उत्तराखंड में वीआईपी बनी ये नगरी, बिना परमिशन एंट्री नहीं! क्योंकि हांफने लगे हैं पहाड़ मसूरी की राह चलेंगे नैनीताल और दूसरे टूरिस्ट स्पॉट? क्या है पूरा मामला मै सिलसिलेवार तरीके से करूंगा बात, और साथ बताऊंगा आपको क्या है। Mussoorie Tourists Register रजिस्ट्रेशन वाले फैसले का गणित। दोस्तो जैसा कि हम सब जातने है कि उत्तराखंड चार धाम यात्रा और सिखों के पवित्र धाम हेमकुंड साहिब के लिए तीर्थ यात्री और श्रद्धालुओं को अपना रजिस्ट्रेशन करवाना होता है, उसी तरीके से अब पहाड़ों की रानी मसूरी में भी पर्यटकों को अपना रजिस्ट्रेशन करवाना होगा। दरअसल उत्तराखंड में बड़ी संख्या में देश-विदेश से तीर्थ यात्री श्रद्धालु और पर्यटक आ रहे हैं। जिनकी संख्या हर साल लगातार बढ़ती जा रही है। ऐसे में पहाड़ पर बसे शहरों कासो की धारण क्षमता सीमित है, लेकिन आने वाले तीर्थ यात्री पर्यटकों की संख्या ज्यादा होती जा रही है। कितने यात्री पर्यटक के तौर पर प्रोटेक्ट स्थलों पर आते हैं, इसका आंकड़ा सही तरीके से नहीं लग पाता है। जबकि चार धाम और हेमकुंड साहिब में आने वाले तीर्थ यात्रियों की संख्या का आंकड़ा रजिस्ट्रेशन के माध्यम से मिल जाता है। दोस्तो अब पहाड़ों की रानी मसूरी में आने वाले पर्यटकों को अब चार धाम यात्रा की तरह ही रजिस्ट्रेशन करवाना जरूरी होगा सरकार की यह नई व्यवस्था 1 अगस्त से लागू हो गई है जिसके दायरे में राज्य से बाहर के वो सभी पर्यटक आएंगे जो मसूरी घूमने का प्लान बना रहे हैं।
वहीं मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस नई पंजीकरण व्यवस्था को पर्यटकों की सुरक्षा के लिए बेहद जरूरी बताया है जिससे मसूरी आने वाले पर्यटकों की सटीक संख्या भी सरकार को मिल सकेगी। दोस्तो मसूरी एक ऐसा पर्यटक स्थल है जो विश्व प्रसिद्ध है यहां पर न सिर्फ भारत से बल्कि विदेशों से भी यात्री और पर्यटक पहुंचते हैं। पिछले कुछ समय से मसूरी में पर्यटकों की संख्या बे हिसाब बढ़ गई है। लगातार लोगों को ट्रैफिक जाम की समस्या से दो चार होना पड़ता है। मसूरी में कितने पर्यटक आते हैं, इसका आंकड़ा भी ठीक से नहीं लग पाता है। यही वजह है कि अब पर्यटन की संख्या कितनी है. इसका अब सही आंकड़ा मिल जाएगा। इसके लिए अब मसूरी आने वाले पर्यटकों को अपना रजिस्ट्रेशन करवाना होगा। दोस्तो उत्तराखंड की हसीन वादियों और खुशनुमा मौसम का मजा लेने के लिए हर साल पर्यटकों की बड़ी संख्या अलग-अलग पर्यटक स्थल पर पहुंचती है जिनमें से सबसे ज्यादा लोग चार धाम यात्रा और पहाड़ों की रानी मसूरी में पहुंचते हैं हालांकि चार धाम यात्रा में आने वाले श्रद्धालु अपना पंजीकरण करने के बाद ही चारधाम यात्रा के लिए उत्तराखंड पहुंचते हैं लेकिन पहाड़ों की रानी मसूरी में पर्यटकों के लिए ऐसी कोई भी व्यवस्था नहीं थी जिससे मसूरी में आने वाले पर्यटकों का सटीक आंकड़ा सरकार को नहीं मिल पाता है यही कारण है कि सरकार ने आज से एक नई व्यवस्था मसूरी आने वाले पर्यटकों के लिए लागू की है जिसके तहत उत्तराखंड के बाहर से मसूरी पहुंचने वाले यात्रियों को ऑनलाइन पंजीकरण करना जरूरी होगा इसके बाद ही पर्यटक मसूरी का दीदार कर सकेंगे।
पंजीकरण करने के लिए पर्यटकों को उत्तराखंड पर्यटन विभाग की https://registrationandtouristcare.uk.gov.in/mussoorie/ पर पंजीकरण कराना होगा दोस्तो बड़ी बात यह है कि आज से इस नई व्यवस्था के लागू होने के बाद मसूरी पहुंचने वाले पर्यटकों को रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य हो गया है और पर्यटकों को इस नई व्यवस्था के चलते किसी तरह की परेशानी ना हो उसके लिए सरकार ने मसूरी पहुंचने वाले पर्यटकों की सुविधा के लिए होटल और टैक्सी यूनियन को भी एक पोर्टल उपलब्ध कराया है जो ऐसी स्थिति में पर्यटकों का पंजीकरण कर सकेंगे जब पर्यटक बिना पंजीकरण मसूरी पहुंच गया हो। धीराज गबर्याल को जब नैनीताल जिले की कमान दी गई थी। कैसे उन्हों यहां काम किया। पूरे जिले की तस्वीर बदल कर रख दी थी, और उनके कंधों और बड़ी जिम्मेदारी है। इस फैसले में भी उन्होंने कुछ बेहत देखा और समझा होगा और तब लागू किया होगा। मसूरी आने वाले पर्यटकों की संख्या में हर साल इजाफा हो रहा है। वर्ष 2022-23 में मसूरी में 11,73,789 पर्यटक आये थे। मई-जून और नवंबर-दिसंबर के महीनों में पर्यटकों की संख्या सबसे अधिक थी, जबकि वर्ष 2023-24 में मसूरी में 21,34,626 यात्री आए थे। जिनमें 2,131,543 भारतीय और 3,083 विदेशी पर्यटक शामिल थे।इसी तरह से वर्ष 2024-25 में अब तक मसूरी में 21,34,626 पर्यटक पहाड़ों की रानी का दीदार करने के लिए आ चुके हैं। इनमें 21,31,543 भारतीय और 3,083 विदेशी पर्यटक शामिल हैं। इसके साथ ही चारधाम यात्रा पर आने वाले पर्यटक मसूरी घूमे बिना वापस नहीं लौटते हैं। वहीं सावन के महीने में आने वाले कांवड़िये भी मसूरी की सैर पर जरूर जाते हैं। गर्मियों के सीजन में तो मसूरी पर्यटकों से पूरी तरह पैक हो जाता है। आलम यह रहता है कि होटल में बुकिंग के लिए भी मारामारी हो जाती है। जो पहले से बुकिंग कर लेते हैं वे कभी जाम में फंस जायें तो उनकी बुकिंग भी रद्द हो जाती है। अब सरकार और पर्यटन विभाग ने एक महत्वपूर्ण फैसला लिया है। इस फैसले का कितना असर होता है। क्या असर होता है। ये देखना होगा। हालंकि आकंडा तो सरकार के पास आएगा, उससे और रणनीतियां बनाना आसान भी होगो।