ये तो होना ही था… | Pauri Garhwal | Leopard Attack | Uttarakhand News |

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जी हां दोस्तो ये तो होना ही था, अभी नहीं तो फिर कभी होता होता। पौड़ी में नहीं तो कहीं और होता, लेकिन होता जरुर क्यों लोगों के सब्र का बांद टूट गया क्यों लोगों ने समस्या के समाधान के लिए पहुंचे कर्मचारियों को ही बंधक बना लिया और फिर पहुंचे विधायक साहब ऐसा घेरा की। नेता जी पूरी तरह से घिरे दिखाई दिए। Terror Of Leopard Pauri वो कितनी बड़ी चुनौती अपने उत्तराखंड वालों के लिए बन चुका है। दोस्तो पौड़ी गढ़वाल के शांत पहाड़ों में दहशत की एक ऐ सी दहाड़ गूँजी.. जिसने पूरे इलाके की सांसें थाम दी। गजल्ट गाँव की वही पगडंडी। जहाँ रोज सुबह पूजा करने जाता था एक सरल-सा इंसान। उसी रास्ते पर मौत घात लगाए बैठी थीएक पल बस एक पल में, जंगल की झाड़ियों से छलांग लगाता गुलदार और उसके बाद चीखों से काँप उठता पूरा गाँव। गुलदार के आतंक से दहशतग्रस्त ग्रामीण अब फट पड़े हैं। वन विभाग पर लापरवाही के आरोप, कर्मचारियों को कैद किया गया और गाँव में घमासान तब बढ़ गया, जब मौके पर पहुंचे विधायक राजकुमार पोरी को भी ग्रामीणों ने घेर लिया। दोस्तो उत्तराखंड के पौड़ी जिले में इन दिनों गुलदार और भालुओं के आतंक से लोग परेशान है।

गुलदार ने पौड़ी विकासखंड के गजल्ट गांव में एक व्यक्ति पर हमला किया, जिससे उसकी व्यक्ति मौके पर ही मौत हो गई. इस घटना से आक्रोशित ग्रामीणों ने वन विभाग पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए उनके कर्मचारियों को एक कमरे में बंद कर विरोध प्रदर्शन किया। ग्रामीणों की मांग है कि लगातार हो रहे हमलों को देखते हुए तत्काल गुलदार को शूट करने की अनुमति दी जाए, ताकि लोगों की जान बच सके. ग्रामीणों ने बताया कि क्षेत्र में लंबे समय से गुलदार की गतिविधियां बढ़ी हुई हैं और कई बार इसकी सूचना विभाग को दी जा चुकी है, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई। उनका कहना है कि यदि समय रहते कदम उठाए जाते तो आज यह दुखद घटना नहीं होती। दोस्तो लगातार बढ़ती घटनाओं से स्थानीय लोग दहशत में हैं और गांव में शाम ढलते ही लोगों का घरों से निकलना मुश्किल हो गया है। ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि यदि जल्द ठोस कार्रवाई नहीं की गई, तो वे आंदोलन के लिए मजबूर होंगे। जानकारी के मुताबिक गजल्ट गांव निवासी 45 साल से राजेंद्र नौटियाल रोजाना की तरह मंदिर में पूजा-अर्चना करने गए थे। वहीं से लौटते समय जंगल के रास्ते पर घात लगाए बैठे गुलदार ने उन पर अचानक हमला कर दिया। गुलदार के हमले की तीव्रता इतनी भयानक थी कि राजेंद्र ने मौके पर ही दम तोड़ दिया. हमले की जानकारी मिलते ही गांव में चीख-पुकार मच गई। परिवार में कोहराम, गांव में मातम और पूरे क्षेत्र में दहशत का माहौल पसर गया। इलाके में लगातार हो रहे गुलदारों के हमलों के कारण ग्रामीणों को गुस्सा फूट पड़ा. उन्होंने राजेंद्र नौटियाल की मौत पर गांव में पहुंचे वन विभाग के कर्मचारियों को घेर लिया और ग्रामीण भवन के एक कमरे में बंद कर दिया।

ग्रामीणों का आरोप है कि वन विभाग केवल औपचारिकता निभा रहा है। गुलदार के आतंक पर नियंत्रण के लिए कोई ठोस कार्रवाई नहीं होती। वन विभाग की इसी लापरवाही के कारण आज एक व्यक्ति की मौत हो गई। ग्रामीणों ने साफ कहा है कि जब तक डीएफओ सहित उच्च अधिकारी गांव में नहीं पहुंचते और गुलदार को शूट करने का आदेश जारी नहीं करते, तब तक वे कर्मचारियों को नहीं छोड़ेंगे तब तक उनका आंदोलन भी जारी रहेगा। दोस्तो ग्रामीणों ने कहना है कि गुलदार के डर से महिलाएं और बच्चे घर से बाहर निकलने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे हैं. रात तो दूर, दिन में भी सुनसान क्षेत्र में जाना जोखिम भरा हो गया है। हालात बिगड़ते देख रेंजर दिनेश नौटियाल मौके पर पहुंचे और लोगों को शांत करने का प्रयास किया। उन्होंने बताया कि घटना स्थल के आसपास पिंजरा लगाया जाएगा. स्थिति पर नजर रखने के लिए ट्रैप कैमरे लगाए जाएंगे। गुलदार को शूट करने की अनुमति के लिए उच्च अधिकारियों को पत्र भेजा गया है। वहीं एक और तस्वीर दिखा रहा देखिए। जी हां दोस्तो पौडी विधायक राजकुमार पोरी के गांव पहुंचने पर ग्रामीणों ने विधायक को घेरा,और जमकर खरी खोटी सुनाई। वहीं ग्रामीणों ने गुलदार को मारने की मांग उठाई। तो दोस्तो गजल्ट गाँव की ये दर्दनाक कहानी सिर्फ एक घटना नहीं, बल्कि उस भय का चेहरा है जिसे पहाड़ के लोग हर दिन झेल रहे हैं..एक तरफ डर से सहमे बच्चे, घरों में कैद महिलाए और दूसरी तरफ वो रास्ते, जहाँ कभी शांति थी, अब मौत मंडरा रही है। गुलदार के बढ़ते हमले, वन विभाग पर ग्रामीणों का गुस्सा, कर्मचारियों की कैद और अब विधायक तक को घेर लेने की नौबत—ये बताता है कि स्थिति कितनी विकराल हो चुकी है। प्रशासन कब जागेगा? कब पहाड़ के लोग चैन की साँस लेंगे? और कब तक एक-एक जान यूँ ही जंगल के साए में खत्म होती रहेगी?