तीर्थनगरी में भारी बवाल पुलिस के लिए बड़ी चुनौती!| Haldwani | Uttarakhand News | Tension In Haldwani

Spread the love

जी हां दोस्तो तीर्थनगरी में भारी बवाल से बिगड़ इतने बिगड़ गए हालात कि अब पुलिस और प्रशासन के लिए एक बड़ी चुनौती ये कि ऐसी बिकट परिस्थिति से कैसे निपटा जाय, कैसे अपना आशियाना बचाने की जंग में कूद गए हजारों परिवार, सड़क से लेकर रेलवे ट्रैक कर दिया जाम, इसके बाद जो हुआ उसने माहौल को और तनाव पूर्ण बना दिया। अब भारी विरोध और पथराव का शिकार हो चुकी उत्तराखंड की मित्र पुलिस, कि क्या है आगे की रणनीति और क्या है नई तस्वीर, बताउंगा आपको। दोस्तो हालात क्यों बिगड़ गए बल, कैसे जहां कुछ रोज तक, कई दशकों से सब कुछ ठीक ठाक चल रहा था। वहां आज हालात कैसे बिगड़ गए, कैसे पुलिस फोर्स को रात के अंधेरे में मार्च् निकालना पड़ा रहा है और दिन में पुलिस लोगों के गुस्से का शिकार हो रही है। खबर को अंत तक जरूर देखिएगा दोस्तो ये मामला सरकार और पुलिस प्रशासन के साथ विन विभाग के लिए गले की वो हड्डी बन चुका है, जो बहुत तख्लीफ देने वाला है। इस लिए ये आमना सामना, रेलवे ट्रेक जाम, पुलिस पर धराव, पुलिश का लाठिचार्ज, लेकिन सवाल सिर्फ एक है कि कैसे होगा इस पूरे मामले का समाधान।

वैसे दोस्तो सरकारों की कारगुजारी, प्रशासनिक हीलाहवाली का ये नतीजा है। सिस्टम के निक्मे पन की ये तस्वीर है जो सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर ऋषिकेश के आसपास के इलाकों में देखने को मिल रही है। वन भूमि चिन्हीकरण की कार्रवाई को लेकर लोग काफी आशंकाओं से घिरे हैं। और खौफ में हैं. लिहाजा, लोग विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। इसी कड़ी में सैकड़ों लोग सड़क छोड़ रेलवे ट्रैक पर बैठे और मामला गरमा गया है। दरअसल, दोस्तो वन विभाग की कब्जे वाली भूमि हाथ से जाते देख लोगों में गुस्सा देखने को मिल रहा है। आक्रोशित लोगों ने सड़क तो छोड़ अब रेल मार्ग को भी जाम करना शुरू कर दिया है। मनसा देवी रेलवे फाटक पर सैकड़ों की संख्या में लोग एकत्रित होकर ट्रैक पर बैठ गए हैं, जिसमें महिलाएं सबसे ज्यादा शामिल हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि जान जाए पर भूमि हाथ से न जाए। दोस्तो लोगों ने प्रदर्शन करते हुए वन विभाग की कार्रवाई का विरोध किया है। मौके पर भारी संख्या में पुलिस बल मौजूद है, जो लोगों को सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला देकर समझाने का प्रयास कर रहा है, लेकिन लोग मानने को तैयार नहीं है। स्थिति गंभीर बनी हुई है, लोग अपनी मांग पर अड़े हुए हैं। दोस्तो हालात तब और बिगड़ गए। जब वन विभाग की अतिक्रमण हटाओ कार्रवाई से नाराज लोग सड़क छोड़ रेलवे ट्रैक पर जान देने के लिए बैठ गए। इस दौरान पुलिस के साथ प्रशासन की टीम ने लोगों को समझने का प्रयास किया स्थिति तनावपूर्ण हुई तो मौके पर जीआरपी की टीम भी पहुंची।

इस दौरान संदिग्ध परिस्थितियों में भीड़ से किसी ने पुलिस पर पत्थर फेंक दिया और देखते ही देखते पथराव होने से स्थिति गंभीर हो गई। दोस्तो ये तनाव बना क्यों है। दरअसल, ये मामला ऋषिकेश क्षेत्र की करीब 2,866 एकड़ भूमि से जुड़ा है, जिसे 26 मई 1950 को 99 साल की लीज पर पशु लोक सेवा मंडल संस्थान को दिया गया था. इस लीज की अवधि साल 2049 तक निर्धारित है। लीज की शर्तों के मुताबिक, इस भूमि का इस्तेमाल पशुपालन, उद्यान, चारा उत्पादन और अन्य निर्धारित उद्देश्यों के लिए किया जाना था, लेकिन दोस्तो समय के साथ ये बात सामने आई कि लीज पर दी गई इस भूमि का इस्तेमाल तय उद्देश्यों के बजाय अन्य व्यावसायिक गतिविधियों में किया गया। लीज को कथित रूप से सबलेट (किसी किराए की संपत्ति को उसके मूल किरायेदार की ओर से किसी और तीसरे व्यक्ति को थोड़े समय के लिए फिर से किराए पर देना) भी कर दिया गया। इस मामले को लेकर दोस्तो हाल में देश की सबसे बड़ी अदालत ने कहा था कि सरकारे और प्रशासन मुकदर्शक बना रहा और जमीन पर कब्जा होता रहा। वैसे ये बात सच भी है, अगर पहले इस पर ध्यान दिया जाता तो आज ना तहां पर हजारों लोगों की बसावत होती और ना ये लोग आज अपना घर बार उजड़ने को लेकर आशंका में होते और ना ये तनाव देखने को मिलता, लेकिन तथ्यों को ध्यान में रखते हुए हाल में ही सर्वोच न्यायालय (सुप्रीम कोर्ट) ने वन भूमि पर अवैध कब्जे और अतिक्रमण को लेकर राज्य सरकार पर सख्त टिप्पणी की थी। कोर्ट ने स्पष्ट निर्देश दिए कि वन क्षेत्रों में हो रहे अवैध कब्जों की गहनता से जांच की जाए और जिम्मेदार लोगों पर कार्रवाई सुनिश्चित की जाए। सर्वोच न्यायालय के इस रुख के बाद उत्तराखंड शासन ने इस पूरे मामले की जांच के लिए औपचारिक रूप से समिति का गठन किया है। शासन से गठित इस पांच सदस्यीय समिति की अध्यक्षता मुख्य वन संरक्षक (गढ़वाल) धीरज पांडे को सौंपी गई है। समिति में सीएफ शिवालिक, देहरादून डीएफओ, एडीएम (वित्त) और ऋषिकेश एसडीएम को सदस्य के रूप में शामिल किया गया है।