जी हां दोस्तो अपनी देवभूमि में एक और अवैध मस्जिद पर हो गई बड़ी कार्रवाई, कार्रवाई से हुआ वो खुलासा जिसने शासन प्रशान के अधिकारियों के भी होश उड़ा दिए। मस्जिद निर्माण से लेकर संचालन तक खूब उड़ी नीयमों की धज्जियां, तो एमडीडी को लेना पड़ा ये एक्शन, पूरा एक्शन कैसे और क्यों लिया गया वो देखिए मेरी इस रिपोर्ट में। Illegal Mosque and Madrasa Demolition दोस्तो एक तरफ अवैध रुप से कब्जाई गई जमीन पर मजार, मस्जिदों का बन जाना। वहीं दूसरी ओर कार्रवाई से खुल रहे हैं ऐसे-ऐसे राज कि क्या कहने, लेकिन ये देवभूमि कैसे और क्यों, दोस्तो जरा इस तस्वीर को देखिए आपको क्या लगता है। ये कोई घर है या धार्मिक स्थल, यानि मस्जिद, ये तस्वीर ये बड़ी खबर अपने देहरादून जिले के डोईवाला की हैं। जहां बिना अनुमति आवासीय भवन में एक मस्जिद ना सिर्फ बनाई गई, बल्कि उसको संचालित भी किया जा रहा था। दोस्तो इसी इन्तजामिया कमेटी जामा मस्जिद पर एमडीडीए की कार्रवाई हुई है। एमडीडीए ने नियमों के पालन पर जोर देते हुए भारी पुलिस बल के बीच बिना नक्शे के बन रही जामा मस्जिद को सील कर दिया है। दोस्तो कहा ये जा रहा है कि मसूरी-देहरादून विकास प्राधिकरण (एमडीडीए) ने अपने अधीन क्षेत्र में अवैध निर्माण और बिना स्वीकृति किए जा रहे विकास कार्यों के खिलाफ सख्त रुख अपनाते हुए विधि-सम्मत कार्रवाई की है।
प्राधिकरण द्वारा ये कार्रवाई ग्राम कण्डोगल, कुड़ियाल गांव, थानों तहसील डोईवाला, देहरादून में स्थित एक प्रकरण में की गई है। यहां बिना अनुमति के पूर्व निर्मित आवासीय भवन के पहली और दूसरी मंजिल पर मस्जिद का संचालन किया जा रहा था। दोस्तो वो कहते हैं एक चोरी ऊपर से सीना जोरी, ऐसा कुछ यहां इस मामले में भी हुआ। हैरानी तो तब होती है दोस्तो जब इंतजामिया जामा मस्जिद कमेटी ने कारण बताओ नोटिस का जवाब तक नहीं दिया। प्राधिकरण के संज्ञान में आने पर यह पाया गया कि विपक्षी प्रबन्धक, इन्तजामिया कमेटी जामा मस्जिद ग्राम कण्डोगल द्वारा लगभग 20 गुणा 40 फीट के क्षेत्रफल में बिना मानचित्र स्वीकृति एवं बिना अनुमति के निर्माण एवं संचालन किया जा रहा है। इस पर एमडीडीए द्वारा 21 नवंबर 2024 को उत्तराखण्ड नगर एवं ग्राम नियोजन और विकास अधिनियम, 1973 की सुसंगत धाराओं के अंतर्गत कारण बताओ नोटिस जारी करते हुए निर्माण एवं विकास कार्य पर रोक लगा दी गई थी। दोस्तो यहां बस इतना भर नहीं है इधर इम मामले में सुनवाई के लिए बकायदा तारीख तय की गईं, लेकिन विपक्षी की ओर से किसी भी तारीख पर कोई संतोषजनक जवाब नहीं आया और ना ही आवश्यक दस्तावेज प्रस्तुत नहीं किए गए। अवर अभियन्ता एवं सहायक अभियन्ता की आख्या में यह भी साफ किया गया कि, उत्तराखण्ड मदरसा शिक्षा परिषद, देहरादून के पत्र संख्या 673 दिनांक 25 मार्च 2025 के अनुसार थानो न्याय पंचायत क्षेत्र में कोई भी मदरसा परिषद में पंजीकृत अथवा मान्यता प्राप्त नहीं है।
वहीं उत्तराखण्ड वक्फ बोर्ड के पत्र संख्या 1493 दिनांक 22 मार्च 2025 में भी संबंधित क्षेत्र में किसी मस्जिद के वक्फ अभिलेखों में दर्ज न होने की पुष्टि की गई है। दोस्तो मस्जिद कमेटी पर जानबूझकर मामला लटकाने का आरोप लगा है। विपक्षी द्वारा आज तक कोई शमन मानचित्र प्रस्तुत न किए जाने और बार-बार शिकायतें प्राप्त होने के चलते यह प्रतीत हुआ कि प्रकरण को जानबूझकर लंबित रखा जा रहा है। उपलब्ध अभिलेखों, अभियन्ताओं की आख्या और उत्तराखण्ड नगर एवं ग्राम नियोजन और विकास अधिनियम, 1973 की विभिन्न धाराओं के अंतर्गत प्राधिकरण ने समस्त अवैध निर्माण के विरुद्ध सीलिंग आदेश पारित किए गये थे, जिसे पुलिस बल की मौजूदगी में प्राधिकरण की टीम द्वारा सील कर दिया गया। दोस्तो इस मामले में एमडीडीए उपाध्यक्ष बंशीधर तिवारी कहते हैं कि, प्राधिकरण क्षेत्र में बिना स्वीकृति किए गए किसी भी निर्माण को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। संबंधित प्रकरण में सभी पक्षों को सुनवाई का पूरा अवसर दिया गया, लेकिन नियमों का पालन नहीं किया गया। शहर के सुनियोजित विकास, सुरक्षा और पारदर्शिता को बनाए रखने के लिए ऐसी विधिसम्मत कार्रवाई आवश्यक है और भविष्य में भी यह अभियान जारी रहेगा। वैसे दोस्तो यहां ऐसा लगता है कि उत्तराखंड में अवैध मजार मस्जिदों की बाढ़ सी आ गई है, कहीं कुछ तो कुछ हो रहा है। बीते कुछ हफ्तों से ऐसी तस्वीरें जम कर हमारे आपके सामने आई जहां अवैध अतिक्रमण कर बहुत कर बदलने की कोशिश की गई है। एमडीडीए की इस सख्त कार्रवाई से स्पष्ट संदेश गया है कि नियमों और स्वीकृति के बिना किसी भी निर्माण को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। डोईवाला की इस मस्जिद सीलिंग ने यह भी याद दिला दिया कि शहर के सुनियोजित विकास, सुरक्षा और पारदर्शिता बनाए रखना प्राधिकरण की प्राथमिकता है। आने वाले दिनों में भी ऐसी कार्रवाई लगातार जारी रहने की संभावना है।