Kedarnath Disaster 2013: एक दशक में और संवर गई केदारपुरी, बेहतर संपर्क सुविधाओं से बढ़ा आकर्षण

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Kedarnath Tragedy: एक दशक पहले केदारनाथ में जल प्रलय के बाद पुनर्निर्माण कार्यों से केदारपुरी सज और संवर रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट से आपदा के जख्म मिट रहे हैं। इस कड़ी में सरकार का ध्यान इस समय संपर्क मार्गों को बेहतर बनाने पर केंद्रित है। सरकार के ये प्रयास परवान चढ़ने पर निश्चित रूप से आने वाले वर्षों में केदारनाथ यात्रा का स्वरूप काफी बेहतर हो जाएगा। प्रदेश में 16 जून 2013 को आई आपदा के बाद केदार घाटी का स्वरूप काफी बदल गया था। इसके बाद से ही सरकार केदारधाम धाम व केदार घाटी के पुनर्निर्माण की दिशा में कदम बढ़ा रही है। इस समय केदारनाथ को जाने वाले मार्गों को दुरुस्त कर दिया गया है। अब इन्हें और सुगम बनाने की तैयारी चल रही है। इस कड़ी में कई योजनाएं बनाई गई है।

केदारनाथ रोपवे एक बहुउद्देशीय परियोजना है। गत वर्ष अक्टूबर में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इसका शिलान्यास किया था। यह रोपवे सोनप्रयाग से केदारनाथ के बीच बनाया जाएगा। लगभग 9.7 किमी लंबाई की इस रोपवे परियोजना की लागत 1267 करोड़ रुपये आंकी गई है। रोपवे बनने के बाद सोनप्रयाग से केदारनाथ का सफर महज 25 से 30 मिनट में पूरा हो जाएगा। अभी इसकी पैदल दूरी 16 किमी है, जिसे पूरा करने में यात्रियों को चार से पांच घंटे लगते हैं। केदारनाथ पुनर्निर्माण तीन चरणों में शुरू किया गया। पहले चरण में मंदिर परिसर का विस्तार, संगम के समीप गोल प्लाजा और मंदिर परिसर तक जाने वाले रास्ते पर कटवा पत्थर बिछाया गया।

साथ ही मंदाकिनी नदी के तट पर सुरक्षा कार्य, सेंट्रल स्ट्रीट, आदि गुरु शंकराचार्य की समाधि, सरस्वती आस्था पथ व घाट, मंदिर परिसर के दोनों तरफ भवनों की सुरक्षा के लिए दीवार का निर्माण, ध्यान गुफा का निर्माण किया गया। दूसरे चरण में 197 करोड़ रुपये की लागत के पुनर्निर्माण कार्य किए जा रहे हैं। केदारनाथ मार्ग पर गुप्तकाशी से गौरीकुंड तक के मार्ग पर भी वाहनों का काफी दबाव रहता है। इसे देखते हुए प्रधानमंत्री कार्यालय ने इसके लिए विस्तृत कार्य योजना बनाने को कहा था। इसके अंतर्गत सोनप्रयाग से चौमासी-कालीमठ तक सड़क निर्माण की योजना तैयार की जा रही है, ताकि गौरीकुंड से गुप्तकाशी तक वन-वे ट्रैफिक व्यवस्था लागू कर वाहनों के दबाव को कम किया जा सके।