जी हां दोस्तो उत्तराखंड के विशेष सत्र के दौरान हुआ कुछ ऐसा कि जब एक विधायक ने कमीशनखोरी से उठा दिया पर्दा। विधायक का ऐसा धमाका जिससे हो गया 15 फीसदी कमीशन का खुलासा। अब जब विधायक निधि में ही हो गई कमीशनखोरी तो फिर कोई कैसे कह दे कि सब ठीक ठाक है। Uttarakhand Vidhan Sabha Session कैसे दोस्तो एक विधायक ने सदन में कह दी इतनी बड़ी बात बताउंगा आपको पूरी खबर। दोस्तो प्रदेश में भ्रष्टाचार पर जीरो टोलरेंश है बल, लेकिन कमीशन के लेन देन में कोई मानाही नहीं है, ये बीते 25 साल के उत्तराखंड के सफर पर एक विधायक ने कहा है मेने नहीं। दोस्तो जब एक तरफ विशेष सत्र को देश की राष्टरपति संबोधित कर रही थी, तभी उत्तराखंड विधानसभा के विशेष सत्र में सदन उस वक्त सन्न रह गया, जब खटीमा विधायक भुवन कापड़ी ने बड़ा खुलासा कर दिया। कापड़ी ने भ्रष्टाचार पर तीखा हमला बोलते हुए कह दिया कि विधायक निधि में ही 15 प्रतिशत कमीशन कटता है, तो फिर दूसरों को कैसे रोकें भ्रष्टाचार से? दोस्तो इस इस बयान ने न सिर्फ सदन को हिला दिया, बल्कि पूरे राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है। अब सवाल ये है — कि क्या सच में विधायक निधि में चल रहा है ‘15% का खेल’? और अगर हां, तो इसके पीछे कौन हैं जिम्मेदार, पहले आपको मै वो बयान दिखा रहा हूं जो सदन में दिया गया, यानि की औन रिकोर्ड ये बयान दर्द हो गया कमीशिन के खेल का। दोस्तो भुवन कापड़ी ने एक नहीं कई बातें कहीं उन्हों उत्तराखंड के बीते 25 सालों की उपलब्धी को अपने ही अंदाज में और सवालों के साथ सदन के पटल बर रख दिया, साथ पहाड़, महिला और रोजगार सब पर बात की, लेकिन इन सब बातों में जो उन्हों ने कमीशन की बात कह दी। वो अब सत्तासीन बीजेपी के गले तो उतरने से रही।
दोस्तो उत्तराखंड राज्य स्थापना की रजत जयंती के अवसर पर आयोजित विशेष विधानसभा सत्र के दौरान विपक्ष ने सरकार को भ्रष्टाचार के मुद्दे पर घेरा। इस दौरान उपनेता प्रतिपक्ष और खटीमा विधायक भुवन चंद्र कापड़ी ने सदन में जोरदार ढंग से अपनी बात रखी और राज्य में फैले भ्रष्टाचार पर सरकार को कटघरे में खड़ा किया। दोस्तो कापड़ी ने कहा कि जब विधायक निधि से ही 15 प्रतिशत कमीशन काटा जा रहा है, तो सरकार भ्रष्टाचार पर शून्य सहनशीलता की बात कैसे कर सकती है। उन्होंने कहा कि यदि जनप्रतिनिधियों के विकास कार्यों में भी कमीशनखोरी हो रही है, तो आम जनता को मिलने वाले लाभ की स्थिति समझी जा सकती है। दोस्तो कापड़ी ने सवाल उठाया कि राज्य गठन के 25 वर्ष बाद भी भ्रष्टाचार खत्म होने के बजाय और गहराता जा रहा है। “विकास योजनाओं से लेकर छोटे-छोटे कार्यों तक में घूसखोरी की परंपरा बन गई है, और सरकार मूकदर्शक बनी हुई है, वैसे दोस्तो ये बात तो सच है कि उत्तराखंड की जनता ने राज्य इसलिए बनाया था ताकि पारदर्शी शासन व्यवस्था और ईमानदार प्रशासन स्थापित हो, लेकिन आज हालात उलटे हैं। ये कापड़ी भी कहते हैं, कापड़ी यहीं नहीं रुके सरकार से मांग की कि विधायक निधि सहित सभी विभागों में जारी कमीशनखोरी की उच्चस्तरीय जांच कराई जाए ताकि जनता का विश्वास दोबारा बहाल हो सके।
दोस्तो भुवन कापड़ी के इस तीखे बयान से सदन में कुछ देर के लिए सन्नाटा छा गया, वहीं विपक्षी विधायकों ने मेजें थपथपाकर उनका समर्थन किया। दोस्तो जब सदन में औन रिकार्ड़ कापड़ी ने कह दिया कि विधायक नीधि में कमीशनखोरी चरम पर और सब इसे जानते भी हैं लेकिन इस पर कार्रवाई नहीं होती। इस मामले में दब संसदीय कार्यमंत्री से सवाल किया गया तो उनका बयान थोड़ा अजीब लगा। जहां सुबोध उनियाल ने इस मामले में कार्रवाई की बात कहीं तो वहीं ये भी कह दिया कि सदन की गरीमा का ख्याल रखना चाहिए। पहले आप सुनलीजिए संसदीय कार्यमंत्री के उस बयान को भी।
दोस्तो अब जब कोई एक विधायक सदन में अपनी बात रख रहा है, वो सवाल कर रहा है तो यहां संसदीय गरीमा का उल्लघंन कहा से हो गया बल। अब विधायक सड़क से सवाल पूछे तो गलत और सदन में कह दे की प्रदेश में कमीशन खोरी चरम पर है और अब तो विधायकों को भी नहीं छोड़ा। अधिकारी 15 फीसदी का कमीशन लेते हैं, दोस्तो वैसे अब उत्तराखंड 25 साल का हो गयाा तो कमाने धमाने की श्रेणी में आ गया, लेकिन यहां कमाई कुछ ही लोगों की हो रही है, जो कमीशन लेते हैं, जो भ्रष्टाचार करते हैं। अब तो विधायक ने गंभीर आरोप लगाते हुए कह दिया कि राज्य में भ्रष्टाचार अपने चरम पर है। उन्होंने सदन में खड़े होकर दावा कर डाला कि विधायक निधि में 15 प्रतिशत तक का कमीशन अधिकारी खा रहे हैं। वैसे अपना उत्तराखंड राज्य गठन के 25 साल पूरे हो चुके हैं, और भ्रष्टाचार भी अब इन वर्षों में जवान हो चला है। पहले और कहीं किसी से कमीशन की बात तो आते रहती थी, अब तो विधायकों के कोटे में कमीशन कटने लग गया बल, तो ये भी तो एक तरक्की है ना दोस्तो भुवन कापड़ी ने बीजेपी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि प्रदेश में पारदर्शिता केवल भाषणों में है, जमीनी हकीकत कुछ और है। उनके इस बयान पर सत्ता पक्ष के विधायकों ने आपत्ति जताई और उनसे पूछा कि वह बताएँ कि किस अधिकारी ने उनसे कमीशन मांगा है। इस पर कापड़ी ने पलटवार करते हुए कहा कि ये बात किसी से छिपी नहीं है, सबको मालूम है कि कौन कमीशन मांगता है, इसके बाद सदन में हंगामा मच गया और माहौल कुछ देर के लिए गर्म हो गया, तो भुवन कापड़ी के इस बयान ने मानो विधानसभा की दीवारों में गूंजती एक पुरानी बहस को फिर से जगा दिया है — क्या जनसेवा के नाम पर चल रही निधियों में भ्रष्टाचार की परतें छिपी हैं? अब नज़र रहेगी सरकार पर इस बयान की क्या काट निकालती है क्योंकि मामला बड़ा है। क्या ‘15% कमीशन’ कटता है बल तो भी जमीन पर कितना लगता है बल, दोस्तो फिलहाल इतना तय है — कापड़ी के इस खुलासे ने सदन से लेकर सड़क तक हलचल मचा दी है।