उत्तराखंड: चारधाम यात्रा में अव्यवस्थाओं और घोड़ों की मौत पर नैनीताल हाईकोर्ट हुआ सख्त, नोटिस जारी किया

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Chardham Yatra 2022: उत्तराखंड में तीन मई को शुरू हुई चारधाम यात्रा में तीर्थयात्रियों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। इस दौरान चारधाम यात्रा में अहम भूमिका निभाने वाले घोड़े-खच्चरों की ही कोई कद्र नहीं की जा रही है। इनके लिए ना ही रहने की कोई समुचित व्यवस्था है और ना ही इनके मरने के बाद विधिवत अंतिम संस्कार किया जा रहा है। चारधाम यात्रा में अब तक 600 घोड़ों की मौत हो गई। लेकिन अब अव्यवस्थाओं को लेकर हाईकोर्ट ने सख्त कदम उठाया है क्योंकि यात्रा में लगातार इंसानों के साथ-साथ घोड़ों की भी मौत हो रही है।

उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने चारधाम यात्रा मार्ग पर घोड़े-खच्चरों की कथित तौर पर ज्यादा काम के बोझ के चलते हो रही मौतों के मामले को बुधवार को गंभीरता से लेते हुए राज्य सरकार और संबंधित अधिकारियों को ​नोटिस जारी किया और उन्हें मामले में दो सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने को कहा। उच्च न्यायालय के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश संजय कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति आर सी खुल्बे की पीठ ने राज्य सरकार, पशुपालन विभाग, उत्तरकाशी, चमोली एवं रूद्रप्रयाग तथा चारधाम मार्ग में आने वाले जिलों के जिलाधिकारियों को नोटिस जारी किए हैं। नैनीताल हाईकोर्ट ने राज्य में डॉक्टरों की कमी को लेकर भी टिप्पणी की है और कहा है कि राष्ट्रीय मानक के अनुसार ना तो जानवरों के डॉक्टर है ना ही इंसानों के।

बता दें कि हाईकोर्ट में समाजसेवी गौरी मौलेखी ने जनहित याचिका दाखिल की। जिसमें उन्होंने कहा कि चारधाम यात्रा में अब तक 600 घोड़ों की मौत हो गई, जिससे उस इलाके में बीमारी फैलने का खतरा बन गया है। याचिका में यह भी कहा गया है कि उन्होंने यह भी दावा किया कि इनमें से ज्यादातर घोडे़-खच्चर बीमार हैं और उनसे क्षमता से अधिक काम लिया जा रहा है. उनका कहना है कि इसके अलावा, इन पशुओं के लिए न तो पशु चिकित्सक की सुविधा है और न ही उन्हें पर्याप्त चारा और पानी उपलब्ध कराया गया है। श्रद्धालुओं की बढ़ती संख्या के अतिरिक्त दवाब के कारण इन पशुओं की मौत हो रही है।