कोई मां बेरहम भी हो सकती है, इसकी बानगी उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में देखने को मिली। जहां नवजात बच्ची को उसकी ही मां ने मरने के लिए जंगल में छोड़ दिया नवजात बच्ची का कसूर सिर्फ इतना था कि वह लड़की थी। अब तक मिली जानकारी के मुताबिक तीसरी बेटी होने पर महिला ने इस प्रकार की निर्दयता दिखाई। पुलिस ने बताया कि उन्हें नरगोली ब्लॉक में दौलीगाड गांव के पास जंगलों में नवजात शिशु के शव मिलने की सूचना मिली थी। बेरीनाग थानाध्यक्ष प्रताप सिंह नेगी के नेतृत्व में पुलिस की टीम वहां पहुंची तो नवजात का शव नहीं मिला। इसके बाद पुलिस ने मामले की जांच की तो सामने आया है कि प्रेमा देवी पत्नी रमेश चंद्र उपाध्याय निवासी ग्राम दौलीगाड जो गर्भवती थी और 10 मई से ही अपने तीन बच्चों के साथ गायब है।
जिसके बाद बेरीनाग थानाध्यक्ष प्रताप सिंह नेगी महिला के पति रमेश उपाध्याय के साथ महिला की तालाश में शनिवार को गंगोलीहाट पहुंचे। गंगोलीहाट में प्रेमा देवी अपने तीन बच्चों के साथ किराए के मकान में रह रही थी। इसके बाद पुलिस महिला को अपने साथ बेरीनाग थाने ले आई। बेरीनाग थाने में जब महिला से पूछताछ की गई तो उसने बताया कि छह मई को उसने गांव के जंगल में बच्ची को जन्म दिया था लेकिन बेटे की चाहत में उसने बच्ची को कपड़े में लपेटकर वहीं पर रख दिया था।
अगले दिन वह फिर से जंगल में गई लेकिन तब तक बच्ची की मौत हो चुकी थी इसलिए उसने कपड़े में लिपटी बच्ची को गड्ढे में रख दिया। इसके बाद पुलिस महिला को लेकर उसी जगह पर पहुंची, लेकिन वहां पर कोई भी शव नहीं मिला। वहां से करीब 20 से 25 मीटर दूर एक चीड़ के पेड़ की जड़ पर वो कपड़ा फंसा हुआ था, जिसमें महिला ने नवजात बच्ची का शव रखे होने की बात कही थी। थानाध्यक्ष प्रताप सिंह नेगी की तहरीर के आधार पर थाना पुलिस ने आरोपी महिला के खिलाफ आईपीसी की धारा 315, 317, 201 के तहत मुकदमा दर्ज किया है। बताया जा रहा है कि महिला का पति चंडीगढ़ में नौकरी करता है। आजकल वह भी घर आया है। प्रेमा के तीनों बच्चे अब अपने पिता और दादी के साथ रह रहे हैं।