जब जंगल भी चीख पड़ा! | Uttarakhand News | Heavy Rain | Viral Video | Breaking News | Elephant Video

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जी हां दोस्तो उत्तराखंड की बारिश-बाढ़ में इंसान ही नहीं, जानवर भी बेहाल देखिई दिए हैं और जब जंगल भी चीख पड़े कैसे सब कुछ दिखाने के लिए आया हूं। दगड़ियो उत्तराखंड में और भी कई तस्वीरें ऐसी आपने देखी होगीं जहां बेजुबान ये आपादा का शिकार हो रहे हैं। Animals are also suffering due to rain and flood जहां हम हर आपदा में कई आकड़ों को देखते हैं, कहां कितने घर गांव। शहर खेत इंसान बाढ़ से प्रभावीत हुएया तबाह हुए, इसके बारे में बात करते हैं। क्या कौइ आकंड़ा कभी ऐसा भी आया की इस आपदा रूपी आफत में हर साल कितने जानवर खत्म हो जाते हैं। दगड़ियो अपना उत्तराखंड, जिसे देवभूमि कहा जाता है, आज प्रकृति के रौद्र रूप से कराह रही है। बीते कुछ दिनों से राज्य के कई हिस्सों में मूसलधार बारिश हो रही है, जिसके कारण नदियाँ उफान पर हैं, सड़कें बह रही हैं, और घर ढह रहे हैं, लेकिन इस बार यह त्रासदी केवल इंसानों तक सीमित नहीं रही। इस बार जंगल भी चिल्लाया, जानवर भी डरे, और जीवन की सबसे मासूम छवि – वन्यजीव – बाढ़ की विभीषिका में लाचार नज़र आए। इंसानों के साथ-साथ जानवरों पर भी कहर ऐसा टूटा की वो भी रहम की भीख मांग रहे होंगे, ऊपर वाले से और हम इंसानों से भी हम। दगड़ियो अब तक हम हर साल देखते आए हैं कि जब बारिश आती है, तब घर ढहते हैं, पुल टूटते हैं और लोग विस्थापित होते हैं, लेकिन इस बार उत्तराखंड की बाढ़ ने साबित कर दिया कि इंसान ही नहीं, जानवर भी उतने ही असहाय हैं। देहरादून की बताइ गई, जहां नदी में नहीं ये कोई सड़क या गली है। जहां जानवर बह रहे हैं। ये एक दो नहीं कई थे, वैसे दगड़ियो ये होता तो हर साल होगा। जब हम इंसान परेशान होते होंगे, तो जानवर भी होते होंगे लेकिन इनके बारे में कोई बात नहीं करता या करना नहीं चाहता, शायद ये हमारी तरह बोलते तो ये जानवर भी अपनी तकलीफ बताते, कोई कहता हमे सुरक्षित स्थान पर पहुंचाओं, कोई कहता हमें विस्थापित करो। हो सकता है कोई मुआवजे की मांग भी करता क्योंकि इनका घर जंगल। एक इंसानों उजाड़ दिये और जो बचे उसे अब प्रकृति उजाड़ रह रही है।

दगड़ियो प्राकृतिक आपदा के समय जानवरों के पास न तो कोई अलर्ट सिस्टम होता है, न सुरक्षित शरण। वे उस जंगल में रहते हैं जिसे इंसान लगातार काटता आ रहा है, उस नदी के पास जो अब उनके लिए मौत बन चुकी है।सोशल मीडिया एक तस्वीर तेजी से वायरल हुई कि एक तेंदुआ, बाढ़ की नदी में बहता हुआ, कहीं उसका शव किनारे लगता दिखाई दिया तो तो कहीं जिंदा तेंदुआ पानी में संघर्ष करता नजर आया। वैसे कहा ये गया कि रामनगर की बड़ी नहर में बहता हुआ दिखाई दिया। तेंदुआ जंगल का राजा है, जो अकेला कई किलोमीटर क्षेत्र का स्वामी होता है, वह भी बाढ़ में बेबस हो गया। क्या हमने कभी सोचा था कि जंगलों के राजा को भी बाढ़ से डर लगेगा? ये वो इस तरह से पानी में बहता जाएगा लेकिन ये हो रहा है, ये कोई एक घटना नहीं थी, बल्कि संकेत था कि हमने प्राकृतिक संतुलन को कितना बिगाड़ दिया है। अब एक और तस्वीर दिखाता हूं, हाथी कैसे बांढ़ में फंसे दगड़यो विशालकाय शरीर लेकिन कोई सहारा नहीं। उत्तराखंड के तराई क्षेत्र में स्थित जंगलों में रहने वाले हाथी, बारिश के बाद अपने ठिकानों से भटक कर मानव बस्तियों की ओर आने लगे हैं ऐसी तस्वीरें कई बार मेने आपको दिखाई हैं। दलदली जमीन, उफनती नदियाँ और कटी हुई पहाड़ियाँ – इन सबने हाथियों के लिए एक जाल बुन दिया है ऐसा लगता है। दगड़ियो नैनीताल जिले में हो रही बारिश के बाद नदी नाले उफान पर थी, इसी बीच रामनगर के मोहान और कुमेरिया के बीच से ये एक चौंकाने वाला वीडियो सामने आया। इस वीडियो में कोसी नदी का उफान और उसके बीच दो विशाल हाथियों की जद्दोजहद साफ दिखाई देती है, तेज बहाव के बीच ये दोनों गजराज बहते हुए नजर आये यह दृश्य इतना खतरनाक था कि वहां से गुजर रहे ग्रामीणों ने तुरंत अपने मोबाइल कैमरे में इसे कैद कर लिया।

बताया जा रहा है कि भारी बारिश के चलते कोसी नदी का जलस्तर अचानक काफी बढ़ गया है, ऐसे में जंगल के भीतर से गुजरते वक्त यह हाथी का जोड़ा नदी में उतर गया लेकिन तेज धारा ने उन्हें बहाव में खींच लिया हालांकि यह राहत की बात है कि दोनों हाथियों ने गजब की फुर्ती दिखाई और कुछ ही देर बाद सुरक्षित किनारे पर आ पहुंचे। कई बार प्राकृतिक आपदा के इस खेल में जानवरों की जान चली जाती है। अब एक और तस्वीर दिखा रहा हूं आपको देखिए जंगल के ये खूबसूरत हिरन कितने परेशान दिखाई दे रहे हैं। हिरनों का झुंड – बाढ़ के बीच जिंदगी की जंग लड़ता दिकाई दिया दगड़ियो सबसे भावुक कर देने वाली तस्वीर तब सामने आयी जब रामनगर के पास कोसी नदी में हिरनों का एक झुंड बाढ़ के बीच फंसा हुआ पाया गया, ये मासूम जानवर इधर-उधर भाग रहे थे, लेकिन चारों ओर सिर्फ पानी था। दगड़ियो देखिए ना न आगे जाने की जगह , न पीछे लौटने का रास्ता कई हिरन बाढ़ के बीच में फंसे दिखाई दे रहे हैं। अब मेरे पास तो इतनी भर तस्वीर आई है जो मैने दिखाई है, आगे क्या हुआ होगा पता नहीं दगड़ियो ये हिरन का झुंड बच भी पाया होगा या नहीं पता नहीं क्योंकि बचने का कोई रास्ता यहां तस्वीर में तो दिखाई नहीं दे रहा है।

दोस्तो ये दृश्य साबित करता है कि प्राकृतिक आपदा केवल एक पर्यावरणीय घटना नहीं, बल्कि वन्य जीवन के लिए अस्तित्व का संकट है और जो सवाल हैं उन सवाल का जवाब हमें हमारी खुद की नीतियों और व्यवहार में खोजना होगा आज उत्तराखंड के पहाड़ों में बेतरतीब निर्माण हो रहा है – होटल, रिसॉर्ट, सड़कें और मकान पहाड़ों की छाती चीर कर बनाए जा रहे हैं। नदियों के किनारे अवैध खनन किया जा रहा है, जिससे उनके बहाव का रास्ता बदल जाता है। जंगलों की कटाई हो रही है, जिससे जानवरों का आश्रय और भोजन दोनों छिन रहा है। जलवायु परिवर्तन के कारण बारिश का स्वरूप भी असामान्य हो गया है – कभी बहुत अधिक, कभी बहुत कम। जब जंगलों में बाढ़ आती है या बारिश के कारण भूस्खलन होता है, तो जानवरों को कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है।