राजकीय महिला अस्पताल हल्द्वानी के गेट पर गर्भवती महिला के प्रसव होने का स्वास्थ्य मंत्री डॉ.धन सिंह रावत ने संज्ञान लिया था। मामले की गंभीरता को देखते हुए धन सिंह रावत ने तत्काल विभागीय सचिव को प्रकरण की जांच के निर्देश दिए थे और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने को कहा। उन्होंने कहा कि गर्भवती महिला को चिकित्सा सुविधा उपलब्ध न करना अस्पताल प्रशासन की घोर लापरवाही है, जिसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा इस प्रकरण में जो भी दोषी होगा, उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई अमल में लायी जाएगी।
अब राजकीय महिला अस्पताल हल्द्वानी के गेट पर गर्भवती महिला का प्रसव होने के मामले में नर्सिंग अधिकारी को निलंबित कर दिया गया। जबकि अस्पताल में तैनात महिला डॉक्टरों को निलंबित करने के लिए शासन से सिफारिश की गई। स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत की ओर से मामले में जांच और कार्रवाई करने के निर्देश मिलने के बाद स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ. शैलजा भट्ट ने कार्रवाई की है। जिस पर विभाग ने निदेशक चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण , कुमाऊं मंडल की अध्यक्षता में विशेषज्ञ चिकित्सकों की चार सदस्यीय समिति गठित की।
विशेषज्ञ समिति की जांच रिपोर्ट के आधार पर महानिदेशक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण ने तत्काल प्रभाव से नर्सिंग अधिकारी दीप्ति रानी का निलंबन कर दिया जबकि ड्यूटी पर तैनात चिकित्सक डॉ0 दिशा बिष्ट के निलंबन की संस्तुति शासन को की गई है। प्रकरण में नागरिक चिकित्सालय खटीमा के सीएमएस को भी तलब कर उनसे स्पष्टीकरण मांगा गया है। विभागीय जांच समिति की रिपोर्ट में पाया गया कि अस्पताल के लेबर रूम में तैनात नर्सिंग अधिकारी दीप्ति रानी ने गर्भवती महिला की जांच किए बिना ही डॉक्टर दिशा बिष्ट को दूरभाष पर महिला की स्थिति के बारे में बताया।
डॉक्टर ने गर्भवती महिला को देखे बिना ही राजकीय मेडिकल कॉलेज हल्द्वानी रेफर करने के निर्देश दिए। नर्सिंग अधिकारी ने गर्भवती महिला को न तो भर्ती किया और उन ही उसके स्वास्थ्य की प्रारंभिक जांच की है। महिला को अस्पताल से बाहर ले जाने से पहले गेट पर प्रसव हो गया। स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने कहा कि गर्भवती महिला को चिकित्सा सुविधा उपलब्ध न करना अस्पताल प्रशासन की घोर लापरवाही है।