पहाड़ों में बरसात से जहां भूस्खलन और रास्ते टूटने की परेशानी है वहीं अब जंगली जानवरों का भी बड़ा खतरा बना है। खासकर उन ग्रामीण क्षेत्रों में जहां के स्कूली बच्चे घने कोहरे के बीच गांव से दूर स्कूल पैदल जा रहे हैं। Ambika who fought with leopard दोस्तो आज में आपको रुद्रप्रयाग की मर्दानी अंबिका की हिम्मत से भरी ये हकिकत बताने जा रहा हूं। यकीन मानिये खबर देखने के बाद आप कहेंगे। गूलदार से क्या खूब लड़ी अंबिका। और अब अंबिका सम्मानित किया है। रुद्रप्रयाग के जखोली ब्लॉक स्थित राजकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय किरोड़ा में कक्षा 10वीं की छात्रा अम्बिका के पिता का नाम जगदीश लाल है वो अपने गांव किरोड़ा तल्ला से स्कूल के लिए पैदल चली। गांव से करीब आधा किमी की दूरी ही अभी तय हुई होगी। और जैसे ही अम्बिका स्कूल पहुंचने वाली थी कि अचानक गुलदार ने उस पर झपट्टा मार दिया। यानि कि हमला कर दिया।
गुलदार का हमला सुन मेरे और आपके होस उड़ जाएंगे लेकिन इस पहाड़ी लंबिका के ना होश उड़े और ना वो घबराई। तो उसने क्या किया होगा। जब एक तरफ अंबिका होगी, और दूसरी तरफ गुलदार। कैसे अंबिका ने अपने आप को संभाला होगा। और कैसे गुलदार से अपने को बचाने की कोशिश की होगी। दोस्त अंबिका तो एक छात्रा थी। उसके पास क्या हो सकता है। कॉपी किताब पैन पैनसिल और क्या हो सकता है जिससे की वो मौत रूपी गुलदार से लड़ सके। दोस्तों पहाड़ा में बारिश हो रही है और उस दिन भी बारिश हो रही थी। पहाड़ की इस बेटी के हाथ में बड़ा छाता था। गुलदार से लड़ने का एकमात्र अस्त्र-शस्त्र वो छाता। अंबिका ने बड़ी दिलेरी दिखाते हुए छाता गुलदार की तरफ घुमाया और भागने लगी। गुलदार के एकाएक हमले से सहमी अंबिका ने हिम्मत नहीं हारी और अपने छाते से गुलदार पर कई वार कर अपना बचाव किया। इसके बाद अंबिका किसी तरह स्कूल की ओर दौड़ लगाकर पहुंची। इसी बीच गुलदार ने उसके बैग पर हमला किया और बैग जमीन पर गिर गया।
छात्रा किसी तरह भागते हुए सुरक्षित स्कूल पहुंच गई। जैसे ही स्कूल में उसने आपबीती सुनाई तो प्रधानाध्यापक नरेश भट्ट और अन्य शिक्षक मौके पर पहुंचे। शोर शराबा किया। इससे पहले गुलदार वहां से भाग गया। शिक्षकों द्वारा छात्रा का बैग स्कूल लाया गया। डरी, सहमी छात्रा ने बताया कि हल्की बारिश और घने कोहरे के बीच गुलदार ने अचानक पीठ पर हमला किया। जैसे ही मुड़कर देखा तो गुलदार देखते ही होश उड़ गए लेकिन हार न मानते हुए छाता निकालकर जान बचाई। वहीं घटना को सुनकर सभी छात्र-छात्राएं भी डर गई। इधर, प्रधानाध्यापक नरेश भट्ट कहते हैं कि कोहरे और बारिश के बीच लगातार जंगली जानवर भी सक्रिय हो रहे हैं। स्कूली बच्चों के सामने सुरक्षित गांव से आने-जाने की चुनौती है। हालांकि स्कूल प्रशासन इस घटना के बाद से बच्चों को एक साथ आने-जाने की सलाह देगा और शिक्षक भी निगरानी करेंगे। अब दोस्तो सवाल भी कई होंगे आगे करूंगा, सरकार से सिस्टम से वन विभाग से सबसे सवाल होगा, लेकिन इस तरह की घटनाओं पर रोक लगाने के लिए वन विभाग को स्कूली क्षेत्रों में गश्त लगानी चाहिए।
क्योकि ऐसी घटना के बाद से ही क्षेत्र में खौफ का माहौल पैदा हो गया है। ग्रामीण अपने बच्चों को स्कूल छोड़ने के लिए झुंड बनाकर जा रहे हैं। बच्चों को स्कूल छोड़कर घर को लौट रहे हैं। ऐसे में उनकी दिनचर्या भी प्रभावित हो रही है। ग्रामीणों ने वन विभाग से आतंकी गुलदार से निजात दिलाने की मांग की है। ग्रामीणों ने कहा कि, लंबे समय से क्षेत्र में गुलदार का आतंक बना हुआ है। गुलदार के भय से बच्चों को झुंड बनाकर स्कूल छोड़ना पड़ रहा है। साथ ही ये भी सच है कि ग्रामीण महिलाओं को भी मवेशियों के लिए चारापत्ति लाने की समस्या खड़ी हो गई है। दोस्तो ये तो परेशानी कि बात हो गई। लेकिन अंबिका जैसी बच्चियों को उनकी बहादुरी के लिए सम्मान मिला है। दरअसल राजकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय किरोड़ा-तल्ला की 10वीं की छात्रा अंबिका की बहादुरी को देखते हुए मुख्य शिक्षा अधिकारी विद्यालय पहुंचे। उन्होंने छात्रा को प्रतीक चिह्न देकर सम्मानित किया। अंबिका की होंसलाफजाई हो रही है और होनी भी चाहिए। जहां डर और परेशानी के चलते कई बच्चे स्कूल नहीं जा पाते वहीं।
अंबिका ने उन बच्चों को हिम्मत देने का काम किया है। लेकिन दोस्तो जखोली विकासखंड के किरोड़ा गांव में गुलदार के आतंक से ग्रामीण परेशना हैं। इस घटना के बाद से ग्रामीण खौफजदा हैं और वो अपने बच्चों को स्कूल छोड़ने के लिए भी झुंड बनाकर जा रहे हैं, ताकि गुलदार से बच्चों की सुरक्षा की जा सके। वहीं, गुलदार को मुंहतोड़ जवाब देकर अपनी जान बचाने वाली छात्रा अंबिका को मुख्य शिक्षा अधिकारी ने स्कूल पहुंचकर स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया। साथ ही उन्होंने बच्चों को अंबिका की तरह ही मुसीबत में हिम्मत के साथ मुकाबला करने की सीख दी। तो अंत में तो यही कहुंगा कि मौजूदा वक्त में ये गुलदार। तेदूंआ पूरे पहाड़ की परेशानी बनता जा रहा है। इसके खिलाफ कुछ ठोस कार्रवाई जल्द होनी चाहिए जो अबतक नहीं पाई है। अब अंबिका ने हिम्मत दिखाकर अपनी जान तो बचा ली। उसके होंसले को मेरा भी सम्मान। लेकिन कोई गुलदार के आतंक का शिकार ना हो इस पर काम होना चाहिए।