कैसे कोठारी निकला गद्दार? जी हां उत्तराखंड के हरिवद्वार मठ से लाखों की नकदी और चांची के बर्तन लेकर एक कोठारी फरार हो गया। हरिद्वार से सबसे बड़ी और चौंकाने वाली खबर — जहां आस्था और विश्वास का केंद्र माना जाने वाला श्री महामृत्युंजय मठ आश्रम आज सवालों के घेरे में है। बताउंगा आपको पूरी खबर और मठ से हुई सनसनिखेज चोरी के बारे में, दोस्तो हरिद्वार के कनखल स्थित इस प्रसिद्ध आश्रम से लाखों रुपये की नगदी, सोने की रुद्राक्ष माला और चांदी के बर्तन चोरी हो गए हैं। हैरानी की बात ये है कि चोरी का आरोप किसी बाहरी शख्स पर नहीं, बल्कि आश्रम में 15 साल से सेवा कर रहे कोठारी स्वामी वैराग्यपुरी पर ही लगाया गया है। दोस्तो महामंडलेश्वर स्वामी यमुनापुरी महाराज खुद सामने आए और उन्होंने कहा — जिस पर सबसे ज़्यादा भरोसा था, उसी ने विश्वास तोड़ा, CCTV फुटेज में कोठारी आश्रम से बैग लेकर जाते हुए नजर आ रहे हैं, और उसके बाद से वो लापता हैं। पुलिस को शिकायत दे दी गई है, और अब पूरा प्रशासन इस ‘आश्रम के रहस्य’ को सुलझाने में जुट गया है। क्या ये साधु के वेश में गद्दारी थी? या है इसके पीछे कोई और बड़ी साजिश? सब बताउंगा आपको आपसे गुजारिश ये है कि आप अंत तक मेरे साथ इस वीडियो में बने रहे।
दोस्तो हरिद्वार, जिसे धर्म और आस्था की नगरी कहा जाता है, वहां से एक ऐसी खबर सामने आई है जिसने श्रद्धालुओं के मन को झकझोर कर रख दिया है। कनखल स्थित श्री महामृत्युंजय मठ आश्रम, जहां भक्तों की आस्था सालों से जुड़ी रही है, अब एक बड़े विवाद और चोरी के मामले में घिर गया है। आश्रम के परमाध्यक्ष महामंडलेश्वर स्वामी यमुनापुरी महाराज ने खुद अपने पुराने सहयोगी और आश्रम के कोठारी (प्रबंधक) पर लाखों रुपये की चोरी का गंभीर आरोप लगाया है। दोस्तो मामला तब सामने आया जब महामंडलेश्वर स्वामी यमुनापुरी ने मीडिया के सामने आकर बताया कि उनके आश्रम से बड़ी रकम चोरी हो गई है। चोरी हुई संपत्ति में गौशाला के लिए रखे गए 27-28 लाख रुपये की नगदी,सोने की रुद्राक्ष माला,छह चांदी की कटोरियां शामिल हैं। दोस्तो ये सारी चीजें आश्रम की तिजोरी में सुरक्षित रखी गई थीं, जिसकी चाबियां कोठारी स्वामी वैराग्यपुरी के पास थीं। दोस्तो सबसे बड़ा झटका तब लगा जब यह खुलासा हुआ कि कोठारी पिछले 2009 से इस आश्रम में रह रहे थे, और उन्हें एक परिवार के सदस्य की तरह माना जाता था। स्वामी यमुनापुरी ने आरोप लगाया कि स्वामी वैराग्यपुरी आश्रम से अचानक बिना किसी पूर्व सूचना के गायब हो गए, उन्होंने केवल एक छोटा सा मैसेज छोड़ा जिसमें उन्होंने बस ये लिखा कि “वो जा रहे हैं। दोस्तो पुलिस में शिकायत दर्ज कराने के बाद जब सीसीटीवी फुटेज खंगाली गई, तो उसमें कोठारी स्वामी वैराग्यपुरी रात 10:30 बजे एक बैग लेकर आश्रम से निकलते हुए दिखते हैं, और फिर करीब 1:30 बजे रात को बाहर जाते नजर आते हैं।
दोस्तो स्वामी यमुनापुरी ने मीडिया से बात करते हुए भावुक अंदाज में कहते हैं कि जिस पर सबसे ज्यादा भरोसा था, उसी ने पीठ में छुरा घोंपा। हम तो एक परिवार की तरह रहते थे। अब वो व्यक्ति ही आश्रम की संपत्ति लेकर चला गया। मैं चाहता हूं कि पुलिस उसे जल्द से जल्द पकड़कर उचित सजा दे, साथ ही उन्होंने कहा कि अगर आतंकवादी पकड़े जा सकते हैं, तो एक कोठारी को पकड़ना कोई मुश्किल काम नहीं होना चाहिए। दोस्तो पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है और कोठारी की तलाश शुरू कर दी है। इस बीच, आश्रम में सुरक्षा को लेकर भी कई सवाल उठने लगे हैं। इतने बड़े धार्मिक ट्रस्ट में वर्षों से बिना किसी पुख्ता निगरानी के लाखों की नकदी और बेशकीमती सामान कैसे रखा गया? आश्रम के अंदर की व्यवस्था पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। दोस्तो ये घटना सिर्फ एक व्यक्ति द्वारा की गई चोरी नहीं है, बल्कि ये उस भरोसे की नींव को हिलाने वाली घटना है, जिस पर धार्मिक संस्थानों का ढांचा टिका होता है। आज जब देश में मंदिर-मठ ट्रस्ट करोड़ों की संपत्तियों के संचालन में लगे हैं, तो ऐसे संस्थानों में पारदर्शिता और सुरक्षा को लेकर कठोर व्यवस्थाएं होना आवश्यक है।
ये पहली बार नहीं है जब किसी धार्मिक संस्थान में अंदरूनी गबन या विश्वासघात की खबर आई हो, लेकिन हर बार यही देखा गया है कि भरोसे की आड़ में व्यवस्थाएं लचर पड़ जाती हैं, और जब तक नुकसान होता है, तब तक बहुत देर हो चुकी होती है। क्या धार्मिक संस्थानों में वित्तीय पारदर्शिता के लिए कोई ठोस व्यवस्था है? वर्षों तक एक ही व्यक्ति को आर्थिक नियंत्रण सौंप देना क्या सही है? क्या ट्रस्टों की संपत्ति की निगरानी और लेखा-परीक्षा अनिवार्य होनी चाहिए? दोस्तो आश्रम के भीतर हुए इस “आंतरिक विश्वासघात” को क्या केवल आपराधिक मामला माना जाए, या इसे धार्मिक-नैतिक दृष्टि से भी देखा जाए? दोस्तो श्री महामृत्युंजय मठ आश्रम की ये घटना एक चेतावनी है — न सिर्फ इस आश्रम के लिए, बल्कि सभी धार्मिक-सामाजिक संस्थानों के लिए भरोसा बहुत बड़ी चीज है, लेकिन जब यह टूटता है, तो सिर्फ पैसा नहीं जाता, संस्था की साख, आस्था और मूल्यों पर भी गहरी चोट पड़ती है। पुलिस अब कार्रवाई में जुटी है, लेकिन असली सवाल यह है कि क्या इससे सीख ली जाएगी? और क्या भविष्य में ऐसे संस्थानों में जवाबदेही और पारदर्शिता को लेकर ठोस कदम उठाए जाएंगे? दोस्तो जब गेरुए वस्त्र पहनने वाले ही संदेह के घेरे में आने लगें, तो आस्था भी सवाल करने लगती है।