Congress की बैठक या कुश्ती का मैदान? | Uttarakhand News | Rudrapur News | Harak Singh Rawat

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उत्तराखंड में एक बैठक बनी अखाड़ा! कैसे इस बैठक में कार्यकर्ताओं में चले लात-घूंसे जमकर हुई जूतम-पैजार। आंतरिक कलह में उलझी कांग्रेस, उत्तराखंड में 2027 की वापसी का सपना कैसे होगा पूरा? सब बताने के लिए आया हूं दगड़ियो। Congress Workers Exchanged Blows जी हां गठबंधन की बातें करने वाली कांग्रेस खुद गुटबाजी में बर्बाद हो रही है। रुद्रपुर में कांग्रेसियों ने उतार दी अपनी वर्दी, संगठन सृजन बन गया शर्मसार सीन। दगड़ियो पद के लिए मारपीट, बुजुर्ग नेता पर हमला – यही है कांग्रेस का नया चेहरा? से सवाल हर कोई पूछ रहा है। कांग्रेस कहती है कि 2027 की सत्ता चाहिए, लेकिन बैठक में शांति भी नहीं संभली जाती कैसे होगा बल सपना पूरा सत्ता पर बैठने का। ऐसा लगता है बल कि कांग्रेसियों ने राजनीति की सरेआम बेइज्जती कर दी। दगड़ियो 2022 में भी कुछ ऐसा ही जगह-जगह देखने को मिला था और कांग्रेस सत्ता में आते आते रह गई थी तो कहीं फिर गुटबाजी में फंसी कांग्रेस – विरोधी क्या हराएंगे, ये खुद ही काफी हैं बल। हाथ में झंडा नहीं, एक-दूसरे के गिरेबान पकड़ते दिखे कांग्रेस कार्यकर्ता। बात विचारधारा की नहीं, अब लात-घूंसे से तय हो रहा नेतृत्व। उत्तराखंड की सियासत में खुद को दोबारा स्थापित करने की कोशिश में जुटी कांग्रेस, अभी संगठन सृजन अभियान के तहत ज़मीन पर उतरने की कवायद कर ही रही थी कि रुद्रपुर की घटना ने उसकी पूरी रणनीति को कठघरे में ला खड़ा किया। एक तरफ पार्टी देशभर में संगठन को मजबूत करने के लिए एआईसीसी के निर्देश पर बैठकों का दौर चला रही है, दूसरी तरफ उन्हीं बैठकों में लात-घूंसे, गाली-गलौच और शर्मनाक तमाशा हो रहा है। रुद्रपुर सिटी क्लब में कांग्रेस की बैठक को अखाड़ा बना देने वाली घटना ने साफ कर दिया है कि पार्टी की सबसे बड़ी चुनौती बीजेपी नहीं, बल्कि उसका खुद का बिखरा हुआ संगठन और बेकाबू कार्यकर्ता हैं।

अब ये संगठन सृजन या संगठन विघटन? पता नहीं लेकिन आगे में आपको बताने जा रहा हूं कांग्रेस की उन गलतियों के बारे में जिसने कांग्रेस को सत्ता से दूर रखने का काम किया है। जिस संगठन सृजन अभियान के जरिए पार्टी कार्यकर्ताओं को पुनः संगठित करने, कर्मठ नेताओं को जिम्मेदारी देने और निष्क्रिय लोगों को बाहर का रास्ता दिखाने की योजना बनाई गई थी, वही अब खुद पार्टी के लिए सिरदर्द बन चुका है। रुद्रपुर की घटना ने ये साफ कर दिया कि कांग्रेस में पद को लेकर इतनी मची है कि बात बहस से शुरू होकर हाथापाई तक जा पहुंचती है। दगड़ियो पर्यवेक्षक, पूर्व सांसद और वरिष्ठ नेता वहां मौजूद थे, लेकिन कोई कुछ नहीं कर सका। ये तस्वीर बताती है कि कांग्रेस में अनुशासन नाम की चीज़ कहीं रह ही नहीं गई। ये हंगामा किसी सड़कछाप नेताओं की मीटिंग में नहीं, बल्कि पार्टी के नगर इकाई गठन की आधिकारिक बैठक में हुआ। इससे बड़ा दुर्भाग्य क्या हो सकता है? कांग्रेस के लिए कांग्रेस नेता जिस तरह साफ तौर पर कहा कि ये संगठन की मीटिंग थी, गुंडों की नहीं”, वो बयान पार्टी के अंदर की सड़ांध को उजागर करता है। अगर कांग्रेस के नेता ही कह रहे हैं कि बैठक में गुंडे घुस आए थे, तो सवाल उठता है — कौन लाया उन्हें? क्या कांग्रेस में अब योग्यता से ज्यादा गुंडागर्दी के दम पर पद तय होंगे? बुजुर्ग कार्यकर्ता को घेरना और उनके साथ धक्का-मुक्की करना किसी भी राजनीतिक पार्टी के लिए शर्म की बात है, लेकिन यहां तो उल्टा उन्हीं पर हावी होने की कोशिश की गई। दगडियो 2027 में वापसी? ये तो आत्मघाती रास्ता लगता है कांग्रेस के लिए। अब सवाल उठता है कि क्या इस तरह के बिखरे, अनुशासनहीन, और आपस में लड़ते संगठन के बल पर कांग्रेस 2027 में उत्तराखंड की सत्ता में वापसी कर सकती है?

भाजपा जैसे संगठित और कैडर-बेस्ड पार्टी के मुकाबले कांग्रेस की यह हालत उसे कहीं नहीं पहुंचने वाली। 2022 में कांग्रेस पहले ही बुरी तरह से हार चुकी थी, और अब जबकि लोग भाजपा सरकार की नीतियों से कुछ हद तक असंतुष्ट भी दिख रहे हैं, कांग्रेस फिर से एक विकल्प बन सकती थी — लेकिन उसके नेता खुद ही जनता को बता रहे हैं कि हम विकल्प नहीं, विखंडन हैं। अब दगड़़ियो सवाल ये है कि क्यों हो रहा है ये सब कांग्रेस में? एक एक कर बता रहा हूं तो गौर से देखिएगा। कांग्रेस वाले वाले भी देखें,,बीजेपी वाले तो देखेंगे ही। नेतृत्व का अभाव जी हां दगड़ियो उत्तराखंड कांग्रेस में कोई एक सर्वमान्य चेहरा नहीं है जो पार्टी को एकजुट रख सके। सब अपनी-अपनी गोटी सेट करने में लगे हैं। ऐसा पहले भी लगता था और आज भी लग रहा है। दूसरे नंबर पर आता है पद, पद की भूख, पार्टी में विचारधारा और सेवा की जगह अब सिर्फ पद और ताकत की भूख बची है। अनुशासनहीनता पार्टी हाईकमान की पकड़ कमजोर है, कोई डर या जवाबदेही नहीं बची है। संगठनात्मक ढांचा जर्जर नीचे से ऊपर तक कोई समन्वय नहीं है। जो बैठकों में हो रहा है, वही सड़कों पर भी दिखेगा — यह स्वाभाविक है। स्थानीय गुटबाजी हर जिले में अलग-अलग गुट बन चुके हैं, जो एक-दूसरे को नीचा दिखाने में ही ऊर्जा खपा रहे हैं।

दगड़ियो कांग्रेस के लिए अब सवाल ये है कि वो क्या करें। सबसे पहले, अनुशासन बहाल करना जरूरी है। जो भी कार्यकर्ता या नेता संगठनात्मक बैठकों में इस तरह की हरकतें करते हैं, उनके खिलाफ तुरंत निष्कासन जैसी कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए। स्थानीय गुटबाजी पर लगाम लगाई जाए। एक नेता को जिले का प्रभार देकर सख्ती से अंदरूनी तालमेल बैठाया जाए। कार्यकर्ता संवाद का तरीका बदले। बैठकों को राजनीतिक अखाड़ा नहीं, नीतिगत संवाद का माध्यम बनाया जाए। युवा और कर्मठ नेतृत्व को मौका मिले। जो सालों से पार्टी में काम कर रहे हैं, उन्हें नजरअंदाज न किया जाए। दगड़ियो रुद्रपुर की घटना कांग्रेस के लिए एक चेतावनी है — अगर अब भी समय रहते संगठन में अनुशासन और पारदर्शिता नहीं लाई गई, तो 2027 का चुनाव तो दूर, पार्टी का जनाधार भी पूरी तरह खत्म हो सकता है। भाजपा या किसी और पार्टी से हारना उतना शर्मनाक नहीं, जितना खुद की अनुशासनहीनता और गुटबाजी से खुद को हराना। कांग्रेस को खुद से लड़ना बंद करना होगा, तभी वो दूसरों से लड़ पाएगी बल अब ऐसे कैसे होगा जैसे उधम सिंह नगर जिला मुख्यालय रुद्रपुर में कांग्रेस की संगठन सृजन अभियान बैठक में हुआ जमकर हंगामा हुआ। बताया जा रहा है कि बैठक के दौरान पर्यवेक्षक पार्टी कार्यकर्ताओं से राय सुमारी कर रहे थे, तभी अचानक जमकर लात घूंसे चलने लगे। इस दौरान कांग्रेस के दोनों गुटों के बीच जमकर हाथापाई भी हुई।