सितंबर में ही पड़ गई बर्फ ! | Uttarakhand News | Heavy Rain | SnowFall |

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उत्तराखंड में सितंबर की दस्तक और बर्फ ने ओढ़ ली चोटियां, मौसम दे रहा बड़ा संकेत ?उत्तराखंड की ऊंची चोटियों ने सितंबर की शुरुआत में ही बर्फ की चादर ओढ़ ली है। मौसम ने अचानक करवट ली और गर्मी से राहत की उम्मीद कर रही वादियों में बर्फबारी ने दस्तक दे दी। क्या ये सामान्य बदलाव है या पहाड़ों में मौसम कुछ असामान्य कहानी बुन रहा है? दगड़ियो उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में बर्फ गिरने की शुरुआत हो चुकी है। उत्तराखंड ही नहीं हिमाचल के 4 जिलों में चोटियों पर बर्फबारी हो चुकी है, मनाली के पहाड़ भी हुए सफेद, क्य़ा जल्दी आएंगी सर्दियां? इस सवाल के साथ एक और सवाल है कि क्या ये मौसम का कोई संकेते हैं। पूरी जानकारी इस वीडियो के जरिए आप तक पहुंचाने जा रहा हूं दोस्तो आप से गुजारिश ये है कि आप अंत तक मेरे साथ इस वीडियो में बने रहे हैं ताकि हर बात बेहतर तरीके से आप तक पहुंचा सकूं। दगड़ियो आपको उत्तराखंड की चोटिंयों में सितंबर की शुरूआत में ही बर्फ की कहानी बताउं, उससे पहले आपको हिमाचल प्रदेश के पहाड़ियों में गिरी सीजन की पहली बर्फ के बारे में बताता हूं।

ये सब तो हम सभी जानते हैं कि दोनों ही राज्यों में बहुत कुछ समान है, ऐसी समानता बर्फबारी को लेकर भी है, क्योंकि हिमाचल में एक नहीं चार जिलों की चोटियां सफेद चादर में लिपटी हुई दिखाई दे रही है, लेकिन हिमाचल प्रदेश में मौसम का ताडंव किसी से छुपा नहीं है। मौसम के अजब-गजब रंग भी देखने को मिल रही है, प्रदेश में सर्दियों का सीजन शुरू होन से पहले ही बर्फबारी होने लगी है। प्रदेश के किन्नौर, लाहौल स्पीति, चंबा और कुल्लू के मनाली के सामने ऊंची पहाड़ियों पर सोमवार को बर्फबारी हुई है ऐसे में मौसम के अजब गजब रंग देखने को मिल रहे हैं। दगड़ियो जानकारी के अनुसार, सितंबर महीने में बेहद कम बार बर्फबारी देखने को मिलती थी। चंबा, लाहौल स्पीति और किन्नौर की सबसे ऊंची चोटियों पर मॉनसून सीजन के दौरान हल्की बर्फबारी हो जाती थी। लेकिन इस बार प्रदेश में लगातार बारिश की वजह से चोटियों अभी से सफेद होने लगी हैं, दरअसल, दगडियो सोमवार को किन्नौर के किन्नर कैलाश, चंबा के मणिमहेश, मनाली के सामने हनुमान टीबा और फ्रेंडशिप पीक पर बर्फबारी दर्ज की गई है। इसके बाद बहुत से सवालों के जवाब खोजे जाने लगे हैं दगड़ियों कि हो क्यों रह हैं। उन सवालों के बारे में आगे आपको बताउंगा, लेकिन इसे ग्लोबल वार्मिंग के साथ जोड़कर देखा जा रहा है। आम तौर पर लाहौल स्पीति में दर्रों पर गर्मियों में बर्फबारी होना आम बात थी, लेकिन इस बार मौसम के अलग नजारे देखने को मिल रहे हैं। गौर करने वाली बात है कि ऐसे में बड़ा सवाल यह भी है कि क्या इस बार सर्दियां पहले ही दस्तक दे देंगी।

ऐसा ही कुछ उत्तराखंड में देखने को मिलेगा, क्योंकि उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों में सितंबर के शुरुआत में बर्फ पड़ती दिखी है। उत्तराखंड की बात करने से पहले हिमाचल वाली बात को पूरा कर लेता हूं, क्योंकि दोनों प्रदेश का मौसम आम तौर पर एक जैसा ही होता है। दगड़ियो एक जानकारी ये है कि हिमाचल के मणिमहेश यात्रा के दौरान बारिश के चलते अब भी कुछ लोग ट्रैक पर फंसे हुए है। ऐसे में आपदा प्रबंधन की टीम ने रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया है और सोमवार को मणिमहेश झील, कुगती, गैधर, हनुमान शिला और परिक्रमा मार्ग के आसपास सर्च अभियान चलाया गया था हालांकि, यहां पर बारिश और बर्फबारी के बाद सर्च ऑपरेशन रोकना पड़ा और टीम को वापस बुलाया गया है। इसके अलावा दोस्तो हिमाचल प्रदेश में मॉनसून सीजन में अगस्त महीने में बारिश ने 77 साल पुराना रिकॉर्ड तोड़ा है, इससे पहले, 1948 में अगस्त महीने में इतनी भंयकर बारिश हुई थी। शिमला में मौसम विभाग के वैज्ञानिक बताते हैं कि अगस्त में 434 मिलीमीटर बारिश दर्ज की गई है, जो 1948 के बाद सबसे ज्यादा है। वर्ष 1948 में 456 मिलीमीटर बारिश दर्ज की गई थी, जबकि 1927 में 542 मिलीमीटर बारिश हुई थी। अब दगड़ियो अपने उत्तराखंड की करता हूं कि कैसे सितंबर की शुरुआत में ही बर्फबारी, चोटियों में सीजन का पहला हिमपात हो गया और ये क्या कहता है क्योंकि इससे पहले कि तस्वीर तो हम सब देख ही रहे हैं। दगड़ियो उत्तराखंड की राजधानी देहरादून से लेकर विभिन्न जिलों तक इन दिनों भारी बारिश का सिलसिला जारी है। इतना ही नहीं बल्कि लगातार हो रही बारिश ने लोगों की परेशानियां बढ़ाना भी शुरू कर दिया है, जिसके चलते कई इलाकों में लगातार भूस्खलन की घटनाएं घटित हो रही है वहीं पहाड़ियों से बोल्डर गिरने का खतरा भी मंडरा रहा है।

बारिश ने जहां एक ओर लोगों की परेशानियां बढाई है वहीं दूसरी ओर नदियों का जलस्तर भी बढ़ गया है जिसके कारण पुलिस प्रशासन की ओर से लगातार लोगों को सतर्क किया जा रहा है, इतना ही नहीं बल्कि सितंबर माह में ही चमोली जिले के कई इलाकों की चोटियों में बर्फबारी का नजारा भी देखने को मिल रहा है। जानकारी के अनुसार बीते सोमवार की देर शाम को चमोली जिले में भारी बारिश के कारण बद्रीनाथ धाम की ऊंची चोटियों समेत हेमकुंड साहिब, फूलों की घाटी ,नंदा घुंघटी, रुद्रनाथ जैसी उच्च पर्वतीय चोटियों पर हल्की बर्फबारी का नजारा देखने को मिला है। इतना ही नहीं बल्कि निचले इलाकों में ठंड बढ़ गई है, शाम तक ठंड पड़ने से लोगों ने गर्म कपड़े तक निकालना शुरू कर दिया है, जबकि चमोली जिले के तापमान में भारी गिरावट दर्ज की गई है। वहीं दगड़ियो कई मैदानी इलाकों में भी लोगों ने ठंड महसूस करने के साथ ही पंखे चलाना बंद कर दिया है। प्रदेश में मंगलवार को भी सुबह से ही भारी बारिश का सिलसिला जारी है। बारिश के कारण सड़कों पर पहाड़ियों से लगातार मलवा गिर रहा है जिसके कारण उत्तरकाशी जिले में सबसे अधिक 70 और अल्मोड़ा जिले में 38 तथा बागेश्वर में 10 व अन्य जिलों में कई सड़के बंद है। सड़के बंद होने के कारण लोगों को आवाजाही करने में भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है, लेकिन दगडड़ियो साल के नौवें महीने की शुरुआत आमतौर पर मानसूनी बारिश और हल्की ठंड के साथ होती है, लेकिन इस बार सितंबर अपने साथ कुछ असामान्य और अप्रत्याशित लेकर आया है — पहाड़ों पर बर्फबारी की दस्तक।

दगड़ियो जहां उत्तराखंड और हिमचाल की ऊंची चोटियों पर सीजन की पहली बर्फबारी ने न सिर्फ मौसम का मिजाज बदला है, बल्कि वैज्ञानिकों और आम लोगों के बीच भी कई सवाल खड़े कर दिए हैं, तो क्या दोस्तो सितंबर में बर्फबारी होना कितना सामान्य है ये? ये शायद आप सोच रहे हैं होंगे। दोस्तो मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार, सितंबर की शुरुआत में हिमपात होना बहुत असामान्य घटना है। आमतौर पर अक्टूबर के मध्य से पहले हिमालयी क्षेत्रों में बर्फबारी की कोई संभावना नहीं होती, ऐसे में मौसम विज्ञानियों की टीम इस बदलाव को लेकर सतर्क हो गई है। मौसम विभाग के वरिष्ठ अधिकारी बताते हैं कि ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन के चलते मौसम की रफ्तार और मिजाज अब अनिश्चित होता जा रहा है। दगड़ियो जहां जून और जुलाई में बारिश की रफ्तार बेकाबू थी, वहीं अब सितंबर में ही बर्फबारी एक चेतावनी सरीखी लग रही है। बर्फबारी की खबर से जहाँ पर्यटक रोमांचित हैं, वहीं स्थानीय किसान और ग्रामीण चिंतित हो उठे हैं। पहले से ही बारिश ने फसलों को नुकसान पहुंचाया है, और अब समय से पहले पड़ी बर्फ सर्दियों को लंबा बना सकती है।

मौसम विज्ञान केंद्र, के अनुसार, ये हिमपात पश्चिमी विक्षोभ के एक कमजोर सिस्टम का असर हो सकता है, लेकिन सितंबर के पहले सप्ताह में ऐसा होना बेहद दुर्लभ है। यह जलवायु असंतुलन की ओर इशारा करता है। अगले कुछ दिन मौसम साफ रहने की उम्मीद है, लेकिन उच्च हिमालयी क्षेत्रों में सतर्कता ज़रूरी है, एक और जानकारी दगड़ियो जो मै आप तक पहुंचाना चाहता हू वो है 2022 में पहली बर्फबारी 12 अक्टूबर को हुई थी। 2023 में हिमपात 28 सितंबर को हुआ था, जो अब तक का सबसे जल्दी रिकॉर्ड था, लेकिन 2025 में यह तारीख 1 सितंबर है यानी पहाड़ों ने सर्दी का आगाज़ करीब एक महीना पहले कर दिया है। पिछले कुछ वर्षों से उत्तराखंड में मौसम चौंकाने वाले रूप बदल रहा है, कभी बेमौसम बारिश, कभी अचानक बादल फटना, अब सितंबर में बर्फबारी ये सभी घटनाएं बता रही हैं कि राज्य को एक नई जलवायु और आपदा प्रबंधन नीति की आवश्यकता है।