मां के दर पर हुआ चमत्कार !| Surkanda Devi temple | Uttarakhand News

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उत्तराखंड में जहाँ सती का गिरा सिर, वहीं हुआ चमत्कार! सुरकंडा देवी मंदिर की रहस्यमयी कहानी क्या आपने सुनी है। 51 शक्तिपीठों में से एक है सुरकंडा देवी मंदिर, यहां गिरा देवी सती का सिर यहां प्रसाद के रूप में मिलती है औषधि। Surkanda Devi temple दोस्तो हिमालय की गोद में बसा एक ऐसा मंदिर, जहां सिर्फ आस्था नहीं, बल्कि शक्ति का रहस्य भी जीवित है। सुरकंडा देवी मंदिर — 51 शक्तिपीठों में से एक — जहां देवी सती का सिर गिरा था, और तभी से ये स्थल शक्ति का प्रतीक बन गया, लेकिन इस मंदिर की एक और खास बात है, जिसे जानकर आप चौंक जाएंगे — यहां प्रसाद के रूप में मिलती है ऐसी औषधि, जो सिर्फ शरीर नहीं, आत्मा तक को शुद्ध कर देती है। तो क्या है सुरकंडा देवी मंदिर का चमत्कारी इतिहास? क्यों श्रद्धालु इसे शक्ति का सर्वोच्च केंद्र मानते हैं? मेरी इस पोर्ट के जरिए आप सब कुछ जान पाएंगे। दोस्तो देवों की भूमि उत्तराखंड में आपने खूब मंदिर देखे होंगे कई के दर्शन भी किए होंगे, आज मै एक ऐसे ही मंदिर के बारे में बताने के लिए आया हूं जहां मान्यता है कि अगर इंसान यहां आता है उसके पाप धूल जाते हैं और भक्तों को मनचाहा वरदान भी मिलता है। यही नहीं, इस मंदिर की अपनी एक ऊर्जा है, माना जाता है ऐसे स्थानों पर एनर्जी वोर्टेक्स यानी ऊर्जा भंवर होता है। कई रिपोर्ट रिसर्च लेख के मुताबिक, ऐसी जगहों पर आध्यात्मिक या पारलौकिक ऊर्जा सबसे ज्यादा होती है, जो वहां जाने वालों को प्रभावित करने की शक्ति रखती है।

यहां दोस्तो बता दूं कि ये मंदिर 51 शक्तिपीठों में से एक है, जहां माता सती का सिर गिरा था, मां दुर्गा का ये फेमस सिद्धपीठ सुरकंडा मंदिर उत्तराखंड के टिहरी जनपद पट्टी के सुरकट पर्वत पर मौजूद है। जी हां दोस्तो भीड़-भाड़ से दूर, ये मंदिर गढ़वाल हिमालय की गोद में स्थित एक शांतिपूर्ण आध्यात्मिक स्थल है, जिसे सुरकंडा देवी मंदिर के नाम से जाना जाता है। ये आध्यात्मिक रूप से समृद्ध स्थल, 2500 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है और अपनी ऊर्जा से जुड़े महत्व के लिए जाना जाता है। ये मंदिर उन भक्तों और ऊर्जा साधकों को आकर्षित करता है, जो इस जगह के बारे में अच्छे से जानना चाहते हैं और दोस्तो कहा जाता है कि ये मंदिर एक ऊर्जा भंवर (एनर्जी वॉर्टेक्स) पर स्थित है। दोस्तो बहुत कम लोग ये बात जानते होंगे कि ये मंदिर भारत के शक्तिपीठ मंदिरों में से एक है, हिंदू शास्त्रों के अनुसार, ये वही स्थान है जहां देवी सती का सिर गिरा था और इसलिए इसका नाम सुरकंडा रखा गया। पारंपरिक भारतीय वास्तुकला शैली में बने इस मंदिर से आप पहाड़ों और घाटियों के अद्भुत नजारे भी देख सकते हैं। दोस्तो मंदिर की वास्तुकला काफी साधारण है, यहां पहुंचने के लिए तीर्थयात्रियों को लगभग 2.5 किमी की कठिन और खड़ी चढ़ाई करनी पड़ती है हालांकि, मार्ग सुंदर है, जहां चढ़ते हुए आपको बलूत के पेड़ लगे हुए दिखाई देंगे और सफेद पर्वत शिखरों की झलक मिलेगी। यहां से जुड़ी यात्रा खुद में ही शुद्धिकरण के रूप में जानी जाती है और यहां आकर श्रद्धालु प्रकृति से भी जुड़ पाते हैं।

दोस्तो देवी मंदिर को लेकर एक खास बात बताई जाती है कि यहां प्रसाद के रूप में रौंसली की पत्तियां दी जाती हैं, जिसके अपने औषधीय गुण है। धार्मिक मान्यता के मुताबिक इन पत्तियों से घर में सुख समृद्धि आती है, क्षेत्र में देववृक्ष का दर्जा भी हासिल है, इसलिए इस पेड़ की लकड़ी को इमारती या दूसरे व्यावसायिक उपयोग में नहीं लाते। दोस्तो इस मंदिर एक और खास बात जो इसे और मंदिरों से अलग बनाती है वो है इसके ऊर्जा भंवर (एनर्जी वॉर्टिसेज़) से जुड़ा होना है। कई आध्यात्मिक साधकों और ऊर्जा चिकित्सकों ने, मंदिर का दौरा किया है, वहीं उन्होंने यहां गहन आध्यात्मिक ऊर्जा का अनुभव करने की बात कही है। कई रिपोर्टों के अनुसार, लोग अक्सर यहां अज्ञात लेकिन भावनाओं को व्यक्त ना कर पाने वाली चीज, गहरे एकाग्रता स्तर और एक दिव्य उपस्थिति की अनुभूति करते हैं। दोस्तो यहां आने का मंदिर में मां के दर्शन का वैसे तो कोई समय नहीं है लेकिन यहां घूमने का सबसे अच्छा समय मार्च से जून और सितंबर से नवंबर के बीच है। इस दौरान मौसम ट्रेकिंग के लिए परफेक्ट और सुहावना रहता है, ये मंदिर केवल धार्मिक चीजों के लिए ही फेमस नहीं है, ये वो स्थान है जहां प्रकृति से जुड़ी हर एक चीज देखने को मिलेगी तो दोस्तो क्या कहेंगे आप मां सुरकंडा माता मंदिर के बारे में।