जी हां दोस्तो उत्तराखंड में प्रशासनिक फैसले पर उठ खड़ा हुआ सियासी तूफान, कैसे बैठख बन गई अखाड़ा। कौन सही कौन झूठ में उलझ गई जनता, मसूरी नगर पालिका के सभागार में चल रही एक प्रशासनिक बैठक अचानक सियासी अखाड़ा बन गई। टाउन वेंडिंग कमेटी की बैठक में कांग्रेस नेत्री और एसडीएम आमने-सामने आ गए, और पटरी व्यापारियों का मुद्दा विवाद की बड़ी वजह बन गया। दोस्तो मसूरी नगर पालिका के सभागार में उस वक्त माहौल गरमा गया, जब टाउन वेंडिंग कमेटी की बैठक हंगामे में बदल गई। कांग्रेस नेत्री सोनिया आनंद रावत और एसडीएम मसूरी राहुल आनंद के बीच तीखी नोकझोंक हुई, जिसके बाद बैठक सियासी और प्रशासनिक विवाद का केंद्र बन गई। पटरी व्यापारियों को लेकर उठे सवालों ने अब पूरे मामले को तूल दे दिया है। जी हां दोस्तो मसूरी नगर पालिका के सभागार में आयोजित टाउन वेंडिंग कमेटी (टीवीसी) की बैठक उस समय विवादों के केंद्र में आ गई, जब बैठक के दौरान कांग्रेस नेत्री सोनिया आनंद रावत ने जोरदार विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया। देखते ही देखते यह विरोध हंगामे में बदल गया और मौके पर मौजूद अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों के बीच तीखी बहस शुरू हो गई। इस दौरान कांग्रेस नेत्री की एसडीएम मसूरी राहुल आनंद से सीधी नोकझोंक हो गई, जिसने पूरे घटनाक्रम को और भी संवेदनशील बना दिया। दरअसल दोस्तो टाउन वेंडिंग कमेटी की बैठक का उद्देश्य मसूरी शहर में पटरी व्यापारियों की व्यवस्था, पुनर्वास और नियमन को लेकर केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित नियमों के तहत चर्चा करना था। खास तौर पर माल रोड क्षेत्र में बढ़ते अतिक्रमण, पर्यटकों की आवाजाही में आ रही दिक्कतों और शहर की सुंदरता व सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए प्रशासन की ओर से कुछ ठोस निर्णय लिए जाने थे। लेकिन बैठक की शुरुआत से पहले ही माहौल तनावपूर्ण हो गया, जब कांग्रेस नेत्री सोनिया आनंद रावत बिना पूर्व अनुमति के बैठक में प्रवेश कर गईं और अपनी आपत्तियां दर्ज कराने लगीं।
दोस्तो बैठक के दौरान सोनिया आनंद रावत ने टाउन वेंडिंग कमेटी की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए आरोप लगाया कि समिति द्वारा कुछ चुनिंदा पटरी व्यापारियों को ही लाभ दिया जा रहा है, जबकि बड़ी संख्या में वर्षों से माल रोड और आसपास के क्षेत्रों में व्यापार कर रहे लोगों को बाहर किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि यह प्रक्रिया न तो पारदर्शी है और न ही न्यायसंगत। उनके अनुसार, जिन गरीब और छोटे व्यापारियों की आजीविका पूरी तरह पटरी व्यापार पर निर्भर है, उन्हें हटाने का मतलब उनके परिवारों को भुखमरी की कगार पर धकेलना है। दोस्तो इस दौरान सोनिया आनंद रावत और एसडीएम राहुल आनंद के बीच तीखी नोकझोंक हो गई। एसडीएम ने बैठक में हस्तक्षेप और कथित अभद्रता पर कड़ी आपत्ति जताई। उनका कहना था कि टाउन वेंडिंग कमेटी केंद्र सरकार के नियमों और दिशा-निर्देशों के अनुसार काम कर रही है और इसमें किसी प्रकार का राजनीतिक हस्तक्षेप स्वीकार नहीं किया जाएगा। एसडीएम राहुल आनंद ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि माल रोड को व्यवस्थित करने का निर्णय एक प्रशासनिक प्रक्रिया के तहत लिया गया है और इसे हर हाल में लागू किया जाएगा। इधर एसडीएम का आरोप है कि सोनिया आनंद रावत ने न केवल बिना अनुमति बैठक में प्रवेश किया, बल्कि चर्चा के दौरान अमर्यादित भाषा का भी प्रयोग किया, जो किसी भी तरह से स्वीकार्य नहीं है। उन्होंने कहा कि प्रशासन सभी पटरी व्यापारियों के हितों को ध्यान में रखकर निर्णय ले रहा है, लेकिन कानून और व्यवस्था बनाए रखना भी उतना ही जरूरी है। मसूरी एक प्रमुख पर्यटन स्थल है, जहां हर साल लाखों पर्यटक आते हैं। ऐसे में अव्यवस्थित पटरी व्यापार न केवल यातायात और सुरक्षा के लिए चुनौती बनता है, बल्कि शहर की छवि पर भी नकारात्मक असर डालता है।दो्तो एक तरफ एसडीएम तो वहीं दूसरी ओर कांग्रेस नेत्री सोनिया आनंद रावत ने प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड की नौकरशाही भारतीय जनता पार्टी के इशारे पर काम कर रही है और मसूरी में भी एसडीएम राहुल आनंद भाजपा के दबाव में निर्णय ले रहे हैं।
उनके अनुसार, टाउन वेंडिंग कमेटी की पूरी प्रक्रिया राजनीतिक पक्षपात से ग्रस्त है, जिसमें अपने चहेते लोगों को फायदा पहुंचाया जा रहा है। उन्होंने दावा किया कि जिन पटरी व्यापारियों को हटाने की बात कही जा रही है, वे वर्षों से उसी स्थान पर व्यापार कर रहे हैं और उनके पास वैकल्पिक व्यवस्था का कोई ठोस आश्वासन नहीं दिया गया है। सोनिया आनंद रावत ने दो टूक शब्दों में कहा कि कोई भी पटरी व्यापारी माल रोड नहीं छोड़ेगा। यदि प्रशासन ने जबरन हटाने की कोशिश की, तो कांग्रेस और प्रभावित व्यापारी उग्र आंदोलन करने को मजबूर होंगे। उन्होंने चेतावनी दी कि यह आंदोलन केवल मसूरी तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि इसे प्रदेश स्तर तक ले जाया जाएगा। उनका कहना था कि कांग्रेस हमेशा गरीब, मजदूर और छोटे व्यापारियों के साथ खड़ी रही है और आगे भी उनके अधिकारों की लड़ाई लड़ती रहेगी। दोस्तो इस पूरे घटनाक्रम ने मसूरी की राजनीति और प्रशासनिक व्यवस्था में हलचल मचा दी है। एक ओर प्रशासन कानून और व्यवस्था और शहर के नियोजन की बात कर रहा है, तो दूसरी ओर विपक्ष इसे गरीबों के खिलाफ कार्रवाई और राजनीतिक साजिश बता रहा है। स्थानीय पटरी व्यापारियों में भी इस मुद्दे को लेकर असमंजस और चिंता का माहौल है। कुछ व्यापारी प्रशासन के फैसले को जरूरी मान रहे हैं, जबकि बड़ी संख्या में व्यापारी अपने भविष्य को लेकर डरे हुए हैं। फिलहाल, दोस्तो टीवीसी बैठक में हुए हंगामे ने यह साफ कर दिया है कि मसूरी में पटरी व्यापार का मुद्दा आने वाले दिनों में और तूल पकड़ सकता है। प्रशासनिक सख्ती, राजनीतिक बयानबाजी और संभावित आंदोलन के बीच अब सबकी निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि सरकार और प्रशासन आगे क्या रुख अपनाते हैं और क्या कोई ऐसा रास्ता निकलता है, जिससे टकराव की बजाय सहमति का माहौल बन सके।