जी हां दोस्तो उत्तराखंड की राजनीति एक बार फिर गरमा गई है, कांग्रेस नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य और प्रीतम सिंह के अचानक इस्तीफे ने न सिर्फ पार्टी कार्यकर्ताओं को चौंका दिया है, बल्कि पूरे संगठन को झकझोर कर रख दिया। Yashpal Arya And Pritam Singh Resigned ऐसे में कांग्रेसकी नाव 27 में कैसे लगेगी पार। कांग्रेस के दो वरिष्ठ नेताओं ने इस्तीफा दिया जिससे कांग्रेसी कार्यकर्ताओ में चिंता देखने को मिली। दोस्तो यह घटना सिर्फ एक व्यक्ति का इस्तीफा नहीं, बल्कि 27 की जंग के लिए काफी अहम हो सकता है। दोस्तो उत्तराखंड की ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण के भराड़ीसैंण विधानसभा का मॉनसून सत्र दो दिन भी सही से नहीं चला सका। हंगामे के चलते मॉनसून सत्र में सिर्फ 2 घंटे 40 मिनट ही चल पाया। मॉनसून सत्र में प्रश्नकाल भी नहीं हुआ। वहीं बीजेपी सरकार की कार्यशैली से नाराज नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य और कांग्रेस विधायक प्रीतम सिंह ने कार्यमंत्रणा समिति के सदस्य पद से इस्तीफा दे दिया है। इसको लेकर दोनों की तरफ से एक लेटर भी जारी किया गया है। दोस्तो आगे में आपको बताऊंगा की यशपाल आर्य और प्रितम सिंह के इस्तीफा देने से कैसे कांग्रेस के लिए 2017 विधानसा चुनाव की राह और मुश्किल होने जा रही है, लेकिन इधर बीजेपी पर लगाया मनमानी का आरोप। नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य और कांग्रेस विधायक प्रीतम सिंह ने विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी को अपना इस्तीफे भेजा है। त्यागपत्र के जरिए दोनों नेताओं ने कहा कि पिछले कई विधानसभा सत्रों में कार्यमंत्रणा समिति में संख्या बल के आधार पर मनमानी का माहौल हो रहा है।
19 अगस्त को कोई बैठक नहीं बुलाई गई, लेटर में साफ लिखा है कि वर्तमान मॉनसून सत्र में कार्यसमिति की बैठक से पहले सभी सदस्यों को मॉनसूत्र सत्र का संभावित कार्यक्रम भेजा गया था, जिसके तहत भराड़ीसैंण में मॉनसून सत्र 19 अगस्त से 22 अगस्त तक आहूत होना था। 18 अगस्त को बुलाई गई कार्यमंत्रणा समिति बैठक में केवल 19 अगस्त के उपवेशन कार्यक्रम तय किया गया था। 19 अगस्त के उपवेशन के बाद दोबारा बैठक बुलाने की बात कही गई थी, लेकिन 19 अगस्त को कोई बैठक नहीं बुलाई गई। दगड़ियों इतना भर नहीं है, कार्यमंत्रणा समिति के सदस्यों को विश्वास में नहीं लिया गया। विधायक प्रीतम सिंह का कहना है कि आज 20 अगस्त को भी दोपहर बाद सत्र को अनिश्चित काल के लिए अवसान कर दिया। सरकार को ये निर्णय लेने से पहले कार्यमंत्रणा समिति की बैठक बुलानी चाहिए और कार्यमंत्रणा समिति के सदस्यों को विश्वास में लेना चाहिए था, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। दगड़ियों कांग्रेस का कहान है कि तानाशाहीपूर्ण रवैया अपना रही बीजेपी। नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य और कांग्रेस विधायक प्रीतम सिंह का आरोप है कि सरकार सदन को चलाने में अपना तानाशाहीपूर्ण रवैया अपना रही है। भराड़ीसैंण में आहूत सदन को दो दिनों के भीतर स्थगित करना उत्तराखंडवासियों के साथ बहुत बड़ा धोखा है। दोस्तो जब कार्यमंत्रणा समिति में सभी फैसले एक तरफा लिए जाने हैं तो ऐसी कार्यमंत्रणा समिति में हमारे सदस्य के रूप में रहने का कोई मतलब नहीं है। लिए नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य और कांग्रेस विधायक प्रीतम सिंह दोनों ने कार्यमंत्रणा समीति के सदस्य से पद से इस्तीफा दे दिया।
बता दें कि कार्यमंत्रणा समीति का काम सदन में सरकारी कामकाज और अन्य कार्यों के लिए समय का आवंटन करना है। जिससे सदन की कार्यवाही सुचारू रूप से चल सके, लेकिन अगर अब ये काम यशपाल आर्य और प्रितम सिंह नहीं करेंगे जो पार्टी के वरिषठ नेता है तो फिर कौन करेगा। दोस्तो जिस पद से दोनों ने इस्तीफा दिया है इस पद को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। विपक्ष की बातों बैठकों में रखना औरअपनी राय और बात रखना ताकि सरकार पर एक तरह से दबाव डाला जा सके। अब इन दोनों के इस्तीफे के बाद ये कहा जा सकातहै कि कार्यमंत्रणा समीति के सदस्य के तौर पर किसी और को चुनना होगा..कांग्रेस और कांग्रेस हाई कमान को टेंशन इस बात की भी होगी, कि जो लोग इस समिति का हिसा हो वो 27 चुनाव से पहले सरकार को घेरने में सक्षम हो। क्योंकि अभी चुनाव तक ना चाने कितनी ऐसी बैठकें होंगी जहां कांग्रेस सदस्यों की भूमिका महत्वपूर्ण रहेगी, लेकिन दो बड़े नेताओं के इस्तीफे से कांग्रेस बैकफुच पर आ सकती है। खैर दोस्तो इधर विधायक प्रीतम सिंह ने साफ किया है कि अब वो जनता की लड़ाई सड़क पर लड़ेंगे। आज शाम को कांग्रेस के सभी नेता भराड़ीसैंण में मोमबत्ती चलाकर अपना विरोध प्रदर्शन भी किया। उसके बाद वो इस लड़ाई को सड़क पर लड़ेंगे। वहीं सदन की कार्यवाही मात्र 2 घंटे 40 मिनट ही चल पाई। इस पर प्रीतम सिंह ने कहा कि सदन चलाने की जिम्मेदारी उनकी नहीं, बल्कि सरकार और विधानसभा अध्यक्ष की है। कांग्रेस का आरोप: प्रीतम सिंह ने साफ किया है कि प्रदेश में बिगड़ती कानून-व्यवस्था को लेकर कांग्रेस, बीजेपी सरकार को घेरना चाहती थी, लेकिन पंचायत चुनाव में जिस तरह के सत्ता का दुरुपयोग किया गया है, कांग्रेस उसे सदन में उठाना चाहती थी, लेकिन उस पर सदन में कोई चर्चा नहीं हुई।