों की नींद उड़ा रखी थी, उस पर अब रोक लगा दी गई है। कर्मचारी संगठनों में राहत, विभागों में हलचल और सिस्टम में सवालों की गूंज—आख़िर क्या था वो आदेश? क्यों लगी रोक? और आगे कर्मचारियों के लिए इसका क्या मतलब है? पूरी खबर इस रिपोर्ट के जरिए आप तक। दोस्तो उत्तराखंड हाईकोर्ट ने वन विभाग में कार्यरत करीब 2 हजार आउटसोर्स कर्मचारियों का वेतन जिस हैड (मद) से आता है, उस हैड में बदलाव की वजह से उनकी सेवाओं को समाप्त करने के आदेश को चुनौती देती याचिका पर सुनवाई की। मामले की सुनवाई के बाद वरिष्ठ न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की एकलपीठ ने उस आदेश पर रोक लगाते हुए उनसे नियमित सेवा लेने को कहा है, अगर पद और कार्य उपलब्ध हो।
दोस्तो इस पूरे मामले को देखें तो वन विभाग में कार्यरत दिनेश चौहान और करीब 300 आउटसोर्स से लगे कर्मचारियों ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर कहा है कि, विभाग ने उनकी सेवाओं को यह कहते हुए समाप्त कर दिया है कि उनका वेतन एक अलग मद से आता है। उस मद में बदलाव आने की वजह से उनकी सेवाएं समाप्त की गई हैं। यही नहीं दोस्तो, विभाग उनसे नियमित सेवाएं नहीं ले रहा है। इसी मामले में हईकोर्ट में सुनवाई पर राज्य सरकार की तरफ से कहा गया कि उनका कोई फाइनेंशियल मद नहीं है, इसलिए सरकार ने फैसला लिया है कि इनसे सेवाएं नहीं ली जा सकती हैं। दोस्तो मामले को थोड़ा और करीब से देखिए। फरवरी 2023 में कोर्ट ने कर्मचारियों की सेवाएं समाप्त करने के आदेश पर अंतरिम आदेश पारित किया था। जिस पर कोर्ट ने कर्मचारियों के हक में फैसला देते हुए ये निर्णय दिया। इस आदेश का लाभ वन विभाग में आउटसोर्स से कार्यरत 2000 कर्मचारियों को मिलेगा। दोस्तो अगर इस पूरे मामले की बात करूं तो 2023 में तत्कालीन अपर मुख्य सचिव आनंद वर्धन ने पद के सापेक्ष आउटसोर्सिंग पर ली गई सेवाओं आदि का भुगतान पारिश्रमिक (दैनिक) के माध्यम से किए जाने के निर्देश दिए थे। जबकि, आउटसोर्सिंग कर्मियों पर होने वाले मद 27 के तहत भुगतान करने का प्रावधान है।
इस आदेश पत्र के जारी होने के बाद प्रदेश के कई आउटसोर्स और पीआरडी कर्मचारियों को मौजूदा वेतन मिलने में परेशानी खड़ी हो गई थी। ऐसे में कई सालों से काम कर रहे कर्मचारियों के रोजगार पर भी संकट खड़ा हो गया था, दोस्तो इस मामले को लेकर देहरादून वन विभाग कार्यालय परिसर पर आउटसोर्स कर्मचारियों ने जबरदस्त विरोध भी किया था। वहीं वेतन न मिलने से परेशान देहरादून डीएफओ कार्यालय में तैनात एक आउटसोर्स कर्मचारी ने आत्महत्या का कोशिश भी की थी। अब इस मामले पर हाईकोर्ट ने सेवा समाप्त करने वाले आदेश पर रोक लगाते हुए 2 हजार से अधिक आउटसोर्स कर्मियों को बड़ी राहत दी है। दोस्तो, उत्तराखंड के कर्मचारियों के लिए हाईकोर्ट का ये फैसला किसी बड़ी राहत से कम नहीं, जिस आदेश ने हजारों परिवारों की चिंता बढ़ा दी थी, उस पर लगी रोक ने हालात बदल दिए हैं —लेकिन कहानी यहां खत्म नहीं होती, अब नज़रें टिकी हैं आगे की कानूनी कार्रवाई और सरकार के अगले कदम पर क्या ये राहत स्थायी साबित होगी? या फिर आने वाले दिनों में तस्वीर बदलेगी?