चमोली: जल, जंगल और जमीन में हक हकूक के दावों और हरेला पर्व पर आम लोगों की सहभागिता बढ़ाने की कोशिशों के बीच उत्तराखंड के चमोली जिले का एक ऐसा वीडियो वायरल हुआ है, जिसमें कई सवाल खड़े कर दिए हैं। ग्रामीण महिलाओं से घास छीनने का मामला अब तूल पकड़ने लगा है। सोशल मीडिया पर इस घटना को लेकर मौजूद अधिकारियों की निंदा की जा रही है। वहीं, अब वन मंत्री सुबोध उनियाल ने मामले की जांच जिलाधिकारी से कराए जाने की बात कहते हुए उक्त महिलाओं को ही गलत ठहरा दिया है।
बता दे, मामला चमोली के हेंलँग का है जहाँ THDC कम्पनी की जल विद्युत परियोजना का काम चल रहा है। वर्षो से जहाँ गाँव के लोग अपने पालतू पशुओं के लिए जिन चारागाह से चारापत्ती काटते थे अब उस पर भी रोक लग गई है। बीते 15 जुलाई को इसी मामले में स्थानीय महिलाओं से सीआईएसएफ औऱ स्थानीय पुलिस ने नोकझोंक भी की औऱ उनको उठाकर नजदीकी पुलिस स्टेशन भी ले जाया गया जहाँ बाद में उनका चालान भी हुआ। ग्रामीणों ने बताया कि THDC द्वारा उनके पारंपरिक चारागाह को खत्म किया जा रहा है। नोकझोंक का यह वीडियो वायरल होगया।
जैसे ही यह वीडियो सोशल मीडिया पर सामने आया तो कई सामाजिक और राजनीतिक संगठनों समेत आम लोगों ने भी घटना की निंदा करनी शुरू कर दी। बड़ी बात यह है कि अभी तक इस घटना को लेकर लोग सरकारी सिस्टम को कोस ही रहे थे। लेकिन उत्तराखंड के वन मंत्री सुबोध उनियाल ने एक ऐसा बयान दे दिया जो शायद आम लोगों को नागवार गुजर सकता है। सुबोध उनियाल ने कहा कि जिस भूमि की बात की जा रही है, वह एनटीपीसी के पास है। यहां पर मैदान बनाया जाना प्रस्तावित है। इसका कुछ परिवार विरोध कर रहे हैं और यह पूरा मामला उसी विरोध से जुड़ा हुआ है। ऐसे में जिलाधिकारी की जांच के बाद ही साफ हो पाएगा कि आखिर यह पूरा मामला क्या था और क्यों इस पर इतना विवाद हुआ है।