Hillside vegetable becomes fatal | Uttarakhand News | Lingad Ki Sabji | Ranikhet | Haldwani News

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उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों में पैदा होने वाली लिंगुड़ा की सब्जी सेहत के लिए काफी लाभकारी होती है। रानीखेत में लिंगुड़ा (पहाड़ी सब्जी) खाने से मौत का मामला सामने आया है। गंभीर हालत में हल्द्वानी के सुशीला तिवारी अस्पताल में भर्ती महिला ने उपचार के दौरान दम तोड़ दिया। Hillside vegetable becomes fatal जानकारी के अनुसार, मूल रूप से थापापुर, नेपाल निवासी मिलन अपनी 23 वर्षीय पत्नी सपना और बच्चों के साथ रानीखेत में मजदूरी करता है। करीब आठ दिन पहले मिलन जंगल से लिंगुड़ा लेकर आया था, जिसे उसकी पत्नि ने पकाया और दोनों ने भोजन में सेवन किया। सब्जी खाने के कुछ समय बाद ही दोनों की तबीयत बिगड़ गई और उन्हें तेज उल्टियां शुरू हो गईं। स्थिति बिगड़ने पर उन्हें तत्काल रानीखेत के सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां तीन दिन इलाज के बाद उन्हें छुट्टी दे दी गई। हालांकि घर लौटने के बाद सपना की तबीयत दोबारा बिगड़ गई। परिजन उसे हल्द्वानी स्थित सुशीला तिवारी अस्पताल ले आए, जहां इलाज के दौरान सपना की मौत हो गई। पुलिस ने शव का पोस्टमार्टम कराकर परिजनों को सौंप दिया है। मामले की पुष्टि करते हुए पुलिस ने बताया कि लिंगुड़ा के सेवन से महिला की तबीयत बिगड़ने और मौत होने की आशंका जताई जा रही है, हालांकि पोस्टमार्टम और मेडिकल रिपोर्ट से इसकी पुष्टि होगी। स्थानीय लोगों में इस घटना के बाद से भय और चिंता का माहौल है।

ग्रामीणों का कहना है कि जंगली सब्जियां, जिनका वर्षों से सेवन किया जाता रहा है, अब जहरीली कैसे हो रही हैं, यह शोध का विषय है, लेकिन क्या आपको पता है जिस सब्जि ने जान ली वो कितनी फायदेमंद मानी जाती है। लिंगुड़ा की सब्जी खाने से स्वास्थ्य संबंधी कई समस्याएं हल होती है। लिंगुड़े की सब्जी दुनिया की सबसे ताकतवर सब्जियों में शुमार है। लिंगुड़ा प्रोटीन-कैल्शियम से युक्त होता है। यही कारण है कि लिंगूड़े की सब्जी सेहत के लिए फायदेमंद होती है। लिंगुड़ा बरसाती सब्जी है, जो पर्वतीय क्षेत्रों के गाड़ गदेरों में पाई जाती है। यह सब्जी औषधीय गुणों से भरपूर और स्वादिष्ट होती है। ये कई प्रकार का हो सकता है। उत्तराखंड की प्राकृतिक सुंदर वादियां यहां के देवदार, बांज, बुराशं के सुंदर वनों, ऊंची निची घाटियां और सुंदर बुग्याल के साथ साथ नदी, गाड़ ,गदेरे , और ग्रामीण परिवेश सहित यहां की लोक संस्कृति मंदिरों को निहारने बड़ी संख्या मे देश दुनिया से सैलानियों का आना लगा रहता है। उत्तराखंड में इसके अलावा प्रकृति ने अनेक नेमेते बरसाई हैं। यहां पर प्राकृतिक रूप से पाई जाने वाली फर्न प्रजाति की लिंगुडा लेगुड़, सब्जी कई नामों से जानी जाती है। खास बात यह है कि यह बरसात के मौसम मे मध्य हिमालय के गाड़ गदेरों में प्राकृतिक रूप से पाई जाती है। इस सब्जी को आहार के रूप मे ग्रामीण क्षेत्रों के लोग वर्षों से इस्तेमाल करते आए हैं। साथ ही दोस्तो ये रोजगार का जरिया भी है लिंगुड़ा: लिगुड़ा की सब्जी पौष्टिकता से भरभूर है। इसका पौधा पत्तियों और डंठल के रूप मे और आगे से कुंडेनुमा मुड़ा हुआ होता है। इसमें बारीक भूरे रंग के रेशे होते हैं। यह देखने मे गहरे हरे रंग का होता है। स्वाद और पौष्टिकता में यह लाजवाब होता है। इन दिनों जौनसार बावर क्षेत्र में ग्रामीण इस सब्जी का खूब इस्तेमाल कर रहे हैं। कुछ लोगों के लिए यह रोजगार का साधन भी है।

इन्हें पहाड़ों से शहर,कस्बों में बेचने के लिए ले जाते हैं। यह सब्जी 60 से 80 रुपये में बिक रही है। इस सब्जी को तोड़ने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ती है। कैसे लिंगुड़ा होता है? इसे कब और कैसे निकाला जाता है? जंगल में कैसे इसे पहचाना जाये? इसके साथ ही इसे बनाने को लेकर जानकारी होनी चाहिए। वहीं स्थानीय लोगो का अलग विचार इस सब्जि को लकेर है। जब भी घास पत्ते लेने जंगलों के जाते हैं तो लिंगुड़ा हमें मिल जाता है। इसे तोड़ते समय काफी सावधानी बरतने की जरूरत होती है। बरसात के दिनों में कीड़े मकोड़ों का भी डर लगा रहता है। उन्होंने बताया हमें प्रकृति हवा पानी, फल फूल जड़ी बूटी और कुदरती उगने वाली विभिन्न प्रकार की सब्जिया देती है। लिंगुड़ा भी इन्ही में से एक है। कृषि से जुटे जानकार बताया लिंगुड़ा मध्य हिमालय क्षेत्रों में बरसात के दिनों मे नमी वाले स्थानों पर प्रकृति रूप से उगने वाला फर्न प्रजाति है। भोज्यगुण लिंगुड़ा की सब्जी में पोषक तत्वों के भंडार होता है। इसमे प्रोटीन, विटामिन डी, और कैल्शियम जैसे कई सारे न्यूट्रिशन होते हैं। यह जहरीला नहीं होता। लोग इसे अपने आहार मे सब्जी के रूप में लाते हैं। लेकिन एक महिला और पुरुष ने इसकी सब्जी खाई तो वो बीमार हो गये। लेकिन ये भी आपको बतता चलूं की वर्षों से पहाड़ी लोग इस लिंगुड़ा की सब्जी को खाते आ रह हैं। कभी किसी की मौत लिंगुड़ा की सब्जी खाने से हुई, ऐसी कोई खबर आई नहीं। फिर भी मौसम परिवर्तन के वक्त तमाम सब्जियों को जांच परख कर ही खाएं, खास कर जंगली सब्जियों को।