उत्तराखंड अधिकारियों के सामने गुलदार ने कर दिया शिकार | Uttarakhand News | Pauri Garhwal | Leopard

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जी हां दोस्तो उत्तराखंड ऐसे बिगड़े हालात कि एक तरफ अधिकारी कर रहे थे पीडित परिवारों से मुलाकात तो उसी वक्त गुलदार ने कर दिया एक और शिकार, फिर जो हुआ उससे हड़कंप मच गया। एक तरफ जहां गुलदार का शिकार हो रही थी आम जनता, तो वहीं कैसे जनता के आक्रोष का शिकार हो गए कमिश्नर और सचिव। Officers Surrounded In Pauri वो बताने के लिए आया हूं दोस्तो। दोस्तो पौड़ी से बड़ी खबर सामने आई। जिले में लगातार बढ़ते गुलदार के हमलों ने लोगों का जनजीवन खतरे में डाल दिया। हाल ही में गजल्ड गांव में हुए हमले में एक व्यक्ति की मौत के बाद गढ़वाल कमिश्नर विनय शंकर पांडेय और प्रमुख सचिव आर.के. सुधांशु मौके पर पहुंचे लेकिन अधिकारियों के दौरे के दौरान ही गुलदार ने फिर हमला कर एक बकरी को मौत के घाट उतार दिया। दोस्तो इस घटना ने ग्रामीणों के गुस्से को और भड़का दिया। उन्होंने पौड़ी लौटते हुए अधिकारियों के काफिले को रास्ते में रोककर कड़ी कार्रवाई की मांग की। अब सवाल ये उठ रहा है कि क्या वन विभाग और प्रशासन गुलदार के इन हमलों को रोकने में सक्षम हैं और क्या जल्द ही ग्रामीणों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाएगी। सवाल का जवाब वक्त देगा लेकिन खबर देखिए कैसे गुस्साए ग्रामीणओं ने कमिश्नर और प्रमुख सचिव को घेर लिया। दोस्तो पर्वतीय जिलों में बढ़ती वन्यजीवों के हमले की घटनाओं से जनजीवन खतरे में है।

हालातों का जायजा लेने गढ़वाल मंडल आयुक्त विनय शंकर पांडे और प्रमुख सचिव आरके सुधांशु पौड़ी पहुंचे। दोनों अधिकारियों ने गजल्ड गांव में गुलदार के हमले में मारे गए व्यक्ति के परिजनों से मुलाकात कर ढांढस बंधाया, लेकिन इसी दौरान गजल्ड के पास ही गुलदार ने एक मवेशी पर हमला कर मौत के घाट उतार दिया। अधिकारियों के दौरे के दौरान हुई इस घटना ने ग्रामीणों के आक्रोश को और भड़का दिया। पौड़ी ब्लॉक के अंतर्गत गजल्ड और सिरौली क्षेत्र में गुलदार के लगातार हमलों और गतिविधियों ने ग्रामीणों में दहशत का माहौल पैदा कर दिया है हालात इतने भयावह हो चुके हैं कि अब लोगों का घरों से बाहर निकलना भी मुश्किल हो गया है। सोमवार को ग्रामीणों का आक्रोश तब फूट पड़ा, जब प्रमुख सचिव और गढ़वाल मंडलायुक्त गजल्ड गांव में हाल ही में गुलदार के हमले में मारे गए व्यक्ति के परिजनों से मुलाकात करने पहुंचे और आर्थिक सहायता का चेक सौंपा। इसी दौरान पास के क्षेत्र में गुलदार ने एक बकरी को अपना शिकार बना दिया, अब गुस्सा लोगों का फूट पड़ा है। दोस्तो अधिकारियों की मौजूदगी में ही हुई घटना के बाद ग्रामीणों का गुस्सा उफान पर आ गया और ग्रामीण एकजुट होकर सड़क पर उतर आए. ग्रामीणों ने सड़क जाम कर अधिकारियों के काफिले को रोक दिया और घेराव करते हुए जल्द कड़ी कार्रवाई की मांग की. ग्रामीणों ने कहा कि जब बड़े अधिकारियों के क्षेत्र में मौजूद रहते हुए भी घटना हो सकती है, तो आम दिनों में गांव के लोग कितने असुरक्षित होंगे? इसका अंदाज लगाया जा सकता है।

दोस्तो ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि सरकार एक ओर पलायन रोकने के लिए कृषि और बागवानी को बढ़ावा देने की बात कर रही है। लेकिन दूसरी ओर कृषक खेतों में जाते ही जंगली जानवरों का शिकार बन रहे हैं। ऐसे में गांव में रहना असंभव होता जा रहा है। लोग रात ही नहीं, दिन में भी घर से बाहर निकलने से डर रहे हैं। ग्रामीणों ने स्पष्ट कहा कि अब आश्वासन नहीं, ठोस कार्रवाई चाहिए. उनकी मांग है कि शूटरों की संख्या बढ़ाई जाए. प्राइवेट शूटरों को भी हायर किया जाए, ताकि नरभक्षी गुलदारों को जल्द से जल्द शूट किया जा सके। गुलदार की सक्रियता वाले इलाकों में वन विभाग की टीम लगातार गश्त करे। दोस्तो स्थानीय लोगों का कहना है कि जंगलों का आतंक बढ़ने से गांवों में जीवन पूरी तरह असुरक्षित हो गया है. यदि त्वरित कदम नहीं उठाए गए तो लोग मजबूरन गांव छोड़ने को मजबूर होंगे। पौड़ी से बड़ी और चिंता जनक खबरें लगातार सामने आ रही हैं, जिले में लगातार बढ़ते गुलदार के हमलों ने लोगों के जीवन को खतरे में डाल दिया है। गजल्ड गांव में हुए हमले में एक व्यक्ति की मौत के बाद आज गढ़वाल कमिश्नर विनय शंकर पांडेय और प्रमुख सचिव आर.के. सुधांशु मौके पर पहुंचे, लेकिन उनके दौरे के दौरान ही गुलदार ने फिर हमला कर एक बकरी की जान ले ली। इस घटना ने ग्रामीणों में भारी आक्रोश फैला दिया। ग्रामीणों ने अधिकारियों के काफिले को रोककर उन्हें सीधे अपनी मांगों से अवगत कराया और जल्द कड़ी कार्रवाई की पुकार लगाई। ग्रामीणों का कहना है कि जब प्रशासन और वन विभाग के बड़े अधिकारी गांव में मौजूद हैं, फिर भी गुलदार इस तरह बेखौफ हमला कर रहा है, तो स्थिति कितनी भयावह है। वन विभाग ने सुरक्षा के उपायों के लिए कदम उठाने का आश्वासन दिया है, लेकिन यह स्पष्ट है कि फिलहाल लोगों की सुरक्षा और गुलदार के आतंक को रोकना बड़ी चुनौती बनी हुई है। इस पूरे घटनाक्रम ने यह सवाल भी खड़ा कर दिया है कि प्रशासन कितनी तेजी से और प्रभावी ढंग से कार्यवाही करेगा।