उत्तराखंड में जगह-जगह ‘मनसा’ अभी नहीं चेते, तो फिर ‘अनर्थ’ होगा। उत्तराखंड की धरती आस्था की धरती है, यहां मठ मंदिर हैं, लोग जाते हैं पूजा पाठ करते हैं, और आशिर्वाद लेते हैं। अभी मनसा देवी हादसे के बारे में तो आप जानते होंगे। Haridwar Mansa Devi Stampede लेकिन क्या आप जानते हैं उत्तराखंड में जगह-जगह मनसा है, अब ये मैं क्यूं कह रहा हूं। आगे विस्तार से बताउंगा आपको आप अंत तक मेरे साथ जरुर बने रहें दोस्तो। उत्तराखंड में एक बड़ा हादसा होने के बाद भी सबक नहीं लिया है और अब एक और मुसीबत जी का जंजाल बन बैठी है। या यूं कहें कि सर के ऊपर मंडारा रही मौत। उत्तराखंड में गजब हो रहा है। जब ये सब जानते हैं कि जो परेशानी आज जिम्मेदारों को छोटी दिखाई देती है। वो कब और कैसे बड़ी दुर्घटना को को अंजाम दे सकती है क्या ये कोई नहीं जानता या फिर इसे देख कर भी अंदेखा किया जा रहा है। दो रोज पहले जो हुआ उससे भी क्या सबक नहीं लिया गया। अगर लिया गया तो फिर वो बडड़ा वाला एक्शन कहां है। वो पॉलिसी कहां है। जिससे किसी को परेशानी ना हो। किसी की जान पर आफत न बने, ये सब मैं क्यूं कहरहा है। 27 जुलाई की सुबह हरिद्वार के मनसा देवी मंदिर मार्ग पर भगदड़ में आठ लोगों की जान चली गई। जबकि 30 से ज्यादा लोग घायल हुए। यह घटना कैसे घटी? अब तक यह स्पष्ट नहीं हो पाया है, लेकिन प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक अचानक बिजली का तार टूटने की अफवाह के बाद अफरा तफरी का माहौल हुआ।
हालात इस कदर खराब हो गए कि 8 लोगों की जान चली गई। इस मामले पर सीएम धामी ने मजिस्ट्रियल जांच के आदेश दे दिए हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि हरिद्वार देश में ऐसा दूसरा शहर है, जहां पर केंद्र सरकार की मदद से विद्युत केबल और अन्य तारों को अंडरग्राउंड करने के लिए 300 करोड़ रुपए से अधिक खर्च किया गया। दोस्तो साल 2021 में उत्तराखंड सरकार ने इस योजना के सफलतापूर्वक पूरे हो जाने पर एक आयोजन भी किया था, लेकिन इतना सब कुछ हो जाने के बाद भी हरिद्वार का मुख्य बाजार हर की पैड़ी तक जाने वाले मार्ग के ऊपर बिजली के तारों का जाल बिछा हुआ है। आलम ये है कि नीचे भीड़ चलती है और कई बार ऊपर स्पार्किंग की वजह से चिंगारियां उठती है। यह उस शहर का हाल है, जहां अंडरग्राउंड विद्युत लाइन करने के लिए केंद्र सरकार ने करोड़ों रुपए खर्च किए। वहीं दोस्तो सच तो ये भी है कि जानकार बताते हैं, कि काम उतना किया नहीं। जितना किया जाना चाहिए था, केन्द्र ने किए करोड़ों खर्च, फिर भी नहीं ली गई सुध। अब आलम ये कि नीचे श्रद्धालुओं की भीड़ ऊपर मौत। अब जरा इस पर भी गौर कीजिए। 60 फीसदी काम पर लूटी 100 फीसदी की वाहवाही दोस्तो साल 2014 में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने केंद्र की सत्ता संभाली थी तो कई बड़ी योजनाओं को देश के धार्मिक स्थलों को समर्पित किया था। बनारस के साथ हरिद्वार के सौंदर्यीकरण के लिए केंद्र सरकार ने कई योजनाएं धरातल पर उतारी। इस योजना में सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण और महत्वाकांक्षी योजना शहर के सौंदर्यीकरण के लिए थी। इसके लिए यात्रियों की सुरक्षा के दृष्टि से आसमान में झूल रहीं बिजली की तारों को भूमिगत करने का काम भी शामिल था, जो हरिद्वार में साल 2016 में शुरू हुआ।
योजना के तहत साल 2021 में महामारी के दूसरे चरण के शुरू होने से पहले तत्कालीन मुख्यमंत्री तीर्थ सिंह रावत और केंद्र सरकार में ऊर्जा मंत्री आरके सिंह ने वर्चुअल कार्यक्रम के तहत पूरे कुंभ मेला क्षेत्र को अंडरग्राउंड केबल हो जाने पर क्षेत्रवासियों और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बधाई भी दी थी। राज्य सरकार इस बात पर फूले नहीं समा रही थी कि उन्होंने इस बड़े काम को कुंभ मेला शुरू होने से पहले पूरा कर लिया। हालांकि, जहां पर अंडरग्राउंड केबल हो गई है, आज भी वहां पर लोगों को कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। मनसा देवी मंदिर भगदड़ में भले ही करंट लगने से किसी व्यक्ति की जान ना गई हो, लेकिन जिस जगह से श्रद्धालुओं की भीड़ गुजर रही थी, उस जगह पर बिजली के तार जहां-तहां पड़े हुए थे। इन्हीं बिजली के तारों को पकड़कर लोग अपनी जान बचाने के लिए ऊपर चढ़ते हुए भी दिखाई दिए। जब भी आप हरिद्वार में जाते हैं तो पाते हैं कि कैसे हर जगह पर तार का जाल सा फैला हुआ है। फिर बात रानीपुर मोड़ करें तो देखेंगे कि केबल के बड़े-बड़े तारों के जाल अलग -अलग जगह पर पड़े हुए है। सड़क के दोनों तरफ गाड़ियों की लाइन लगातार चल रही है। डिवाइडर पर तार के गुच्छे लटके हुए है। रानीपुर मोड़ से लेकर हरिद्वार के बाल्मीकि चौक तक कई जगहों पर केबल और अन्य तारों के जाल खंभों पर लटके हुए है। वहीं दोस्तो आपको बता दूं हरिद्वार में ज्यादा लापरवाही हरिद्वार कोतवाली के सामने स्थित भला रोड से होते हुए हर की पैड़ी को जाने वाले मार्ग पर नजर आती है। जिस रास्ते से हर साल लाखों श्रद्धालु हर की पैड़ी, विष्णु घाट, रामघाट और चंडी घाट की तरफ पैदल जाते हैं, उस रास्ते पर बिजली के तारों में कट लगे हुए हैं।
दगड़ियों थोड़ी बारिश या तेज हवाएं चलने से इन बिजली के खंभों से चिंगारियां निकलने लगती है। इतना ही नहीं, जब इस मार्ग से कोई भी वाहन गुजरता है तो हवा में झूलते हुए तार वाहनों को छूते हैं। ऐसा स्थानीय लोगों का भी कहना है, और वहां के दुकानदार भी बताते हैं कि डर तो हमेशा बना रहता है। इसी मार्ग से हरिद्वार में लगने वाले अलग-अलग मेले के दौरान लाखों श्रद्धालु हर की पैड़ी और अन्य घाटों के लिए जाते हैं। बारिश के दिनों में इस रास्ते पर दलदल जैसे हालात पैदा हो जाते हैं। कई बार खंभों से चिंगारियां निकलती दिखाई देती है.रामघाट से होते हुए बड़ी सब्जी मंडी, ठंडा कुआं, कुशा घाट से होते हुए हर की पैड़ी तक पहुंचोगे तो असलियत आप खुल कर देख पाओंगे… यह वह बाजार है जहां पर हरिद्वार में आने वाला हर श्रद्धालु एक बार जरूर आता है. श्रद्धालुओं की जरूरत का सामान इसी मार्केट में मिलता है। इस मार्केट में पूजा पाठ, कपड़े, होटल, रेस्तरां, मिठाई की दुकान के साथ ही सभी जरूरी सामान मिलता है। बेहद आकर्षित करने वाला यह बाजार हमेशा यात्रियों की भीड़ से गुलजार रहता है। परंतु जिन यात्रियों और बाजारों के लिए अंडरग्राउंड केबल योजना को केंद्र सरकार ने हरिद्वार में उतारा था, उस योजना का लाभ नजर नहीं आ रहा है। इतना ही नहीं हरिद्वार के अपर रोड पर सभी बिजली की तारों को अंडरग्राउंड करने के बावजूद हर की पैड़ी से लेकर लाल तारापुर रेलवे स्टेशन और रानीपुर मोड़ तक बिजली के पुराने खंबे अभी भी खड़े हैं। इन खंभों की संख्या 1- 2 नहीं बल्कि हजारों में है। अब आलम यह है कि बिजली विभाग के यह खंबे केवल तार टांगने और अन्य दुकानदारों के समान टांगने के काम आ रहे हैं। इसके अलावा कुछ नहीं हो रहा है। दोस्तो हैरानी की बात की हरकी पैड़ी के पास स्थित विद्युत पोल नीचे से पूरी तरह से जर्जर हो चुके हैं। उसी स्थान पर होटल का संचालन करने वाले कहते हैं कि उनके होटल के आगे जो खंभा लगा हुआ है, वह पूरी तरह से जर्जर हो चुका है।
प्रशासन को उन्होंने कई बार लिखित में भी शिकायत की। लेकिन खंभा हटाने की प्रक्रिया में विभाग 40 हजार रुपए खर्च होने की बात कह रहा है। चलिए दोस्तो आगे आपको ये भी बताता हूं कि जो योजना चलाई गई वो योजना क्यों शुरू की गई और ये योजना क्यों महत्वपूर्ण होती। बनारस के बाद हरिद्वार में योजना को लागू करने का उद्देश्य यही था कि शहर का सौंदर्यीकरण हो, 24 घंटे बिजली की आपूर्ति रहे, आंधी तूफान में बिजली के तारें न टूटे और वाहन सवारों को बिजली के तारों से कोई परेशानी न हो। यह योजना शुरुआती दौर में 133 करोड़ रुपए से शुरू हुई थी। लेकिन योजना के संपन्न होने तक 388.49 करोड़ रुपए की धनराशि केंद्र सरकार ने खर्च की। इस काम की जिम्मेदारी उत्तराखंड यूपीसीएल को दी गई थी। हरिद्वार के अपर रोड पर पूरी तरह से अंडरग्राउंड केबल कर दिया गया है। बजट पूरा खर्च भी हो गया है। लेकिन साल 2021 मार्च के महीने में इस योजना को पूरा भी कर लिया गया था। लेकिन अभी भी शहर का मुख्य बाजार जिसमें भल्ला रोड से लेकर हर की पैड़ी तक का मार्ग है, वहां पर शायद काम नहीं हो पाया है। माना जा सकता है कि अभी इस योजना का 40 फीसदी काम बचा हुआ है। ये यहां के जन प्रतिनीधी भी कहते हैं। लेकिन अधिकारियों की माने तो वो अभी बात करने की बात कहकर मामले को टालना चाहते हैं। लेकिन ये ही लेट लतीफी कहीं बादमें भारी ना पड़ जाय। क्योंकि जिस मनसा देवी में एक अफवाह मात्र ने लोगों की जान ले ली। वो तो गनीमत रही की मां मनसा देवी के छाया थी ज्यादा नुकसान नहीं हुआ। लेकिन आगे के लिए क्या किया जा राह है।