उत्तराखंड में ‘पोषण योजना’ बनी ‘घोटाला योजना’, ‘मोदी-धामी की फोटो के नीचे परोसी जा रही है मिलावट’। दगड़ियो जिस नमक को सरकार गरीब की थाली में सम्मान और पोषण का प्रतीक बताकर बांटती है, उसी में जब रेत और मिट्टी मिलती है — तो समझ लीजिए कि अब केवल खाद्य सुरक्षा ही नहीं, नैतिकता भी मिट्टी में मिल चुकी है। Nutrition Scheme Uttarakhand बताउंगा इस नमक में रेत होने की सियासी सच्चाई के बारे। दगड़ियो घटिया नमक की हकीकत ये कि भरोसे की थाली में धोखा, सरकारी राशन वितरण प्रणाली के तहत मिलने वाले नमक में रेत और मिट्टी मिलने की शिकायतों ने उत्तराखंड की जनता को झकझोर कर रख दिया है। सिस्टम में खलबली है बल वो नारा याद है आपको नूड़ रोटी खाएंगे अपना उत्तराखंड बनाएंगे। दगड़ियो उत्तराखंड बन गया बल लेकिन नूड़ यानी नमक में रेत मिल गया बल अब कैसे नूड़ रोटी खाएंगे। कुछ वायरल वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि नमक के पैकेट में नमक में रेत निकली है। यह सिर्फ एक मिलावट नहीं, बल्कि गरीबों के साथ विश्वासघात है। इस विस्वासघात पर कांग्रेस ने आक्रामक अंदाज में धामी सरकार को घेरा है, तो दगड़ियो हरीश रावत ने तो बीजेपी की नस नस खोलने वाला बयान दे दिया। कह दिया ये भ्रष्टाचार का नमुना भर है, उत्तराखंड में अब मिलावट हो गई है बल और ये कमीशन का खेल कांग्रेस बता रही है। दगड़ियो कांग्रेस को तो मौका मिला तो वो सरकार और बीजेपी को घेर भी रही है, लेकिन बीजेपी भी तो कुछ कह रही होगी बल। वो आपको दिखाउं उससे पहले बता दूं कि इस नमक पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की तस्वीर छपी है — यानी ये कोई आम पैकेट नहीं, बल्कि सरकार द्वारा प्रमाणित और प्रचारित “सरकारी ब्रांडेड नमक” है।
सवाल उठता है कि अगर ऐसी ब्रांडिंग के बाद भी गुणवत्ता की जांच नहीं हो रही, तो बाकी सिस्टम की क्या हालत होगी? अब दगड़ियो बीजेपी की बात करता हूं। दगड़यो हर साल करोड़ों रुपये की सब्सिडी देकर सरकार खाद्यान्न योजना चलाती है, लेकिन जमीन पर हकीकत ये है कि जिनके लिए ये योजना बनी है, उन्हें सड़ा गला अनाज, घटिया तेल और अब मिलावटी नमक परोसा जा रहा है। दगड़ियो बात नमक की हो या गेंहू–चावल की, पूरी आपूर्ति श्रृंखला कमीशन और कट के बिना नहीं चलती, कांग्रेस ने ये कह कर सरकार के काम को एक बार कठघरे में खड़ा कर रही है। एक बात ये भी ये सच है कि स्थानीय स्तर पर डीलर से लेकर सप्लायर और ठेकेदार तक हर किसी की जेब में कुछ न कुछ “घूस का नमक” पड़ता है ये तो कई बार कहा जाता है आखिर यही वजह है कि घटिया नमक महीनों तक बंटता रहता है और कोई पकड़ में नहीं आता — जब तक जनता खुद आवाज न उठाए। विडंबना देखिए दोस्तो अपने उत्तराखंड की — सरकारी मशीनरी तब जागी जब सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल हुआ न जिला प्रशासन ने पहले कोई निरीक्षण किया, न खाद्य सुरक्षा विभाग ने सैंपल जांचे। जैसे ही जनता ने मोबाइल उठाया और सच्चाई सबके सामने लाई, प्रशासन हरकत में आया अब सैंपल भरकर जांच की जा रही है, रिपोर्ट का इंतजार किया जा रहा है। लेकिन सवाल ये है कि जिम्मेदार अफसरों की जवाबदेही तय कब होगी? क्या कोई अधिकारी सस्पेंड हुआ? क्या किसी ठेकेदार का लाइसेंस रद्द किया गया? अभी तक नहीं।
दगड़ियो सरकारी नमक का इस्तेमाल हर उस परिवार द्वारा किया जाता है जो अंत्योदय, बीपीएल, या प्राथमिक परिवार कार्ड के तहत राशन लेता है। ये परिवार पहले ही आर्थिक, पोषण और सामाजिक तौर पर बेहद कमज़ोर होते हैं। ऐसे में अगर उन्हें खाने के लिए ऐसा नमक दिया जाए, जिसमें रेत, मिट्टी या कोई भी मिलावट हो — तो ये न केवल स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ है, बल्कि मानवाधिकारों का हनन भी है। दगड़ियो जरा सोचो अगर रेत वाला नमक किसी मंत्री या अफसर की थाली में परोसा जाता, तो जांच 15 मिनट में हो जाती और दोषी अगले दिन जेल में होता, लेकिन यहां तो हम सब बानर ठहरे बल कुछ नहीं होगा आगे भी कुछ छोटी मच्छलियों पर कार्रावीई कर इतिश्री हो जाएगी। अभी नमक में फिर चावल गेंहूं, तेल, पनीर दूध किसी और में मिलावट कर भरपाई कर दी जाएगी। यह मामला केवल एक जिले या एक राशन दुकान तक सीमित नहीं है। जब सरकारी ब्रांड के नमक में गड़बड़ी हो रही है, तो समझा जा सकता है कि पूरे आपूर्ति तंत्र में कितनी गंभीर खामियां हैं। क्या आपूर्ति करने वाली कंपनी की जांच हुई?क्या गुणवत्ता नियंत्रण विभाग का कोई अधिकारी निलंबित हुआ? क्या यह पहली बार हुआ है? इधर मामले को लेकर सरकार पर सवाल खड़े होते दिखाई दे रहे है। वहीँ इस पूरे मुद्दे पर कांग्रेस सरकार को घेरने का काम कर रही है। बीजेपी वाले कहते हैं कि मुख्यमंत्री धामी ने इस मामले की जांच के लिए तुरंत अधिकारियों को निर्देश दिये है, अधिकारी भी तथ्यात्मक जांच कर रहे है और यदि वास्तव में कोई मिलावट जैसी बात सामने आती है तो निश्चित रूप से सरकार उस पर कार्यवाही करेगी और जो भी इस प्रकार के कार्य कर रहे है वह क्षमायोग्य नही है, गजब ही हो रहा है।