देहरादून. उत्तराखंड के दो जिले हरिद्वार और यूएसनगर मैदान क्षेत्र में आते हैं, जबकि देहरादून और नैनीताल का कुछ हिस्सा पहाड़ तो कुछ मैदान में आता है। लेकिन शेष नौ जिले पूरी तरह से पहाड़ क्षेत्र में आते हैं। मोटे तौर पर करीब विधानसभा की 35 सीटें पहाड़ में तो 35 सीटें मैदान में आती हैं। पहाड़ के विधायकों का कहना है कि पहाड़ में विधानसभाओं का क्षेत्रफल मैदानी क्षेत्र की विधानसभाओं की अपेक्षा कहीं अधिक है। लिहाजा, पहाड़ में क्षेत्रफल के आधार पर विधायक निधि और बजट का आंवदन होना चाहिए। कपकोट के विधायक सुरेश गड़िया और लैंसडौन के एमएलए दिलीप रावत भी मानते हैं कि पहाड़ में क्षेत्रफल तो अधिक है ही विकास कार्यों में लागत भी अधिक आती है।
धर्मपुर से विधायक विनोद चमोली का कहना है कि बजट आंवटन की पूरी प्रकिया में ही समीक्षा की जरूरत है। इसे टॉप हिल्स, फुट हिल्स और मैदानी क्षेत्रों के आधार पर बांटा जाना चाहिए। बता दें कि मौजूदा समय में उत्तराखंड में विधायकों को विधायक निधि के रूप में एक वित्तीय वर्ष के लिए तीन करोड़ 75 लाख का बजट मिलता है, जबकि हिमाचल में यही राशि एक करोड़ अस्सी लाख के आसपास है। पड़ोसी राज्य यूपी में सालाना पांच करोड़ की विधायक निधि दी जाती है। उत्तराखंड में विधायकों की ताजा मांग पर सरकार क्या कदम उठाती है, ये देखने वाली बात होगी।