पॉलिटिक्स का सेंटर बनी केदारनाथ विधानसभा, उपचुनाव का प्रस्ताव चुनाव आयोग को भेजा

मुख्य निर्वाचन अधिकारी कार्यालय ने विधायक शैलारानी रावत के निधन के बाद खाली हुई केदारनाथ विधानसभा पर उपचुनाव का प्रस्ताव चुनाव आयोग को भेज दिया है। अब चुनाव आयोग ही उपचुनाव की तिथियों का एलान करेगा।

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उत्तराखंड के मुख्य निर्वाचन अधिकारी कार्यालय ने विधायक शैलारानी रावत के निधन के बाद खाली हुई केदारनाथ विधानसभा पर उपचुनाव का प्रस्ताव चुनाव आयोग को भेज दिया है। Kedarnath Assembly Byelection अब चुनाव आयोग ही उपचुनाव की तिथियों का एलान करेगा। बता दे, केदारनाथ से भाजपा विधायक शैलारानी रावत का नौ जुलाई को निधन हो गया है। उनके निधन के बाद केदारनाथ विधानसभा सीट खाली हो गई है। जिसके बाद मुख्य निर्वाचन अधिकारी डॉ. बीवीआरसी पुरुषोत्तम ने बताया कि सीट रिक्त होने के संबंध में पत्र केंद्रीय चुनाव आयोग को भेज दिया गया है। माना जा रहा है कि चुनाव आयोग यूपी में होने वाले उपचुनावों के साथ ही उत्तराखंड की इस सीट पर भी उपचुनाव करा सकता है।

बता दे, केदारनाथ धाम को लेकर कांग्रेस और बीजेपी के बीच उत्तराखंड में जमकर राजनीति हो रही है। कांग्रेस जहां एक तरफ हरिद्वार से केदारनाथ बचाओ यात्रा निकाल कर सरकार को घेरने में लगी है तो वहीं बीजेपी, कांग्रेस की इस यात्रा को ढकोसला बता रही है। सवाल यहीं है कि इस राजनीति का केदारनाथ विधानसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव में किसे लाभ मिलेगा? हाल में केदारनाथ धाम को लेकर सबसे पहला विवाद दिल्ली से शुरू हुआ। दरअसल, दिल्ली के बुराड़ी में केदारनाथ धाम के नाम से मंदिर बनाया जा रहा है, जिसका हाल ही में भूमि पूजन हुआ। इस मंदिर के भूमि पूजन में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी धामी समेत हरिद्वार के कुछ बड़े साधु-संत भी शामिल हुए थे। यहीं ये सारा विवाद शुरु हुआ।