देहरादून: उत्तराखंड में मंत्रियों के लिए महंगी गाड़ी खरीदने की राह आसान होगी। सूत्रों की मानें तो परिवहन विभाग द्वारा प्रस्तावित वाहन खरीद नीति में वित्त विभाग ने एक तरफ मंत्रियों व प्रमुख सचिव स्तर के अधिकारियों के वाहनों की प्रस्तावित कीमत में कुछ और बढ़ोतरी की पैरवी की है, तो वहीं जिला स्तर के अधिकारियों के वाहनों की कीमत कम करने की टिप्पणी करते हुए नए सिरे से प्रस्ताव बनाने को कहा है। वित्त विभाग ने नई पॉलिसी के औचित्य और वाहनों की मूल्य सीमा बढ़ाने के प्रस्ताव पर आपत्तियां लगाते हुए इस पर परिवहन विभाग से जवाब मांगा है। विभागीय स्तर पर संतोषजनक जवाब मिलने पर ही वित्त विभाग से मंजूरी मिलना मुमकिन हो पाएगा।
परिवहन सचिव अरविंद ह्यांकी ने बताया कि वित्त विभाग की आपत्तियों का जवाब भेजा जा रहा है। परिवहन विभाग ने हाल ही में नई वाहन खरीद पॉलिसी का प्रस्ताव तैयार कर विभाग को भेजा है। इस नीति में बीते छह वर्षों में वाहनों की कीमतों के बढऩे, नए बीएस छह वाहनों के बाजार में उतरने तथा पेट्रोल, डीजल व सीएनजी की कीमतों के बढऩे का हवाला देते हुए वाहन खरीद की सीमा बढ़ाने की संस्तुति की गई है। इसमें मंत्री, मुख्य सचिव, जज से लेकर जिला स्तर तक के अधिकारियों की अलग-अलग श्रेणी बनाई गई हैं।
हर श्रेणी के लिए वाहनों के मूल्य अलग-अलग रखे गए हैं। नीति में कैबिनेट मंत्री, मुख्य सचिव, जज, अपर मुख्य सचिव व पुलिस महानिदेशक आदि के लिए वाहन की कीमत की सीमा 15 लाख से बढ़ाकर 25 लाख प्रस्तावित की गई है। वहीं, मंडलायुक्त, प्रमुख सचिव, सचिव, अपर पुलिस महानिरीक्षक और इसी वेतनमान के अधिकारियों के लिए 12 लाख के स्थान पर 20 लाख रुपये के वाहनों की खरीद प्रस्तावित की गई है। स्वयं का वाहन इस्तेमाल करने पर हर महीने पेट्रोल-डीजल और वाहन रखरखाव के खर्च को दोगुने से ज्यादा करने का प्रस्ताव है। वित्त विभाग ने राज्य की आर्थिक स्थिति को देखते हुए वाहन मूल्य बढ़ाने पर सवाल उठाया है।