Haridwar News: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सांसद आदर्श ग्राम योजना के तहत मंत्रियों द्वारा गांवों को गोद लिया जाता है। उसी योजना के स्वरूप को अब हरिद्वार प्रशासन भी अपना रहा है। फर्क सिर्फ इतना है कि गांव के स्थान पर अब हरिद्वार के गंगा घाटों को गोद देने की कवायद की जा रही है। इन घाटों को हरिद्वार की धार्मिक व सामाजिक संस्थाओं को गोद दिया जाएगा, जिसमें वह घाट की साफ-सफाई, सौंदर्यीकरण के साथ-साथ गंगा घाटों पर आमजन की सुरक्षा व्यवस्था की भी जिम्मेदारी उठाएंगे।
नगर निगम द्वारा कम संसाधन व मैनफोर्स की कमी के कारण हरिद्वार के तमाम घाटों की सफाई व्यवस्था करने बहुत ही मुश्किल हो रही थी जिस वजह से घाटों को गोद दिया जा रहा है।बता दें कि हरिद्वार में कुल 84 घाट हैं, जिसकी साफ सफाई की जिम्मेदारी नगर निगम की होती है। इस पूरी प्रक्रिया में 40 लाख रुपए सालाना खर्च आता है, जिसका अनुबंध भी अब समाप्त हो गया है। हरिद्वार के पूर्व डीएम रहे रविशंकर ने घाटों को गोद देने की ये योजना बनाई थी, लेकिन तब कोरोना काल के चलते ये पूरी नहीं हो सकी। अब हरिद्वार के वर्तमान जिलाधिकारी विनय शंकर पांडे ने इस योजना को गंभीरता से लेते हुए हरिद्वार के तमाम घाटों को गोद देने का फैसला लिया है।
गंगा घाटों को गोद लेने के नियम:
- कोई भी एनजीओ, आश्रम, संस्था या फिर अखाड़ा गोद लिए घाट पर कोई भी टेंपरेरी कंस्ट्रक्शन का कार्य नहीं करा सकता है।
- घाट से जुड़ी कोई भी वस्तु या फिर परिसर किसी भी संस्था को बेचने का कोई अधिकार नहीं होगा।
- कोई भी संस्था किसी तरह का अतिक्रमण घाट के आसपास नहीं करा सकेगी।
- संस्थाओं द्वारा घाटों पर आमजन के स्नान करने के लिए चेन, हुक्स और चेंजिंग रूम के साथ-साथ बैठने के लिए साफ-सुथरी कुर्सियों की व्यवस्था करनी होगी।
- संस्था द्वारा घाट पर प्रातः कालीन और सांय कालीन गंगा आरती का आयोजन किया जाएगा।
- संस्था द्वारा घाट पर आने वाले श्रद्धालु, यात्रियों व आमजन की सुरक्षा की भी व्यवस्था की जाएगी, जिसके लिए संस्था द्वारा घाट पर दो सिक्योरिटी गार्ड रखने अनिवार्य होंगे।
- घाट के नाम के साथ ही कोई बदलाव नहीं किया जा सकता है।