दरकते जोशीमठ के बीच अब नए संकट ने दी दस्तक! सूखने लगे प्राकृतिक जल स्रोत

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उत्तराखंड के जोशीमठ में जमीन दरकने और मकानों में दरारें आने के बाद अब नया संकट दस्तक दे रहा है। यहां प्राकृतिक जल स्रोत सूखने लगे हैं। इस वजह से लोग चिंता में हैं। लोगों का कहना है कि गर्मी के मौसम में जब सुदूर इलाकों में भारी जलसंकट होता था, उस समय भी यहां पानी की समस्या कभी नहीं हुई, लेकिन इस बार यहां जलस्रोत सूख रहे हैं। अगर ऐसा ही रहा तो आने वाले दिनों में लोगों को भारी जलसंकट का सामना करना पड़ सकता है। इस प्रकृतिक धार के आसपास रहने वाले लोगों ने बताया कि जोशीमठ में उनका सारा जीवन गुजर गया है। उनका ही नहीं उनके पूर्वजों ने भी जिंदगी यही काटी, पर आज तक ऐसा कभी नहीं हुआ कि जब प्रकृति से निकलने वाला यह जल स्त्रोत सूखा हो। उन्होंने बताया कि यह प्राकृतिक पानी की जलधार लगभग 200 साल पुरानी थी। इसी पानी से पीने, बर्तन-कपड़े और घर के आदि सभी काम किए जाते थे। पर इस आपदा में यह जलस्रोत ऐसा सूखा कि आज इसमें एक बूंद पानी नहीं है।

अपने पौराणिक प्राकृतिक स्रोत रुकते हुए देख दुखी हो रहे लोगों ने इन स्रोतों के सूखने का पूरा ठीकरा जल विद्युत परियोजना एनटीपीसी के मत्थे मढ़ दिया। लोगों ने कहा कि सरकार एक तरफ बड़ी-बड़ी जल विद्युत परियोजनाएं लगाकर पहाड़ों का नाश मार रही है और दूसरी तरफ बाईपास सड़कों के नाम पर शहर को खोखला कर रही है। लोगों ने कहा कि एनटीपीसी की टनल की वजह से ही इस प्राकृतिक पानी का जमीन में रिसाव हो गया है। जिस वजह से उनके प्राकृतिक जलस्रोत सूख गए हैं और पानी जमीन में रिसने से दरारों में भी वृद्धि हो रही है। बता दें कि इसी मोहल्ले में मकानों में बड़ी-बड़ी दरारें देखने को मिल रही हैं। घरों में दरारें आने की वजह से लोग परेशान हैं। कई मकानों के पास पानी निकलता हुआ दिख रहा है। लोगों का कहना है कि जो जल स्रोत सूख रहे हैं, उन्हीं से होटल संचालक और आसपास के लोग यात्रा के दौरान पानी की व्यवस्था करते थे। इस समय जोशीमठ में घरों में नई दरारें तो नहीं आ रही हैं, लेकिन यहां जलस्रोत सूखना बड़ी समस्या साबित हो सकता है।