सीएम धामी के भू-कानून फैसले पर नेता प्रतिपक्ष आर्य ने सरकार को घेरा, लगाए ये गंभीर आरोप

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देहरादून: त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार में पहाड़ों पर निवेशक और उद्योग चढ़ाने के नाम पर भू कानून में कई बदलाव किए गए थे। लेकिन इसका असर यह दिखा कि निवेश और रोजगार तो पहाड़ चढ़ा नहीं पर देशभर के धन्नासेठों ने अपने ऐशोआराम के लिए बड़ी जमीनें खरीद रिजॉर्ट और बंगले बनाना शुरू कर दिया। वही पुष्कर सिंह धामी ने भू कानून पर पूर्व मुख्य सचिव सुभाष कुमार के नेतृत्व में एक उच्च स्तरीय कमेटी बना दी जिसने बीते सोमवार को अपनी रिपोर्ट मुख्यमंत्री को सौंप दी।समिति की जो सिफारिशें मीडिया में सामने आई हैं उनके मुताबिक भू कानून में संशोधन हुए तो जमीनों की बेरोकटोक लूट और बंदरबांट पर रोक लगेगी लेकिन ऐसा लगता है कि विपक्षी कांग्रेस को भू कानून पर धामी सरकार की कोशिशों में सच्चाई कम और असल मुद्दों से ध्यान भटकाने की कोशिश ज्यादा दिखती है।

नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने कुछ इसी तर्ज पर सवाल उठाए हैं। नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने हमला बोला है कि भू-कानून में सुधार के लिए बनाई गई उच्च अधिकार प्राप्त समिति की संस्तुतियों से कोई नादान व्यक्ति भी निष्कर्ष निकाल सकता है कि राज्य सरकार उच्च अधिकार प्राप्त समिति के गठन के समय से लेकर रिपोर्ट पेश करने तक समिति के नाम पर जनता और मीडिया का ध्यान प्रदेश के ज्वलंत मुद्दों से भटकाने की कोशिश कर रही है। नेता प्रतिपक्ष ने आरोप लगाया, “भाजपा सरकार ने पिछले 40सालों से विभिन्न प्रयोजनों के लिए जमीन खरीदने की अनुमति देकर अपने खास लोगों को उत्तराखंड की बहुमूल्य भूमि की नीलामी की है । उन्होंने बताया कि उत्तराखंड में जमीन की खुली नीलामी की छूट की संभावना और भूमि का अनियंत्रित क्रय–विक्रय 6 दिसंबर 2018 के बाद तब शुरू हुआ था जब पिछली भाजपा सरकार उत्तराखंड (उत्तर प्रदेश) जमींदारी विनाश एवम भूमि व्यवस्था अधिनियम 1950 की धारा 143(क) और 154 (2) में संशोधन कर उत्तराखंड में औधोगिकीकरण ( उद्योग , पर्यटन, शिक्षा, स्वास्थ्य ) ,कृषि और उद्यानिकी के नाम पर किसी को भी, कहीं भी, कितनी ही मात्रा में जमीन खरीदने की छूट दे दी थी।

यशपाल आर्य ने दावा किया कि इन नियमों में बदलाव करने के बाद पिछले 4 सालों में भाजपा सरकार ने अपने चहेते उद्योगपतियों, धार्मिक और सामाजिक संगठनों को अरबों रुपए की जमीनें खरीदने की अनुमति दी है। उन्होंने कहा कि उच्च अधिकार प्राप्त समिति ने राज्य के सभी जिलाधिकारियों से जिलेवार विभिन्न उद्योगपतियों, सामाजिक, धार्मिक और शैक्षणिक संस्थाओं को भूमि खरीदने की स्वीकृतियों का ब्यौरा भी मांगा था। नेता प्रतिपक्ष ने कहा,”पारदर्शिता का दावा करने वाली सरकार को इस बीच अपने चहेतों को दी गयी राज्य की बहुमूल्य भूमि का विवरण देना चाहिए।” यशपाल आर्य ने सरकार से प्रश्न किया ,”सरकार राज्य को ये भी बताए कि इन लोगों को भारी मात्रा में उत्तराखंड की बहुमूल्य जमीन उपहार में देने के बाद राज्य में कितना निवेश आया और कितने लोगों को इन निवेशों के द्वारा रोजगार मिला ?”