उत्तराखंड में उस वक्त अजीबो-ग़रीब नज़ारा देखने को मिला जब रामलीला मंच से सीधे राम, रावण और हनुमान थाने में जा धमके! Uttarakhand Ramlila Performance परमिशन न मिलने से नाराज़ ‘मर्यादा पुरुषोत्तम’ खुद पुलिस के दरबार में न्याय मांगने पहुंचे — और पीछे-पीछे चले आए लंका पति रावण और बजरंगबली हनुमान भी! राम बारात की मंजूरी न मिलने पर रामलीला के ये किरदार मंच छोड़ सड़क पर उतर आए, और थाने में शुरू हो गया रामायण पार्ट-2। दोस्तो खबर कुछ यूं है कि जब नहीं मिली राम बारात की परमिशन, मच गया बवाल, राम-रावण पहुंच गए थाने, रामलीला छोड़ भाइयों के साथ प्रदर्शन करने थाने पहुंच गए राम, साथ में थे रावण और हनुमान। दोस्तो रामलीला पर रोक: ऋषिकेश में कलाकारों का फूटा गुस्सा, राम-रावण थाने पहुंचे। उत्तराखंड के ऋषिकेश में दशहरे से पहले एक बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। सुभाष बनखंडी क्षेत्र की 70 साल पुरानी श्रीरामलीला को लेकर प्रशासन और आयोजकों के बीच टकराव की स्थिति बन गई है। रामलीला कमेटी का आरोप है कि प्रशासन ने राजनीतिक दबाव में आकर इस बार राम बारात और रावण दहन की अनुमति नहीं दी है। साथ ही आयोजकों पर झूठे मुकदमे दर्ज किए जा रहे हैं, जिससे उन्हें आयोजन से रोका जा सके। इस घटना से नाराज़ होकर रामलीला में अभिनय करने वाले कलाकार राम, लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न, सीता, हनुमान और रावण की वेशभूषा में थाने पहुंच गए और विरोध प्रदर्शन किया। उन्होंने कहा कि अगर परंपरा निभाना अपराध है तो उन्हें गिरफ्तार कर लिया जाए।
श्रीरामलीला कमेटी का कहना है कि यह आयोजन पिछले सात दशकों से लगातार होता आ रहा है। हर साल रामलीला, राम बारात और अंत में रावण दहन किया जाता है। हजारों लोग इसमें भाग लेते हैं। इस बार भी सारी तैयारियां पूरी थीं, लेकिन आखिरी समय पर प्रशासन ने अनुमति रोक दी। इतना ही नहीं दोस्तो कमेटी का दावा है कि यह निर्णय किसी राजनीतिक दबाव के चलते लिया गया है। कुछ लोगों द्वारा जानबूझकर आयोजन में अड़चनें डाली जा रही हैं, वहीं दोस्तो कलाकारों ने दिया गिरफ्तारी का प्रस्ताव। थाने पहुंचे कलाकारों ने कहा कि अगर रामलीला करना अब गैरकानूनी है तो उन्हें गिरफ्तार किया जाए। पुलिस प्रशासन के खिलाफ नारेबाज़ी की गई और सभी कलाकारों ने एक सुर में कहा कि परंपरा को रोकने की ये कोशिश बर्दाश्त नहीं की जाएगी। उन्होंने साफ कहा कि यह सिर्फ धार्मिक आयोजन नहीं है, बल्कि लोगों की आस्था और पहचान से जुड़ा हुआ मामला है। इसके अलावा दोस्तो रामलीला कमेटी ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से इस पूरे मामले में हस्तक्षेप करने की मांग की है। उन्होंने कहा कि अगर आयोजन की अनुमति नहीं दी गई तो वे आंदोलन को और तेज करेंगे। समिति का कहना है कि यह कोई आम कार्यक्रम नहीं है जिसे रोका जा सके। यह परंपरा है, जो किसी एक व्यक्ति या पार्टी की नहीं, पूरे समाज की है।
वहीं दोस्तो दूसरी तरफ स पूरे विवाद पर प्रशासन की तरफ से अब तक कोई स्पष्ट बयान सामने नहीं आया है। न ही अनुमति न देने के कारणों की आधिकारिक जानकारी दी गई है, हालांकि स्थानीय स्तर पर चर्चा है कि आयोजन से जुड़े कुछ पुराने विवादों और आपसी गुटबाज़ी की वजह से यह निर्णय लिया गया है। लेकिन सवाल ये है कि इन कारणों से क्या पूरे आयोजन को ही रोका जा सकता है? दोस्तो अब नवरात्र में राम की लीला का मंचन हो तो आम जनता के मन में भी कई सवालों का आना स्वभाविक है। ऐसे में सोशल मीडिया पर भी इस घटना को लेकर नाराज़गी देखी जा रही है। लोग पूछ रहे हैं कि जब सरकार धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने की बात करती है, तो एक परंपरागत आयोजन पर रोक क्यों?कई लोग ये भी कह रहे हैं कि अगर रामलीला के लिए भी परमिशन की राजनीति होगी तो आने वाले समय में बाकी धार्मिक आयोजनों पर भी सवाल उठेंगे। दोस्तो स पूरे मामले ने साफ कर दिया है कि परंपराएं अब सुरक्षित नहीं हैं। जिन आयोजनों को लोग वर्षों से करते आ रहे हैं, वे भी अब राजनीतिक और प्रशासनिक स्वार्थों के बीच फंस गए हैं। रामलीला सिर्फ मंचन नहीं, समाज की आस्था और सांस्कृतिक पहचान का हिस्सा है। अगर ऐसे आयोजनों पर भी दबाव और राजनीति हावी होगी, तो यह सिर्फ कलाकारों की नहीं, पूरे समाज की हार होगी।अब सबकी नजर इस बात पर है कि क्या मुख्यमंत्री इस मामले में दखल देंगे या राम, लक्ष्मण और रावण को यूं ही थाने के चक्कर लगाने पड़ेंगे।