जी हां वो उत्तराखंड का बेटा पढ़ने लिखने के लिए विदेश गया था, लेकिन उसकी वापसी एक ताबूत में हुई। परिवार में कोहराम है, बहुत से सवाल हैं, कैसे एक छात्र को जबरन युद्ध में धकेल दिया गया और वो किसी भी सेना का हिस्सा ना होने के बावजूद शहीद हो गया। Indian student dies in Ukraine war इस शहादत की पूरी कहानी लेकर आया हूं दोस्तो। कैसे एक छात्र को कोई देश युद्द में धकेल सकता है, इस सवाल के अलावा कई सवाल हैं। दोस्तो स्टडी वीजा पर रूस गए भारतीय छात्र की यूक्रेन युद्ध में मौत हो गई, ताबूत में लौटा शव तो परिवार में मातम पसर गया। बताया तो ये भी जा रहा है कि उत्तराखंड के इस छात्र ने विदेश मंत्रालय से सुरक्षा की गुहार लगाई थी, तो ऐसा क्या हुआ कि वो ताबूत में अपने देश लौटा, दौस्तो उत्तराखंड के छात्र की मौत ने परिवार और देश को झकझोर दिया। दोस्तो यूक्रेन युद्ध में भेजे जाने का आरोप लगाते हुए रूस गए 30 वर्षीय राकेश कुमार का शव अब ताबूत में भारत लौटा है। परिजन और अधिकारी मौत के कारणों पर चुप्पी साधे हुए हैं, जबकि सवाल खड़े हो रहे हैं—क्या सच में उसे जबरन युद्ध में भेजा गया था? दोस्तो परिवार की 15 सालों की चिंता और विदेश मंत्रालय से की गई गुहार के बीच अब राकेश की मौत ने कई सवालों को जन्म दे दिया है। दोस्तो स्टडी वीजा पर पढ़ाई के लिए रूस गए उत्तराखंड के छात्र का शव ताबूत में भारत लौटा है। युवक उधमसिंह नगर जिले का रहने वाला था।
परिजनों ने पूर्व में युवक को जबरन रूसी सेना में भर्ती कर यूक्रेन युद्ध में भेजने का आरोप लगाया था हालांकि, अब मौत के कारणों को लेकर परिजन और प्रशासन के अधिकारी चुप्पी साधे हुए हैं। परिजन बताते हैं कि वह पांच महीने पहले पढ़ाई के लिए रूस गया था। दोस्तो जानकारी के मुताबिक शक्तिफार्म कुसमोठ निवासी दीपू मौर्य ने पांच सितंबर को विदेश मंत्रालय को ई-मेल भेजकर अपने भाई राकेश कुमार की सकुशल वापसी की गुहार लगाई थी। दीपू के अनुसार, उसका भाई 30 वर्षीय राकेश कुमार इसी वर्ष 7-8 अगस्त को स्टडी वीजा पर रूस गया था। रूस पहुंचने के बाद राकेश ने फोन पर परिजनों को बताया था कि वह बेहद कठिन हालात में है। दोस्तो 30 अगस्त को राकेश से अंतिम बार बातचीत हुई थी। बातचीत के दौरान राकेश ने आरोप लगाया था कि उसे जबरन रूसी सेना में भर्ती कर लिया गया है और प्रशक्षिण के बाद यूक्रेन युद्ध में भेजा जा रहा है। इसके बाद राकेश से परिजनों का संपर्क पूरी तरह टूट गया। तब परिजनों का कहना था कि उन्होंने इस संबंध में भारत सरकार और विदेश मंत्रालय से कई बार गुहार लगाई, लेकिन कोई ठोस आश्वासन नहीं मिला। उस समय यह भी बताया गया था कि राकेश ने रूसी सेना की वर्दी में अपनी फोटो परिजनों को भेजी थी। इसके बाद परिजन परेशान रहे। अब दोस्तो एक चर्चा ये कि राकेश की मौत यूक्रेन युद्ध के दौरान हुई, लेकिन इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं हो सकी।
प्रशासन और पुलिस के अधिकारी मौत के कारणों को लेकर कोई साफ जानकारी नहीं दे रहे हैं। शव पहुंचने के दौरान घर पर और अंतिम संस्कार के दौरान परिजनों ने मीडिया एवं जनप्रतिनिधियों से दूरी बनाए रखी। जनप्रतिनिधियों और मीडियाकर्मियों को विरोध का भी सामना करना पड़ा। इधर सोशल मीडिया पर राकेश के दोस्त हनी सिंह ने पोस्ट कर दावा किया कि राकेश दिल्ली एयरपोर्ट आ रहा है, लेकिन इसके बाद स्थिति स्पष्ट नहीं हो सकी। राकेश का परिवार 15 वर्षों से शक्तिफार्म में रह रहा है। परिवार मूलरूप से ग्राम पलिया गुर्जर, थाना दातागंज, जिला बदायूं (उत्तर प्रदेश) का निवासी है। राकेश के पिता सिडकुल की एक कंपनी में नौकरी करते हैं। उत्तराखंड के छात्र राकेश कुमार की मौत की रहस्यमय कहानी का यहीं अंत हो जाएगा या इसके पीछे की वो सच्चाई सामने आ पाएगी, जो अब तक छिपाई जा रही है। परिजनों की पीड़ा और सवाल अब भी बरकरार हैं, जबकि अधिकारियों ने साफ जानकारी साझा नहीं की है। दोस्तो ये मामला न सिर्फ परिवार के लिए बल्कि देश के लिए भी चिंता का विषय बन गया है।