Lok Sabha Election 2024: कांग्रेस में हरिद्वार लोकसभा सीट के बाद किसी अन्य सीट पर राजनीति गर्म है तो वह टिहरी। पिछला लोकसभा चुनाव इस सीट से लड़ चुके पूर्व नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह के आगे लोकसभा चुनाव लडऩे से इन्कार करने से पार्टी की अंदरूनी राजनीति गर्म है। प्रदेश संगठन एवं प्रभारी देवेंद्र यादव और प्रीतम के बीच जिस तरह छत्तीस का आंकड़ा है, ऐसे में आने वाले दिनों में इस सीट को लेकर नई बिसात बिछती दिखाई दे सकती है। लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस के भीतर टिकट को लेकर विवाद बढऩे के संकेत हैं। सबसे पहले हरिद्वार सीट पर टिकट को लेकर कई दावेदार अब तक सामने आ चुके हैं। अब टिहरी लोकसभा सीट को लेकर भी खींचतान बढऩे की नौबत है।
वर्ष 2019 में कांग्रेस ने इस सीट से पूर्व नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह को प्रत्याशी बनाया था। पिछले चुनाव में प्रीतम सिंह जीत दर्ज नहीं कर पाए, लेकिन इस सीट के अंतर्गत अपनी विधानसभा सीट चकराता से भाजपा के मुकाबले अधिक मत प्राप्त करने में सफल रहे थे। प्रीतम चकराता सीट से लगातार छठी बार विधायक हैं। इस बार प्रीतम सिंह के पहले ही चुनाव नहीं लडऩे की घोषणा से पार्टी में राजनीति तेज हो गई है। उनकी इस घोषणा पर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष करन माहरा के साथ ही पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत आपत्ति जता चुके हैं। पार्टी के वरिष्ठ नेता हरीश रावत का कहना है कि किस सीट से कौन चुनाव लड़ेगा, यह पार्टी तय करती है।
अपने धुर विरोधी दर्शन लाल की प्रदेश कांग्रेस अनुसूचित जाति प्रदेश अध्यक्ष पद पर ताजपोशी से नाखुश प्रीतम सिंह टिहरी संसदीय क्षेत्र में पार्टी जिलाध्यक्षों की नियुक्ति की नियुक्ति के बाद से ही नाराज दिखाई दे रहे हैं। प्रदेश संगठन के बाद पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने जिस प्रकार टिहरी सीट को लेकर टिप्पणी की है, उससे पार्टी के दिग्गज नेताओं के बीच खींचतान का नया अध्याय प्रारंभ हो चुका है। टिहरी सीट पर टिकट को लेकर प्रदेश संगठन अभी अपने पत्ते पूरी तरह खोलने को तैयार नहीं है, लेकिन आने वाले दिनों में इस सीट पर अन्य दावेदार भी सामने आते दिखाई दे सकते हैं। यद्यपि, चकराता विधानसभा सीट के साथ जौनसार-बावर के मतदाताओं का टिहरी लोकसभा क्षेत्र की अन्य विधानसभा सीटों पर प्रभाव को देखते हुए पार्टी भी फूंक-फूंक कर ही कदम आगे बढ़ा रही है। लेकिन, प्रीतम का तल्ख रुख पार्टी को परेशान किए हुए है।