दोस्तो हाल ही में धराली में आए सैलाब ने सब कुछ तबाह कर दिया, अभी उस दर्द से धराली उभरा भी नहीं था कि एक और प्रलय की आहट ने धराली के साथ निचले इलाकों में हाहाकार मचाने का काम किया है। मै आपको बताऊँगा इस नई आफत के बारे में साथ ही कैसे डूबा गंगोत्री हाईवे, अब जो धराली और उसके नीचले हिस्से में फिर से जल प्रलय की जो आहट है उस चुनौती से कैसे निपटेंगे लोग और सरकार सिस्टम ये बताने के लिए आया हूं। Temporary Lake Built In Harshil उत्तरकाशी ज़िले के हर्षिल-धराली क्षेत्र में बीते 15 दिनों से एक कृत्रिम झील ने पूरे इलाके की रफ्तार रोक दी है। गंगोत्री हाईवे का 100 मीटर हिस्सा इस झील के कारण जलमग्न हो चुका है, जिससे न सिर्फ स्थानीय लोगों की दिनचर्या प्रभावित हुई है, बल्कि सेना और प्रशासन के राहत प्रयास भी गंभीर चुनौती में फंस गए हैं। यह संकट अब केवल एक मार्ग बंद होने तक सीमित नहीं रहा, बल्कि यह एक बड़ा प्राकृतिक और प्रशासनिक आपातकाल बन चुका है। दोस्तो इस नये जल प्रलय के बारे में बताऊं उससे पहले इस संकट की जड़ को आपको समझना होगा। पूरा घटनाक्रम शुरू हुआ 5 अगस्त को, जब खीरगंगा नदी में आई बाढ़ ने धराली क्षेत्र को बुरी तरह प्रभावित किया। इसी दौरान, हर्षिल के पास बहने वाली तेलगाड़ में उफान के कारण भारी मलबा भागीरथी नदी में गिरा और उसका प्रवाह अवरुद्ध हो गया। नतीजतन, नदी के पानी ने पीछे की ओर जमा होकर एक कृत्रिम झील का रूप ले लिया। दोस्तो चिंता की बात ये नहीं कि जहां पानी ने झील का रूप लिया। चिंता इससे भी बहुत बड़ी है, दगड़ियो धीरे-धीरे यह झील इतनी बड़ी हो गई कि गंगोत्री हाईवे का एक बड़ा हिस्सा इसकी चपेट में आ गया। अब यह झील मात्र एक जलाशय नहीं, बल्कि हजारों लोगों की आवाजाही, सप्लाई और राहत के रास्ते में दीवार बन चुकी है।
दोस्तो अभी धराली आपदा के जख्म भरे भी नहीं है कि एक मुसीबत खतरे का संकेत दे रही है। जिसका इशारा केदारनाथ पुनर्निमार्ण का जिम्मा संभाल चुके और मौदा वक्त में धराली के पुननिर्मार्ण का जिम्मेदारी जिनको दी गई है अज कोठियाल। दोगड़ियो इस बड़े खतरे की घंटी की आवाज को जहां पहाड़ के स्थानीय लोग महसूस कर रहे हैं। वहीं सरकार और सिस्टम भी सतर्क होता दिखाई दे रहा है। राज्य सरकार और सेना द्वारा लगातार प्रयास किए जा रहे हैं कि झील का चैनलाइजेशन किया जाए ताकि उसका पानी व्यवस्थित रूप से निकले और हाईवे मुक्त हो सके। प्रारंभिक प्रयासों में झील के जलस्तर में कुछ कमी भी आई, लेकिन यह स्थायी समाधान नहीं बन सका। दोस्तो यहां चुनौतियां कई तरह की है। दलदल बन चुकी सड़क: सेना की भारी मशीनें दलदल में फंस रही हैं, जिससे राहत कार्यों की गति थम गई है। जिसका जिक्र अजय कोठियाल भी कर रहे हैं। दूसरी बड़ी चुनौती भागीरथी का दबाव: भागीरथी नदी का जलस्तर लगातार हाईवे की ओर बढ़ रहा है, जिससे स्थिति हर पल और गंभीर होती जा रही है। दोस्तो तीसरी बड़ी चुनौती ये है कि स्थानीयों की व्यथा: क्षेत्र के लोग अब राशन, दवाइयों और मूलभूत ज़रूरतों के लिए संघर्ष कर रहे हैं। तो दगड़ियो धराली की स्थिति बेहद गंभीर तब भी थी और आज भी है, और नया संकट डरा रहा है। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस आपदा से निपटने के लिए सेना के पूर्व अधिकारी कर्नल अजय कोठियाल को विशेष ज़िम्मेदारी सौंपी है।
कोठियाल के अनुसार, “अब केवल एक ही रास्ता है — इस झील को जल्द से जल्द पंचर करना। यदि इसमें देर हुई, तो संकट और गहराएगा। दोस्तो अजय कोठियाल जैसे अनुभवी की मौजूदगी से उम्मीद ज़रूर बंधी है, लेकिन राहत कार्यों को तेज़ी, संसाधन और मौसम की भी सख्त ज़रूरत है। इस संकट का सबसे बड़ा प्रभाव आवागमन पर पड़ा है। गंगोत्री हाईवे बंद होने से चारधाम यात्रा के साथ-साथ स्थानीय पर्यटन, व्यापार और प्रशासनिक गतिविधियाँ लगभग ठप पड़ी हैं। सबसे चिंताजनक बात यह है कि यदि झील फूटती है या जलस्तर अचानक बढ़ता है, तो इससे निचले इलाकों में विनाशकारी बाढ़ का खतरा भी उत्पन्न हो सकता है। धराली और हर्षिल के निवासी लगातार सरकार से आग्रह कर रहे हैं कि जल्द से जल्द ठोस कदम उठाए जाएँ। “अब तो झील ने गाँव के जीवन को ही निगल लिया है,” एक स्थानीय बुज़ुर्ग कहते हैं। “बच्चों की पढ़ाई से लेकर रोज़ की ज़रूरतें सब ठप हैं।”धराली की कृत्रिम झील केवल एक भौगोलिक आपदा नहीं, बल्कि एक चेतावनी है — प्राकृतिक संतुलन के साथ खिलवाड़, जलवायु परिवर्तन और विकास की योजनाओं में लापरवाही किस तरह आम लोगों को संकट में डाल सकती है।आवश्यक है कि प्रशासन जल्द-से-जल्द इस आपदा को नियंत्रित करने के लिए तकनीकी विशेषज्ञों, सेना और वैज्ञानिक संस्थानों की सहायता से सामूहिक प्रयास करे..यह भी जरूरी है कि भविष्य में ऐसी आपदाओं को पहले से भांपने के लिए निगरानी तंत्र और आपदा प्रबंधन सिस्टम को मजबूत किया जाए।समय बीत रहा है और पानी बढ़ रहा है। सवाल ये है — राहत पहले आएगी या तबाही?