दरक रहे उत्तराखंड के जोशीमठ को बचाने के लिए राज्य सरकार ने जमीन पर काम शुरू कर दिया है। इसके लिए सरकार ने सबसे पहले यहां खतरनाक हो चुके भवनों का सर्वे कराने और खतरे के हिसाब से उन्हें संवेदनशील, अति संवेदनशील और बफर जोन में बांटने का फैसला किया है। इतना करने के बाद इन भवनों को गिराने, मरम्मत करने और पुर्ननिर्माण करने के संबंध में फैसला लिया जाएगा। यह कवायद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के मौका मुआयना के बाद शुरू हुई है।
मुख्यमंत्री के निर्देश पर अब खुद मुख्यमंत्री के सचिव आर मीनाक्षी सुंदरम ने जोशीमठ में ही डेरा जमा लिया है। सचिव आर मीनाक्षी सुंदरम ने बताया कि चमोली के जिलाधिकारी हिमांशु खुराना को दो दिन के अंदर सभी भवनों का सर्वे करने और यहां रहने वाले लोगों का डेटाबेस तैयार करने को कहा है। इससे पहले शनिवार को ही जोशीमठ से अध्ययन करके लौटी विशेषज्ञ समिति ने भी शासन को अपनी प्राथमिक रिपोर्ट दी है। इसमें समिति ने खतरनाक हो चुके भवनों को तत्काल गिराने और कुछ भवनों की मरम्मत और पुर्ननिर्माण की सिफारिश की है।
तीन जोन में बटेंगे भवन, तैयार होगा डेटाबेस
खतरनाक जोन: प्रशासनिक अधिकारियों के मुताबिक इस हादसे में बुरी तरह से र्जर हो चुके भवनों को खतरनाक श्रेणी में रखा जाएगा। इस श्रेणी में उन पुराने भवनों को भी शामिल किया जाएगा जो खंडहर होने की कगार पर हैं। इस तरह के भवनों को गिराया जाएगा।
बफर जोन: इस श्रेणी में ऐसे भवनों को रखा जाएगा जिनमें हादसें के बाद दरारें तो आई हैं, लेकिन इनसे ज्यादा खतरा नहीं है। लेकिन इस मामले में लापरवाही करना उचित नहीं होगा। इस तरह के भवनों को आवश्यकता के मुताबिक मरम्मत किया जाएगा या फिर गिराकर।
सेफ जोन: सर्वे के दौरान इस श्रेणी में जोशीमठ के ऐसे भवन को दर्ज किया जाएगा जिनमें अब तक ना तो कोई दरार आई है और ना ही वहां जमीन खिसकी है। हालांकि इस श्रेणी के भवनों की सुरक्षा के लिए अलग से योजना लाई जाएगी। इसमें यहां बोरवेल या किसी अन्य तरह की खुदाई प्रतिबंधित होगी।