उत्तराखंड में है सबसे अनोखा मंदिर
मंदिर के अंदर महिला और पुरूष दोनों के जाने की है मनाही
इस मंदिर में आंखों और मुंह पर पट्टी बांध कर पुजारी करते हैं पूजा
मंदिर में आंख खुलने से जा सकती है आपकी जान
भारत में एक से बड़े और अनोखे मंदिर आपको दिख जाएंगे, जो अपनी एक अलग ही खासियत के लिए देशभर में जाने जाते हैं। हर मंदिर की अपनी एक अनोखी मान्यता और अनूठी कहानी है, जो लोगों को हैरान करके रख देती है। एक ऐसा ही अनूठा मंदिर उत्तराखंड में मौजूद है…जहां हर साल हजारों श्रद्धालु पहुंचते हैं लेकिन आज तक किसी ने मंदिर में देवता के दर्शन नहीं किए…अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर ये कैसा मंदिर है जहां लोग जाते हैं लेकिन देवता के दर्शन नहीं कर पाते…तो दरअसल यही तो मंदिर की खासियत है कि महिला या पुरुष किसी भी श्रद्धालु को मंदिर के अंदर जाने की इजाजत नहीं है। अब आपके मन में सवाल आया होगा कि जब इस मंदिर में महिला या पुरूष कोई नहीं जाता फिर पुजारी पूजा कैसे करते होंगे…तो आपको बता दें कि न केवल भक्त बल्कि मंदिर के पुजारी को भी भगवान के दर्शन करने की इजाजत नहीं है। पुजारी भी मंदिर में पूजा आंखों पर पट्टी बांधकर करते हैं, उनके अलावा कोई भी अंदर नहीं जा सकता। चलिए अब आपको इस मंदिर के बारे में विस्तार से बताते हैं…बस आपको इसके लिए हमारे इस वीडियो को आखिर तक देखना होगा
दरअसल ये मंदिर उत्तराखंड के चमोली जिले में देवाल नाम के ब्लॉक में वांण नाम की एक जगह पर मौजूद है। राज्य में देवस्थल लाटू मंदिर नाम से मशहूर इस जगह पर लाटू देवता की पूजा की जाती है। यहां के स्थानीय लोगों के मुताबिक, लाटू देवता उत्तराखंड की नंदा देवी के धर्म भाई हैं।
साल में सिर्फ एक बार मंदिर के खुलते हैं द्वार
इस अनोखे मंदिर का द्वार साल में एक ही दिन में वैशाख महीने की पूर्णिमा के दिन खुलता है।
इस दिन पुजारी मंदिर के दरवाजे अपनी आंख और मुंह पर पट्टी बांधकर
खोलते हैं। देवता के दर्शन भक्त दूर से ही करते हैं। मंदिर के कपाट खुलने
के बाद विष्णु सहस्रनाम और भगवती चंडिका पाठ आयोजित किया
जाता है।
स्थानीय लोगों का मानना है कि मंदिर में नागराज अपनी मणि के साथ रहते
हैं, जिसे देख पाना आम लोगों के बस की नहीं है। पुजारी भी नागराज के
रूप को देखकर डर न जाएं, इसलिए वे आंखों पर पट्टी बांधकर दरवाजा खोलते हैं और पूजा करते हैं। यही नहीं मुंह पर पट्टी भी इसलिए बांधते हैं कि
कहीं उनके मुंह की गंध देवता तक और न ही नागराज की विषैली गंध पुजारी
की नाक तक न पहुंच पाए।
चलिए अब आपको इस अनोखे मंदिर के देवता लाटू देवता से जुड़ी एक प्राचीन कहानी बताते हैं
लाटू देवता से जुड़ी कहानी
ऐसी मान्यता है कि जब देवी पार्वती के साथ भगवान शिव का विवाह हुआ तो पार्वती जिसे ‘नंदा देवी’ नाम से भी जाना जाता है. इन्हें विदा करने के लिए सभी भाई कैलाश की ओर चल पड़े. इसमें चचेरे भाई लाटू भी शामिल थे. मार्ग में लाटू को इतनी प्यास लगी कि पानी के लिए इधर-उधर भटकने लगे. इस बीच लाटू देवता को एक घर दिखा और पानी की तलाश में घर के अंदर मटके में रखी कच्ची शराब पानी समझकर पी गए…वहीं जब तक लाटू को पता चलता है कि उन्होंने पानी की जगह शराब पी ली है तो कुछ ही देर में मदिरा अपना असर दिखाना शुरू कर देती है. लाटू देवता नशे में उत्पात मचाने लगते हैं. इसे देखकर देवी पार्वती क्रोधित हो जाती है और लाटू को कैद में डाल देती हैं. देवी पार्वती के आदेशानुसार लाटू देवता को हमेशा कैद में ही रख दिया जाता है. माना जाता है कि कैदखाने में लाटू देवता एक विशाल सांप के रूप में विराजमान रहते हैं. इन्हें देखकर पुजारी डर न जाएं इसलिए वह आंखों पर पट्टी बांधकर मंदिर का द्वार खोलते हैं…तो ये थी लाटू देवता की कहानी चलिए अब आपको ये भी बता देते हैं कि इस अनूठे मंदिर तक कैसे पहुंचा जा सकता है
कैसे पहुंचें लाटू देवता मंदिर
अगर आप दिल्ली से सफर कर रहे हैं, तो चमोली तक के लिए दूरी करीबन 465 किमी है। ऋषिकेश से होते हुए बस आपको चमोली ले जाएगी और चमोली से 27 किमी दूर लाटू देवता मंदिर है। जहां के लिए आप स्थानीय साधनों के जरिए यहां तक पहुंच सकते हैं….आपको हमारी ये खबर कैसी लगी हमें कमेंट कर जरूर बताएं साथ ही उत्तराखंड से जुड़ी हर खबर के लिए हमारा चैनल सब्सक्राइब कर लें…शुक्रिया