उत्तराखंड: तेजी से धंस रहा जोशीमठ! ISRO की सैटेलाइट तस्वीरों में डराने वाला खुलासा

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धंसती जमीन से दरकते जोशीमठ का बेहद डरावना सच सामने आया है। महज 12 दिन में जोशीमठ की जमीन 5.4 सेंटीमीटर नीचे धंस गई है। इसरो ने सैटेलाइट तस्वीरों से इसका खुलासा किया है। इसरो ने जोशीमठ में भूधंसाव के बाद की सैटेलाइट तस्वीरें जारी की हैं, जो बेहद डराने वाली हैं। इसरो की तस्वीरों से पता चला है कि जोशीमठ पर खतरा पिछले करीब 9 महीने से मंडरा रहा था, जो पिछले कुछ दिनों में तेजी से बढ़ा है। इसरो (ISRO) की तस्वीरों से ऐसा लग रहा है कि अगर भूधंसाव नहीं रुका तो जोशीमठ के अस्तित्व पर बड़ा खतरा आ जाएगा। फिलहाल इसरो की सैटेलाइट तस्वीरें जोशीमठ में आगाज से लेकर भयावह अंजाम तक का किस्सा सुना रही हैं। तस्वीरों के मुताबिक, शहर के धंसने का सिलसिला अप्रैल में शुरू हुआ। पहले जोशीमठ धीरे-धीरे जमीन के अंदर जाने लगा। धंसाव की रफ्तार इतनी धीमी थी कि लोगों को खतरे का पता तक नहीं लगा।

शुरुआती 7 से 8 महीने के बीच जोशीमठ की जमीन करीब 8.9 सेंटीमीटर धंसी। इसरो की तस्वीरों में दिखाया गया है कि 27 दिसंबर से 8 जनवरी के बीच शहर तेजी से धंसा। महज 12 दिन में जमीन 5.4 सेंटीमीटर धंस गई, जबकि पिछले सात महीने में 8.9 सेमी धंसाव हुआ था। इसरो ने अपनी तस्वीरों में एक बड़े हिस्से पर पीले रंग से निशान लगाया है। पीले रंग के बीच आया हिस्सा सेंसिटिव जोन है, जिसका मतलब है कि यहां खतरा सबसे ज्यादा है। इसरो ने आर्मी के हैलीपैड और नरसिंह मंदिर को भी मार्क किया है। यानि ये इलाके भी खतरे की जद में हैं। माना जा रहा है कि अगर जमीन धंसने की रफ्तार नहीं रुकी, तो शहर तेजी से जमीन के अंदर जाता चला जाएगा। जमीन धंसने की रफ्तार बढ़ी तो शहर की जमीन, इमारत बुरी तरह दरक गई। इस घटना से प्रशासन और सरकार अनजान बने हुए थे। हालांकि जब डर के साए में जी रहे लोगों ने शोर मचाया तो प्रशासन की नींद टूटी और लोगों की शिफ्टिंग और सर्वे का काम शुरू हुआ। फिलहाल जोशीमठ में सर्वे का काम चल रहा है। वैज्ञानिकों की टीम संकट पर नजर बनाए हुए हैं। हर हालात पर केंद्र सरकार की भी पैनी नजर है।