पिथौरागढ़ से चंपावत तक ! Uttarakhand News | Nepal GenZ Protest | Pithoragarh News | Champawat News

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नेपाल की सियासी हलचल, और हिंसा का—क्या उत्तराखंड के सीमावर्ती जिले भी अस्थिरता की चपेट में आ सकते हैं?  कैसे नेपाल हिंसा से उत्तराखंड में बढ़ा सीमा सुरक्षा का दबाव और क्यों सीमा पर फिर से किया गया अलर्टॉ। Alert on Uttarakhand borders due to Nepal violence दगड़़ियो नेपाल में वर्तमान राजनीतिक उथल-पुथल, जिसमें गृह मंत्री के इस्तीफे, सोशल मीडिया प्रतिबंधों के खिलाफ हिंसक प्रदर्शन और प्रधानमंत्री का इस्तीफा। इस स्थिति की छाया उत्तर भारत में भी दिखाई देने लगी है—खासकर उत्तराखंड जैसे संवेदनशील हिमालयी सीमावर्ती प्रदेश पर, भारत-नेपाल संबंधों में हाल में आए तनाव ने सीमावर्ती सुरक्षा एजेंसियों की सक्रियता बढ़ा दी है। अलग अलग रिपोर्ट के अनुसार, SSB समेत सुरक्षा बलों ने भारत-नेपाल सीमा पर सतर्कता बढ़ा दी है और गश्त को कड़ा किया गया है। दगड़ियो बता दूं कि उत्तराखंड के पिथौरागढ़, चंपावत व उधम सिंह नगर में सीमा सुरक्षा विशेष रूप से सतर्क हुई है। ‘नेपाल में राजनीतिक संकट के बाद पीएम केपी शर्मा ओली ने इस्तीफा दिया। आर्मी ने मोर्चा संभाला है और नई सरकार की कवायद तेज हो गई है, लेकिन इस बीच नेपाल से सटे यूपी, उत्तराखंड और बिहार के कई जिलों पर नजर रखी जा रही है। नेपाल की राजधानी काठमांडू में पिछले 24 घंटों में व्याप्त अराजकता और हिंसा ने स्थिति को नियंत्रित रखना मुश्किल कर दिया है।

सोशल मीडिया प्रतिबंध, बेरोज़गारी, भ्रष्टाचार और युवा वर्ग की नाख़ुशी—इन सबके मिश्रण ने गुस्से की लहर पैदा कर दी है। हालात खौफ़नाक होते जा रहे हैं, सरकार को देशव्यापी कर्फ्यू और संसद में आपात बैठक तक करना पड़ा। दगड़ियो नेपाल और भारत के बीच की करीब 1,750 किमी लंबी खुली सीमा—जिसमें पासपोर्ट या वीजा की बड़ी आवश्यकता नहीं—अब चुनौती बनती दिख रही है। इससे हथियार तस्करी, मादक पदार्थों की तस्करी, और मानव तस्करी जैसी गतिविधियां बढ़ सकती हैं। उत्तराखंड में पिथौरागढ़ और चंपावत जिलों में ड्यूल सिटिजनशिप की गहराती समस्या ने सुरक्षा को और संवेदनशील बना दिया है। राजनीतिक उथल‑पुथल के बीच संभावित पलायन सबसे तत्काल खतरा है। भारत‑नेपाल के सीमावर्ती इलाकों में इससे मानवीय संकट बन सकता है, जहाँ अस्थिर परिस्थितियों में लोग यूपी या उत्तराखंड में दस्तक दे सकते हैं। नेपाली प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के इस्तीफा के बाद आर्मी ने मोर्चा थाम लिया है. ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि नेपाल से लगती भारत की सीमाओं पर किस तरह की चौकसी हो रही है? नेपाल की सीमाएं भारत के किन-किन जिलों को छूती है। क्या नेपाल में राजनीतिक अस्थिरता या तख्तापलट के बाद इन जिलों की हालात कैसे रहने वाली है। दगड़ियो नेपाल में  हिंसा और अराजकता की स्थिति बनी हुई है। इसका सबसे सीधा असर भारत के उन राज्यों पर पड़ेगा जिनकी सीमाएं नेपाल से लगती हैं। विशेषकर, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और बिहार के सीमावर्ती जिलों में हलचल बढ़ गई है, क्योंकि यहां नेपाल में हुई किसी भी घटना की आंच सबसे पहले महसूस की जाती है।

नेपाल में अगर स्थिति बिगड़ती है तो इसका सबसे बड़ा प्रभाव सुरक्षा पर पड़ेगा। यूपी के लखीमपुर खीरी, बहराइच, श्रावस्ती, बलरामपुर, सिद्धार्थनगर और महाराजगंज जैसे जिले नेपाल से सटे हुए हैं। इसी तरह, उत्तराखंड के पिथौरागढ़, चंपावत और उधम सिंह नगर जैसे जिले भी नेपाल सीमा पर हैं। राजनीतिक अस्थिरता का फायदा उठाकर सीमा पार से हथियारों, मादक पदार्थों और मानव तस्करी जैसे अपराध बढ़ सकते हैं। दोनों देशों के बीच खुली सीमा होने के कारण, किसी भी हिंसा की स्थिति में नेपाल से भारत में लोगों का पलायन बढ़ सकता है, जिससे सीमावर्ती इलाकों में एक मानवीय संकट पैदा हो सकता है। व्यापार और पर्यटन भी इस अस्थिरता से बुरी तरह प्रभावित होंगे। उत्तराखंड और यूपी के सीमावर्ती शहरों से नेपाल के साथ व्यापार होता है, जो पूरी तरह से ठप है. पर्यटन, जो दोनों देशों की अर्थव्यवस्था का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, भी खतरे में दिखाई दे रहा है। दोस्तो ये इसलिए भी जरूरी है कि कैसे वो लोग जो सुबह नेपाल में और शाम को भारत में लोग कहते हैं कि नेपाल और भारत का रिश्ता रोटी बेटी का है ये तो आपने सुना ही होगा, लेकिन दअसल भारत का रिश्ता कहा जाता है लेकिन ये रिश्ता उत्तराखंड और नेपाल का है। यहां नेुपाल से लगते जिलों में आप देखेंगे तो किसी की शादी इधर हुई है तो किसी की उधर दोनों देशों में एक दूसरे के रिश्तेदार रहते है, हालांकि एक आकड़ा कहता है कि करीब 70 लाख नेपाली युवा पढ़ाई या नौकरी के लिए विदेश में है, और अब जब आप इन आंकड़ों को और गहराइ तक खंगालियेगा तो आप पाएंगे की इन 70 लाख में से कई लाख भारत में हैं और कई ऐसे लोग भी होंगे जो आकंड़ों नहीं होगे। ये तो बात हो गई रिस्ते की, लेकिन आज बात नेपाल में हुई हिंसा की उत्तराखंड पर असर की हो रही है। हालांकि प्रत्यक्ष तौर पर ऐसी कोई खबर नहीं आई है लेकिन नेपाल से लगते सीमाओं पर सुरक्षा को और दुरुस्त कर दिया है, ताकि कोई भी स्थिति ना बने जिससे नेपाल की आंग की चिंगारी उत्तराखंड की तरफ भी आए खास कर वो जिले ऊधम सिंह नगर खटीमा का क्षेत्र और पिथौड़ागड़ और चंपावत जिला यहां निगेबानी तगड़ी है।